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जानें अपना साप्ताहिक राशिफल: 13-19 Nov. 2017 (Know Your Weekly Horoscope: 13-19 Nov. 2017)

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मशहूर ज्योतिष (Jyotish) और वास्तु एक्सपर्ट राजेंद्रजी से जानें कैसा रहेगा यह सप्ताह आपके लिए. इस हफ़्ते ( Weekly Horoscope ) कैसी रहेगी आपकी लवलाइफ (Love Life), आपकी सेहत, आपकी आर्थिक स्थिति और भी बहुत कुछ. इस सबके साथ एक ख़ास गुडलक टिप जो आपके लिए होगा लाभदायक. साथ ही जानें पुराने रोग से छुटकारा पाने के लिए गुडलक टिप्स (Good Luck Tips).

राशि: मेष (Aries)

राशि: वृषभ (Taurus) 

राशि: मिथुन (Gemini)

राशि: कर्क (Cancer)

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राशि: सिंह (Leo)

राशि: कन्या (Virgo) 

राशि: तुला (Libra)

राशि: वृश्‍चिक (Scorpio)

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राशि: धनु (Sagittarius)

राशि: मकर (Capricorn)

राशि: कुंभ (Aquarius)

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राशि: मीन (Pisces)

पुराने रोग से छुटकारा पाने के लिए गुडलक टिप्स

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मॉमी मीरा के साथ क्यूट मिशा की पेंटिंग क्लासेस की तस्वीरें (Misha’s Painting Session With Mommy Mira Rajput)

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Misha's Painting Session, Mira Rajput

मॉमी मीरा राजपूत और बेबी मिशा की पेंटिंग क्लास कितनी मज़ेदार थी ये अंदाज़ा आप इन पिक्चर्स को देखकर लगा सकते हैं. शाहिद कपूर और मीरा राजपूत अपना पूरा वक़्त मिशा को देते हैं. मिशा की परवरिश को लेकर दोनों ही बेहद सजग हैं. शाहिद और मिशा की पिक्चर्स वायरल होने के बाद अब मिशा की नई तस्वीर है, जो वायरल हो रही है वो हैं मॉमी मीरा के साथ. मॉमी और बेबी दोनों ने साथ वक़्त बिताया पेटिंग क्लास में.

मीरा ने मिशा की पेंटिंग क्लास की तस्वीर शेयर की, जिसमें मिशा रंगों से खेलती नज़र आ रही थीं. पेंट ब्रश लिए मिशा ने कई रंगों को एक में मिला रखा था. इस ख़ूबसूरत लम्हें को मीरा ने कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर शेयर भी किया.

Misha's Painting Session, Mira Rajput

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व्हाइट शर्ट और ब्लैक डेनिम स्कर्ट में मीरा बेहद स्टाइलिश लग रही थीं और उनकी ये ख़ूबसूरती और भी निखर गई थी, उन रंगों की वजह से जो मिशा ने उन पर पेंटिंग क्लासेस में लगाए थे. रंगों से सराबोर मीरा पेंटिंग क्लासेस से मिशा को गोद में लिए वैसे ही घर की तरफ़ निकल गईं. दोनों की ये पिक्चर्स वाक़ई क्यूट हैं.Misha's Painting Session, Mira Rajput

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Children’s Day Special: टीवी सितारों ने याद किया अपना बचपन, शेयर की छुटपन खट्टी-मीठी आदतें (Things Tv stars cheers from childhood to now)

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बचपन हम सभी के जीवन का बेस्ट पार्ट होता है. बच्चें छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूंढ़ लेते हैं. उन्हें खुश होने के लिए क़ीमती या बहुमूल्य चीज़ की चाह नहीं होती. छोटी-छोटी बातें व चीज़ें भी उन्हें असीम खुशी प्रदान करती हैं. बाल दिवस के अवसर पर कुछ जाने-माने टीवी स्टार्स बता रहे हैं कि बचपन में उन्हें कौन-सी एेक्टिविटीज़ से खुशी मिलती थीं, जिन्हें  वे आज भी करते हैं.

 indian Tv stars cheers from childhood to now

पर्ल वी पुरीः बचपन में मुझे कार्टून देखने का नशा था, जो आज तक जारी है. मैं अब भी टॉम एेंड जेरी, स्कूबी-डूबी डू, पोकिमॉन, पोपोय द सेलर मैन, जॉनी ब्रैवो जैसे कॉर्टून सीरियल्स देखना पसंद करता हूं. इसके अलावा मुझे अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर्स के कार्ड इकट्ठा करना भी बहुत अच्छा लगता था. अाज भी मेरे कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर इन कैरेक्टर्स के वॉलपेपर्स सेव हैं.

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सारा ख़ानः बचपन में जन्मदिन मेरे लिए सबसे ख़ास अवसर होता था. दोस्त के बर्थडे के बारे में जानकर भी मेरे चेहरे पर खुशी छा जाती थी. शाम को होनेवाली बर्थडे पार्टीज़ बेहद मजेदार होती थीं. मुझे बेसब्री से जन्मदिन का इंतज़ार रहता था और एेसा अभी भी है. बड़े होने के बाद फ़र्क़ सिर्फ़ इतना आया है कि ईवनिंग पार्टीज़ की जगह मिडनाइट सेलिब्रेशन्स ने ले ली हैं

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एली गोनीः जब कोई मेरे काम की तारीफ़ करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. यह आदत बचपन से ही है. मुझे अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करता हूं. जब किसी को मेरा काम अच्छा लगता है तो मुझे ख़ुशी होती है. बचपन में जब क्लास में टेस्ट के बाद पेपर्स मिलते थे, तो सबसे पहले मेरी निगाहें स्टार्स तलाशती थीं और आज भी जब कोई मेरे काम की प्रशंसा करता है तो मुझे अच्छा लगता है.

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तान्या शर्माः मुझे याद है, बचपन में मैं अपनी बहन से टीवी के रिमोट के लिए झगड़ती थी. आज जब हमारे पास अलग-अलग टीवी है, फिर भी हम एक ही टीवी में देखना पसंद करते हैं और रिमोट के लिए झगड़ते हैं. टीवी मॉनिटर बनना और बहन को अपनी मनपसंद प्रोग्राम देखने के लिए मज़बूर करने से बड़ी खुशी और कुछ नहीं हो सकती.

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कुणाल जयसिंहः बचपन में मुझे कलरिंग का शौक़ था. इसलिए मुझे कलरिंग क्लासेज़ बहुत पसंद थे. मेरा बैग कलरिंग पेन्स, स्केच पेन्स, वैक्स क्रैयॉन्स से भरा रहता था.  मुझे बचपन में डॉट्स को जोड़कर उन्हें कलर करना बहुत अच्छा लगता था. अब भी मुझे रंगों से बहुत प्रेम है.

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तेजस्वी प्रकाशः बचपन से लेकर अब तक, मुझे बारिश के मौसम से प्यार है. मुझे बचपन में दोस्तों पर बारिश का पानी फेंकना और बारिश के पानी में खेलना बहुत अच्छा लगता था.

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सुयश रायः बचपन में मुझे किसी भी ऐक्टिविटी का फा़इनल वर्क करना बहुत अच्छा लगता था. स्कूल में जब नई क्लास शुरू होती थी तो बुक्स पर कवर तो मम्मी चढ़ाती थी, लेकिन उन पर नेम स्लिप्स लगाने का काम सिर्फ मैं करता था. बड़े होने पर भी जब मेरी मां, बहन या बीवी यदि सलाद काटती हैं तो मुझे उसे सजाना अच्छा लगता है.

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हेली शाहः ज़िंदगी प्रतिस्पर्धाओं से भरी हुई है. बचपन में मुझे कुछ जीतने पर बहुत उत्साह होता था और यह उत्साह अब भी कायम है. किसी स्पर्धा में भाग लेने पर मुझे बहुत रोमांच का अनुभव होता है. मुझे बचपन में इवेंट के लिए स्कूल में प्रैक्टिस के लिए रुकना बहुत अच्छा लगता था और आज भी मुझे अपने पर्फॉमेंस के लिए प्रैक्टिस करना अच्छा लगता है.

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मनीष गोपलानीः मुझे बचपन में व्हाइट कैनवस शूज़ पहनकर पीटी क्लासेज़ अटैंड करना बहुत पसंद था. मैं इस बात का ध्यान रखता था कि मेरे जूते सबसे अच्छे दिखें इसलिए मैं अपने साथ व्हाइट चॉक रखता था. मेरे जूते जैसे ही गंदे होते थे, मैं उन पर चॉक रगड़ लेता था. आज भी जब मैं जिम से बाहर निकलता हूं तो अपने शूज़ पर बहुत ध्यान देता हूं और इस बात का ख़्याल रखता हूं कि वे सबसे ख़ास दिखें.

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महिका शर्माः बचपन में जब मुझे किसी बात की चिंता होती थी या घबराहट होती थी, तो मैं अपने नाख़ून चबाती थी और एेसा आज भी होता है. कभी-कभी मैं यह भूल जाती हूं कि मैंने अपने नेल्स को स्टाइल किया है और उन्हें चबाने लगती हूं. इसके अलावा मेरी एक और आदत थी. चाहे न्यूज़पेपर हो या बुक्स, पहले मैं इमेज़ देखती थी और उसके बाद पढ़ती थी. यह आदत आज भी बनी हुई है.

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Children’s Day Special: स्पेशल बच्चों के प्रति कितने सेंसिटिव हैं हम? (Society Needs To Be Sensitive Towards Specially Abled Children)

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कहीं नन्हीं-सी मासूम हथेलियां हैं, तो कहीं नन्हें लड़खड़ाते क़दम, कहीं ख़ामोशियों को बयां करती आंखें हैं, तो कहीं चीख में सब कुछ कह देने की जद्दोज़ेहद, कहीं ख़ुद से लड़ती ज़िंदगियां हैं, तो कहीं ज़िंदगी को नया आयाम देने की मशक्कत… ख़ुद के वजूद को तलाशने के इनके सफ़र की हक़ीक़त को कितना जानते हैं हम? समाज के इन स्पेशल बच्चों की ज़िंदगियों को कितना समझते हैं हम? ख़ुद को सोशल एनिमल कहनेवाले हम क्या इन बच्चों के प्रति भी उतने ही सेंसिटिव हैं, जितना ख़ुद के प्रति? आइए जानते हैं अपनी और अपने समाज की संवेदनशीलता.

Sensitive Towards Specially Abled Children

स्पेशल बच्चे

जिनकी सोचने-समझने की क्षमता उनकी उम्र के सामान्य बच्चों से कम होती है और जो न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के शिकार होते हैं. ऐसे बच्चों को हम स्पेशल बच्चे कहते हैं. बच्चों के ऐसे होने के और भी कई कारण हो सकते हैं-

– गर्भावस्था के दौरान कोई संक्रामक रोग

– नवजात अवस्था में ही किसी इंफेक्शन का शिकार

– प्रेग्नेंसी के दौरान शारीरिक-मानसिक विसंगतियां

– प्रेग्नेंसी के दौरान और जन्म के बाद भी पोषण की कमी

यहां हमने शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के प्रति परिवार, समाज और देश की संवेदनशीलता को टटोलने की कोशिश की है. स्पेशल बच्चों में ख़ासतौर से मानसिक रूप से विकलांग बच्चों की स्थिति ज़्यादा दयनीय है. ऐसे में इनकी देखभाल, इनके लिए साधन व सुविधाएं जुटाना जितना मुश्किल है, उससे भी ज़्यादा मुश्किल है उनकी शिक्षा-दीक्षा.

परिवार की चुनौतियां

स्पेशल बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती. ख़ासतौर से मानसिक विकलांग बच्चों पर अतिरिक्त ध्यान देना पड़ता है. ऐसे में पैरेंट्स की चुनौतियां किस तरह बढ़ जाती हैं, आइए जानें.

– सबसे पहले किसी भी पैरेंट्स के लिए यह स्वीकार करना कि उनका बच्चा मानसिक रूप से विकलांग है बहुत मुश्किल होता है. पर जब वो स्वीकार कर लेते हैं, तो हमेशा इसी कोशिश में रहते हैं कि उसे नॉर्मल फील कराएं.

– कुछ पैरेंट्स इसके लिए ख़ुद को दोषी मानने लगते हैं. उन्हें लगता है कि शायद प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद उनसे ही कोई भूल हुई होगी, इसलिए उनका बच्चा ऐसा हो गया है, पर यह ग़लत है. मानसिक विकलांगता के मेडिकल कारण होते हैं, इसलिए पैरेंट्स को ख़ुद को दोषी नहीं समझना चाहिए.

– कुछ पैरेंट्स इसे सामाजिक कलंक मानकर बच्चे को घर से बाहर ही नहीं निकलने देते. पड़ोसियों के मज़ाक से बचने के लिए पैरेंट्स ऐसा करते हैं.

– स्पेशल बच्चों के मामलों में कई बार पैरेंट्स असहाय महसूस करते हैं, उन्हें समझ ही नहीं आता कि वो बच्चे की परवरिश किस प्रकार करें. कभी-कभी मेडिकल प्रोफेशनल्स भी पैरेंट्स को  उतनी अच्छी तरह सपोर्ट नहीं करते, जितना उन्हें करना चाहिए.

– कुछ पैरेंट्स स्पेशल बच्चों के व्यवहार को संभालने में ख़ुद को असमर्थ पाते हैं. ऐसे बच्चों का चीखना-चिल्लाना, लगातार रोना, चुप रहना,  ज़िद्दीपन और ग़ुस्सैल व्यवहार पैरेंट्स के लिए एक चुनौती बन जाती है.

– ऐसे भी पैरेंट्स हैं, जो स्पेशल बच्चों से अवास्तविक अपेक्षाएं रखते हैं, जैसे कि वो नॉर्मल बच्चों की तरह व्यवहार करें, चीज़ों को जल्द से जल्द समझें.प पैरेंट्स में यह डर भी बना रहता है कि अगर कल को उन्हें कुछ हो गया, तो उनके बच्चे का ख़्याल कौन रखेगा.

– स्पेशल बच्चों की देखभाल के लिए पैरेंट्स को एक्स्ट्रा एफर्ट लेने पड़ते हैं, जिससे धीरे-धीरे वो भी चिड़चिड़े और तनावग्रस्त रहने लगते हैं.

– बहुत से लोग अपने स्पेशल बच्चों को घर पर ही रखते हैं. उन्हें अगर स्पेशल स्कूल्स, ट्रेनिंग सेंटर्स, रिहैबिलिटेशन सेंटर्स में भेजा जाए, तो बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं.

असंवेदनशील सामाजिक रवैया

– शारीरिक या मानसिक अक्षमता को आज भी हमारे समाज में पिछले जन्म में किए बुरे कर्मों का फल माना जाता है.

– स्पेशल बच्चों के प्रति भी लोग दया व सहानुभूति दिखाते हैं, पर कहीं न कहीं उनके मन में कर्मफलवाली सोच इतनी हावी होती है कि उन्हें हमेशा बाकी बच्चों से अलग-थलग रखा जाता है.

– कुछ असंवेदनशील लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने मनोरंजन के लिए इन बच्चों को टारगेट करते हैं, उनका मज़ाक बनाते हैं.

लड़कियों से जुड़े चौंकानेवाले मामले

शारीरिक-मानसिक अक्षम बच्चों में लड़कियों की स्थिति और भी बदतर है.

– ऐसी लड़कियां ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार आसानी से हो जाती हैं, क्योंकि ये ईज़ी टारगेट होती हैं.

– वर्ल्ड बैंक और येले यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है, क्योंकि ये लड़कियां सेक्सुअली एक्टिव नहीं होतीं, इसलिए इनके साथ बलात्कार के मामले ज़्यादा देखे जाते हैं.

– अपराधियों के अलावा ऐसे भी मामले देखे गए हैं, जहां परिवार के लोगों और रिश्तेदारों ने ही इन बच्चियों का शोषण किया.

– इन बच्चों के लिए बने रिहैबिलिटेशन सेंटर्स भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं.

– यह बहुत ही दुखद है कि ऐसी घिनौनी सोच के लोग आज भी हमारी इस सो कॉल्ड सिविलाइज़्ड सोसाइटी का हिस्सा हैं.

स्पेशल बच्चों से जुड़े अपराध

– ये बच्चे क्रिमिनल्स के लिए ईज़ी टारगेट होते हैं.

– ख़ासतौर से ग़रीब बच्चों को ये निशाना बनाते हैं.

– आपराधिक प्रवृत्ति के लोग इन बच्चों को किडनैप करके भीख मंगाने और वेश्यावृत्ति आदि में धकेल देते हैं.

– बच्चों का अपहरण करके उन्हें दूसरे देशों में बेच दिया जाता है, जहां उनके साथ बहुत बुरे सुलूक किए जाते हैं.

– कुछ पैरेंट्स इनसे छुटकारा पाने के लिए इन्हें किसी अनाथालय या आश्रम में छोड़ आते हैं. हेल्थ केयर सुविधाओं की कमीप स्पेशल बच्चों के लिए हेल्थ केयर सुविधाओं की आज भी बेहद कमी है. गिने-चुने शहरों को छोड़ दिया जाए, तो कस्बों और गांवों की हालत अभी भी ख़राब ही है.

– इनके लिए मनोचिकित्सक, क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट्स और काउंसलर्स की मदद की ज़रूरत होती है, जो हर शहर में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं.

– अमीर घरों में तो फिर भी नर्स आदि की मदद से इन बच्चों की देखभाल हो जाती है, पर ग़रीबों के लिए हालात बदतर हो जाते हैं.

– हर ज़िले में कम से कम एक स्पेशलाइज़्ड हॉस्पिटल, रिहैबिलिटेशन सेंटर और थेरेपी सेंटर  होना चाहिए.

– सही ट्रेनिंग से डिफरेंटली एबल्ड बच्चों को भी थोड़ा-बहुत इंडिपेंडेंट बनाया जा सकता है.

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Sensitive Towards Specially Abled Children

स्कूल व लर्निंग सेंटर्स की कमी

– स्पेशल बच्चों के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है, पर  न तो हमारे यहां ऐसे स्कूल हैं और न ही टीचर्स.

– शहरों में जो स्कूल हैं भी, उनकी फीस इतनी ज़्यादा है कि वो सबकी पहुंच के बाहर है.

– आम स्कूलों में भी सिलेबस इस तरह तैयार किया जाता है, जहां इनकी शिक्षा मुश्किल है और आम बच्चों के साथ पढ़ना सभी दिव्यांगों के लिए आसान नहीं.

– हालांकि कुछ समाजसेवी संस्थाएं ऐसे बच्चों के लिए काम कर रही हैं, पर उनकी भी संख्या बहुत ही कम है.

स्पेशल ऑर्गेनाइज़ेशंस व एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स

कुछ ऐसे समाज सेवी संस्थान व स्पेशल स्कूल्स हैं, जो स्पेशल बच्चों के बेहतर विकास में पैरेंट्स की मदद करते हैं, ताकि वो मेनस्ट्रीम से जुड़े रहें. इनसे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप इनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं.

1. उम्मीद चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर- मुंबई

Website: www.ummeed.org
Email: info@ummeed.org
Contact Numbers: +91 22 65528310, 65564054, 23002006

2. एक्शन फॉर ऑटिज़्म- दिल्ली

Website: www.autism-india.org
Email: actionforautism@gmail.com

3. उमंग- जयपुर

Website: http://www.umangindia.org/
Email: umangjaipur@gmail.com

4. तमना- नई दिल्ली

Website: http://www.tamana.org/
Email: info@tamana.org

5. समर्थनम- बैंगलुरू, मुंबई, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, सिकंदराबाद, हरियाणा, कर्नाटक 

Website:http://www.samarthanam.org
Email: info@tamana.org

कैसे बदलेंगे हालात?

– सबसे पहले तो समाज को अपनी सोच बदलनी होगी. स्पेशल बच्चों के प्रति सभी को जागरूक करना होगा.

– गर्भावस्था के दौरान मां को ज़रूरी पोषण मिले और किसी भी तरह की कॉम्प्लीकेशंस के लिए हेल्थ केयर सर्विसेज़ की अच्छी सुविधा हो.

– घर से बाहर निकलने, कहीं आने-जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी इनके लिए बहुत मुश्किल हो जाती है, क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इनकी सुविधाओं का ख़्याल नहीं रखा जाता.

– अस्पताल से लेकर बस अड्डों, रेलवे, मार्केट- ऐसी सभी जगहों पर वॉक वे और व्हीलचेयर रैंप्स की सुविधा होनी चाहिए.

– सरकार को स्पेशल बच्चों के लिए अस्पताल और स्कूलों की सुविधा बढ़ानी होगी, तभी ये समाज और मेनस्ट्रीम का हिस्सा बन पाएंगे.

– राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर सामाजिक जागरूकता के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत करें, ताकि संक्रामक बीमारियों से मां और उसके भू्रण को बचाया जा सके.

स्पेशल बच्चों के लिए ‘उम्मीद’ की किरण

मुंबई के उम्मीद चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर की सामाजिक कार्यकर्ता अदिति झा और कैंडिस मेंज़ेस से हमने स्पेशल बच्चों की स्थिति, परिवार की चुनौतियों और सरकारी योजनाओं के बारे में बात की.

– अदिति ने बताया कि हमारे देश में स्पेशल बच्चों के प्रति जागरूकता की बेहद कमी है और उसी कमी को दूर करने के लिए डॉ. विभा कृष्णमूर्ति ने इसकी शुरुआत की. यहां डेवलपमेंटल पीडियाट्रिशियन से लेकर अलग-अलग थेरेपीज़ के लिए टीम और सोशल वर्क टीम है.

– समाज में जागरूकता की कमी का ही नतीजा है कि ऐसे बच्चों के पैरेंट्स को भी बच्चों की देखभाल, शिक्षा, ट्रेनिंग आदि की कोई जानकारी नहीं होती. उम्मीद में पैरेंट्स को काउंसलिंग, ट्रेनिंग आदि के ज़रिए इस तरह सशक्त बनाया जाता है कि वो अपने बच्चे की आवाज़ बन सकें.

– बच्चों को तरह-तरह की थेरेपीज़ दी जाती हैं, ताकि वो ख़ुद आत्मनिर्भर बन सकें.

– पैरेंट्स की मदद के लिए कई सरकारी योजनाएं हैं, पर ज़्यादातर लोगों को इनकी जानकारी ही नहीं, क्योंकि न सरकार ने इनका प्रचार-प्रसार किया, न ही लोगों ने.

– बस, ट्रेन में ट्रैवलिंग छूट के अलावा अगर दोनों ही पैरेंट्स वर्किंग हैं, तो इंकम टैक्स में भी उन्हें छूट मिलती है.

– सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से निरामया हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम उपलब्ध है, जिसमें 1 लाख तक का इंश्योरेंस कवर मिलता है. अधिक जानकारी के लिए http://www.thenationaltrust.gov.in/content/scheme/niramaya.php इस लिंक पर जाएं.

– राइट टु एजुकेशन एक्ट (Right To Education Act)) के तहत हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार है, लेकिन फिर भी बहुत से स्कूलों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं कि इन बच्चों को बाकी बच्चों के साथ रखकर पढ़ाया जा सके. सरकार को सभी स्कूलों में ऐसे बच्चों के लिए अलग से फंड देना चाहिए.

– इन बच्चों को शोषण से बचाने व मेनस्ट्रीम से जोड़ने के लिए फोरम फॉर ऑटिज़्म और अर्पण जैसे सामाजिक संस्थान बच्चों व पैरेंट्स को जागरूक करते हैं.प उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर को वर्ल्ड डिसैबिलिटी डे मनाया जाता है, पर अफ़सोस बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं. सरकार को इसका प्रचार-प्रसार करना चाहिए, ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े.

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क्या कहते हैं आंकड़े?

– हमारे देश में 0-6 साल के लगभग 20 लाख बच्चे विकलांग हैं, जिसमें से 71% यानी 14.52 लाख बच्चे गांवों में हैं.

– शहरों के मुक़ाबले गांवों में स्पेशल बच्चों की तादाद ज़्यादा होने का कारण गांवों में पीडियाट्रीशियन की कमी मानी जाती है.

– आज इस इक्कीसवीं सदी में भी गांवों में बड़ी-बूढ़ी औरतें या दाई मां ही बच्चे पैदा कराती हैं. ऐसे में गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान कई समस्याओं से गुज़रती हैं, जिसके कारण कई बार बच्चे मानसिक विकलांगता के शिकार हो जाते हैं.

– हमारे देश में ऑटिज़्म और सेरेबल पाल्सी के शिकार बच्चे लगभग 5.80 लाख हैं.

– उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा दिव्यांग (विकलांग) बच्चे हैं. उसके बाद बिहार दूसरे नंबर पर, महाराष्ट्र तीसरे और फिर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल का नंबर आता है. देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ ही दिव्यांगों की संख्या भी बढ़ी है, पर न तो सामाजिक स्तर पर उनके सुधार के लिए कुछ ख़ास किया गया, न ही क़ानूनी क्षेत्र में.

– अनीता सिंह

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बालों को क़ुदरती चमक देने के लिए अपनाएं ये 15 बेस्ट हेयर केयर टिप्स(15 Best Hair Care Tips and Tricks)

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  1. बालों में तेल की बजाय शहद लगाकर 15 मिनट रखें. फिर बाल धो लें. बालों में नई चमक आ जाएगी.Best Hair Care Tips and Tricks
  2. हेयरफॉल की समस्या से निजात पाने के लिए कच्चे अंडे में ऑलिव ऑयल मिलाएं और इसे बालों में लगाएं. कुछ देर लगा रहने दें. इसके बाद अच्छी तरह शैम्पू
    कर लें.
  3. चमकदार घने बालों के लिए 3 केले के गूदे को स्टीम करके बालों में पैक की तरह लगाएं. 15 मिनट बाद धो लें.
  4. नैचुरल कंडीशनर बनाने के लिए एक बड़े पतीले में चाय की पत्तियां उबालकर छान लें. इसमें 1 टीस्पून नींबू का रस मिलाएं. शैम्पू करने के तुरंत बाद इस पानी से बाल धोएं. बालों में चमक आएगी.
  5. सर्दियों में रूखे बालों को मुलायम बनाने के लिए दूध व शहद को समान मात्रा में मिलाकर बालों का मसाज करें. 25 मिनट बाद शैंपू से बाल धो लें.
  6.  बालों को हाईलाइट करने के लिए ग्रीन टी लगाएं. इसे बालों पर लगाने से लाल रंग हाईलाइट होगा. इसके लिए ग्रीन टी का पानी में उबालें. ठंडा होने पर इससे बाल धो लें. थोड़ी देर बाद बालों को साफ़ पानी से धोएं.
  7. बालों को बाउंसी बनाने के लिए नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इससे बाल धोएं. इससे बालों का झड़ना और डैंड्रफ़ खत्म हो जाएगा.
  8. बालों की जड़ों से सफ़ाई करनी हो तो अंडे के पीले हिस्से में दही मिलाकर पैक तैयार करें. इसे बालों में लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर पानी से अच्छी तरह बाल धोएं.Best Hair Care Tips and Tricks
  9. बेजान बालों को बाउंसी बनाने के लिए इन्हें नियमित रूप से दही से धोएं. फ़र्क़ साफ़ नज़र आएगा.
    ये भी पढ़ेंः 5 आसान होम रेमेडीज़ रोकती हैं बालों को सफ़ेद होने से
  10. बालों को सेट करने का लोशन घर में बनाने के लिए नींबू या संतरे के रस में दो कप पानी मिलाएं. फिर इसे उबाल ठंडा कर लें. इसे स्प्रे बॉटल में भरकर रखें. बाल सेट करने से पहले इसे स्प्रे करें. यह लोशन 10 दिनों तक इस्तेमाल कर सकती हैं.
  11. बेजान बालों में नई चमक लाने के लिए 2 टीस्पून ऑलिव ऑयल में 1 टीस्पून दही मिलाकर लगाएं. बालों की लंबाई के हिसाब से मात्रा बढ़ा सकती हैं. आधे घंटे बाद शैंपू से धो लें.
  12. बालों का रूखापन दूर करने के लिए 2 टीस्पून शहद में 2 टीस्पून ऑलिव ऑयल, 2 अंडे का पीला भाग और 1 टीस्पून ग्लिसरीन मिलाकर जड़ों का मसाज करें. 3 मिनट बाद माइल्ड शैम्पू से धो लें.
  13. चिपचिपे बालों की समस्या से निजात पाने के लिए 3 टीस्पून मुल्तानी मिट्टी में 10 स्ट्रॉबेरी मैश करके मिलाएं. इसमें 2 टीस्पून आवंले का पाउडर और 1 टीस्पून सफ़ेद सिरका मिलाएं और बालों की जड़ों पर लगाकर 30-40 मिनट रखें. फिर शैम्पू कर लें.
  14. नैचुरल शैम्पू तैयार करने के लिए सूखा आंवला, रीठा और शिकाकाई सब 100 ग्राम लें. इसमें 200 ग्राम सूखा ब्लैक ऑलिव मिलाकर 2 लीटर पानी में उबालें. पानी जब आधा रह जाए तो आंच से उतारकर छान लें. बोतल में भरकर रखें और शैम्पू की तरह इस्तेमाल करें.
  15. रूखे बालों को नई जान देने के लिए 1 अंडे की ज़र्दी में बादाम का तेल मिलाकर बालों में लगाएं. इससे बालों को पोषण मिलेगा और दो मुंहे बालों की समस्या से निजात मिलेगा.
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Confirmed! अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित का ‘टोटल धमाल’, 17 साल बाद पर्दे पर साथ (Anil Kapoor And Madhuri Dixit To Work Together After 17 Years)

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Anil Kapoor, Madhuri Dixit, Work Together After 17 Years

अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित का करिश्मा एक बार फिर होगा बड़े पर्दे पर. 17 साल का इंतज़ार अब ख़त्म होगा. निर्देशक इंदर कुमार एक बार दोनों को साथ लेकर आ रहे हैं. इंदर की फिल्म टोटल धमाल में अनिल और माधुरी साथ होंगे. वैसे इनके साथ आने की ख़ुशी तो यक़ीनन दर्शकों को होगी, लेकिन आपको ये बात जानकर दुख होगा कि फिल्म में दोनों रोमांस नहीं करेंगे. धक-धक… जैसे कोई गाना भी नहीं होगा फिल्म में. इस बात की जानकारी ख़ुद इंदर कुमार ने दी, उन्होंने कहा कि इस फिल्म से कोई धक-धक… की उम्मीद न करें, क्योंकि यह एक कॉमेडी फिल्म है, लेकिन टोटल धमाल का वादा मैं कर सकता हूं.

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अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित ने साथ में कई सुपरहिट फिल्में की हैं. दोनों की पिछली फिल्म पुकार साल 2000 में रिलीज़ हुई थी.

टोटल धमाल में अनिल और माधुरी के साथ रितेश देशमुख, अरशद वारसी और जावेद जाफ़री भी होंगे. फिल्म अगले साल दिवाली पर रिलीज़ हो सकती है.

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WOW! पापा सैफ ने चिल्ड्रेन्स डे पर तैमूर को गिफ्ट की कार, जिसकी क़ीमत सुनकर दंग रह जाएंगे आप! (Papa Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car Worth Rs 1.30 Crore)

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Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car

तैमूर अली खान अभी सिर्फ़ 11 महीने के हैं और पापा सैफ अली खान के लाडले हैं. अपने लाडले बेटे के लिए सैफ सब कुछ करने को तैयार हैं. अब देखिए चिल्ड्रेन्स डे के मौक़े पर सैफ ने तैमूर को गिफ्ट कर दी एक कार. ये कोई मामूली या खिलौने वाली कार नहीं है, बल्कि करोड़ों की कार है.

सैफ ने तैमूर के लिए रेड कलर की ‘ग्रैंड चेरोकी एसआरटी लग्ज़री कार ली है, जिसकी क़ीमत है 1.30 करोड़. इस कार को ले जाने सैफ ख़ुद शो रूम पहुंचे.

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सैफ ने बताया कि वो इस कार को तैमूर को गिफ्ट करना चाहते हैं. सैफ ने कहा कि शायद चेरी रेड जीप का रंग तैमूर को पसंद आएगा. बच्चों की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए ये कार काफ़ी सेफ है और इसकी बैकसीट पर बेबीसीट भी है. सैफ तैमूर को इस कार में घुमाना चाहते हैं.

Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car

एक महीने बाद तैमूर का बर्थडे है. तैमूर एक साल के हो जाएेंगे. अब जब चिल्ड्रेन्स डे के मौक़े पर तैमूर को ये कार गिफ्ट में मिली है, तो सोचिए बर्थडे पर उन्हें क्या गिफ्ट मिलेगा.

देखें तैमूर की पापा सैफ के साथ और भी पिक्चर्स

Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car

Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car Saif Ali Khan Gifts Taimur A Car

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Viral Pics: बच्चन परिवार रॉयल अंदाज़ में, अमिताभ ने शेयर की वेडिंग अल्बम (Amitabh Bachchan shares wedding album pics, Abhishek, Aishwarya and Aaradhya are all decked out)

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अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से हम सभी को प्यार है. चाहे वो अभिषेक या एेश्वर्या की कोई पिक्चर हो या अमिताभ व श्वेता बच्चन नंदा की, या फिर जया बच्चन और श्वेता की….हमें सब अच्छी लगती हैं. अराध्या बच्चन की पिक्स भी देखते ही देखते वायरल हो जाती है. अगर हम इन सभी के पिक्स आपको एक साथ दिखा दें, तो कैसा रहेगा. जी हां, ख़ास आपके लिए हम पूरे बच्चन परिवार के पिक्स पेश कर रहे हैं, जो उन्होंने हाल ही किसी शादी में शामिल होने के दौरान
निकाली थी.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

अगर आप अमिताभ और ऐश्वर्या की साथ में पिक देखना चाहते थे, तो यह लीजिए………

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

इसी फंक्शन में अभिषेक और ऐश्‍वर्या की भी एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें अभिषेक अपनी पत्‍नी ऐश्‍वर्या के साथ बेहद क्‍यूट अंदाज में नजर आ रहे हैं. इन दोनों के फैन्‍स अपने इस क्‍यूट कपल को साथ देखकर काफ़ी एक्‍साइटेड नजर आ रहे हैं.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

अमिताभ अपने बच्चों के साथ.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

भाई-बहन एक साथ बहुत प्यारे लग रहे हैं.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

बिग बी अपनी बेटी के साथ.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

दोनों की एक और प्यारी-सी पिक.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

श्वेता और जया बच्चन पारंपरिक लिबास में रॉयल दिख रहे हैं.

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

Amitabh Bachchan shares wedding album pics

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पूजा श्रीराम बिजारनिया ने दिया पिता को अपना लिवर (Pooja Bijarnia Donate Her Liver To Save Her Father)

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कौन कहता है कि बेटियां सहारा नहीं बन सकतीं. पूजा श्रीराम बिजारनिया न सिर्फ़ अपने पिता का गौरव हैं, बल्कि अपना लिवर पिता को देकर पूजा ने ये साबित कर दिया है कि बेटियां अब किसी भी तरह से कमज़ोर नहीं हैं. बेटियों को यदि सही माहौल और हौसला मिले, तो वो कामयाबी की बुलंदियों को छू सकती हैं. चिल्ड्रन डे के ख़ास मौ़के पर आइए, हम आपको मिलाते हैं एक ऐसी बेटी से, जिसने न स़िर्फ अपने पिता को नई ज़िंदगी दी है, बल्कि परिवार का हौसला भी बढ़ाया.

पूजा, आपके पापा को क्या बीमारी थी और कैसे आपने उन्हें नई ज़िंदगी दी?
मेरे डैड पिछले तीन सालों से हेल्थ प्रॉब्लम्स झेल रहे हैं. उन्हें लिवर सोराइसिस हुआ था. दरअसल, उनकी बीमारी की शुरुआत जॉडिंस (पीलिया) से हुई थी, जिसके बारे में काफ़ी समय तक पता नहीं चल पाया था. सही डॉक्टर न मिलने के कारण बीमारी बढ़ती चली गई. पहले डैड का शरीर पीला था, फिर एकदम काला पड़ गया. दवाइयों के ओवर डोज़ से वो हर समय जैसे नींद में रहते थे. हम उन्हें उसी हालत में दवाइयां देते जा रहे थे.

आपके पापा की सेहत में सुधार कब और कैसे आया?
हम डैड को जसलोक हॉस्पिटल ले गए. वहां डॉक्टर आभा नागराल की देखरेख में उनकी हालत सुधरने लगी. लेकिन उस समय तक डैड का लिवर डैमेज हो चुका था और लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. इस बीच उनके गॉल ब्लेडर और किडनी में भी प्रॉब्लम आने लगी थी, उन्हें डायबिटीज़ भी हो गया था. बार-बार डैड को लेकर नवी मुंबई से जसलोक हॉस्पिटल जाना बहुत मुश्किल हो रहा था इसलिए डॉक्टर आभा ने हमें नवी मुंबई के अपोलो हॉस्पिटल में पापा को ले जाने के लिए कहा. वो वहां की विज़िटिंग फेकल्टी भी हैं इसलिए हमारे लिए ट्रैवलिंग आसान हो गई. पापा का आगे का ट्रीटमेंट वहीं हुआ. फिर जनवरी 2017 में डॉक्टर ने कहा कि अगले दो-तीन महीने में हमें उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना होगा. हमने बहुत कोशिश की, लेकिन हमें लिवर नहीं मिल पाया इसलिए हमने फैसला किया कि हम में से ही कोई पापा को लिवर दे देगा. मेरी बहन का लिवर छोटा था इसलिए वो नहीं दे पाई. मेरे लिवर का साइज़ सही था और मैं हर तरह से फिट थी इसलिए मैंने लिवर देने का फैसला किया.

लिवर देते समय आपको डर नहीं लगा?
मुझे तो डर नहीं लगा, लेकिन मेरी मां बहुत डरी हुई थी. उनके पति और बेटी दोनों की ज़िंदगी दांव पर थी. ऐसे केसेस में दोनों लोग बच भी सकते हैं, कोई एक भी बच सकता है या दोनों की जान भी जा सकती है. लेकिन हमारे पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था. आख़िरकार ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा और हम दोनों को कोई नुक़सान नहीं हुआ. हमारे डैड चाहे कितने ही बीमार थे, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी और न ही कभी कुछ निगेटिव सोचा. इस बीच इतने पैसे ख़र्च हुए कि हमें अपनी प्रॉपर्टी तक बेचनी पड़ी. हां, टाटा फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, सिद्धिविनायक ट्रस्ट आदि ने हमें फाटनेंशियली बहुत मदद की. हमने इन तीन सालों में भले ही बहुत तकली़फें देखीं, लेकिन पापा के ऑपरेशन के बाद हमारी ज़िंदगी में फिर से ख़ुशियां लौट आई हैं.

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पापा के ऑपरेशन के बाद घर का माहौल कैसा है?

इन तीन सालों में हमने जितना झेला है, वैसा कोई दुश्मन भी न झेले. हां, इस बीच हमारी बॉन्डिंग इतनी बढ़ गई है कि अब हम हर काम साथ मिलकर करते हैं. मैं ऑफिस से सीधे घर आ जाती हूं ताकि अपने पैरेंट्स के साथ समय बिता सकूं. छुट्टी के दिन भी मैं अपने परिवार के साथ ही रहती हूं.

लिवर डोनेट करने से क्या आपकी हेल्थ पर कोई असर होगा?
नहीं, लिवर बहुत जल्दी अपने शेप में फिर से आ जाता है. हां, कुछ रिश्तेदारों ने ये ज़रूर कहा कि अब इसकी शादी कैसे होगी, तो मेरा जवाब ये था कि जिस लड़के को इतनी समझ न हो कि अपने पैरेंट्स के लिए बच्चों को क्या करना चाहिए, उसे मेरा जीवनसाथी बनने का कोई हक़ नहीं है.

अपने परिवार के बारे में बताइए, कैसे माहौल में हुई है आपकी परवरिश?
हम सिकर, राजस्थान के रहनेवाले हैं. डैड ने रोजी-रोटी की तलाश में बहुत पहले ही गांव छोड़ दिया था, लेकिन हमारे काका, मौसी सब गांव में रहते हैं. हम ख़ुशनसीब हैं कि हमारे पैरेंट्स ने हमारी परवरिश बहुत अच्छे माहौल में की है. हम पांच भाई-बहन हैं, चार बहनें और एक भाई. भाई सबसे छोटा है, आप कह सकती हैं कि सोशल प्रेशर में मेरे पैरेंट्स को चार बेटियों तक बेटे का इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हम बहनों की परवरिश में कभी कोई भेदभाव नहीं किया. परिवार, रिश्तेदार कहते थे कि बेटियों पर इतना ख़र्च क्यों करते हो, इन्हें तो एक दिन पराए घर जाना है, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी हमारे लिए ऐसा नहीं सोचा. उन्होंने हमें बेटा-बेटी की तरह नहीं, औलाद की तरह पाला और हमें सारी सुविधाएं दी. रिश्तेदारों का तो ये हाल है कि डैड की बिमारी में मदद करने की बजाय उन्होंने गांव में ये अफवाह फैला दी थी कि अब डैड की बचने की कोई गुंजाइश नहीं है. लेकिन मेरी मां बहुत स्ट्रॉन्ग हैं, मां ने कभी हार नहीं मानी. उन्हें पूरा विश्‍वास था कि डैड ठीक हो जाएंगे.

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क्या राजस्थान में आज भी बाल विवाह होते हैं?
हां, राजस्थान में आज भी चोरी-छिपे बाल विवाह होते हैं. लोग बेटियों को जल्दी से जल्दी विदा कर देना चाहते हैं. उनके भविष्य के बारे में ज़रा भी नहीं सोचते. जब हम छुट्टियों में गांव जाते थे, तो लोगों की मानसिकता देखकर दंग रह जाते थे. तब मैं कोई 10 साल की रही होगी, हमारी एक रिश्तेदार मां से कहने लगीं, “लड़की अब बड़ी हो गई है, इसका रिश्ता पक्का कर दो”, जबकि हम बहनों में मैं तीसरे नंबर की हूं. उनकी बात सुनकर मां ने साफ़ मना कर दिया और कहा, “मैं इतनी जल्दी अपनी बेटियों की शादी नहीं कर सकती.”

क्या आपके परिवार पर समाज का प्रेशर नहीं है?
पहले मेरे माता-पिता परिवार या समाज के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रख पाते थे, लेकिन अब जब उन्होंने देखा कि मुसीबत के समय कोई काम नहीं आता, हमें अपनी तकलीफ़ ख़ुद ही झलेनी होती है, तो वे अब इस बात को लेकर और स्ट्रॉन्ग हो गए हैं कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि उन्हें कभी किसी का मुंह न देखना पड़े.

– कमला बडोनी

 

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जन्मदिन मुबारक हो! टेनिस सनसनी…सानिया मिर्ज़ा (Happy Birthday Sania Mirza)

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Sania Mirza Birthday

* हैदराबाद के निजाम क्लब में सानिया ने छह साल की उम्र से टेनिस खेलना शुरू किया.
* महेश भूपति के पिता सी. के. भूपति की देखरेख में उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई.
* उन्होंने अमेरिका एस. टेनिस एकेडमी से भी प्रशिक्षण लिया.
* साल 1999 में वर्ल्ड जूनियर टेनिस चैंपियनशिप से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की.
* साल 2003 से लेकर 2013 तक सानिया ने टेनिस खेल के सिंगल व डबल्स में भारतीय शीर्ष में अपना दबदबा बनाए रखा.

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पर्सनल शॉट्स
* सानिया का जन्म 15 नवंबर, 1986 को मुंबई में हुआ.
* उन्होंने हैदराबाद के एनएएसआर से स्कूली पढ़ाई और सेंट मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.
* साल 2008 में चेन्नई में एमजीआर
शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्‍वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की.
* उनके पिता इमरान स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट और मां नसीमा प्रिंटिग बिज़नेस से जुड़ी हुई हैं.
* उनकी एक छोटी बहन अनम भी है.
* उन्होंने साल 2010 में पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक के साथ शादी की.

Sania Mirza Birthday

अवॉर्ड्स व उपलब्धियां
+ सानिया ने 17 साल की उम्र में विंबलडन जूनियर डबल्स का ख़िताब अपने नाम किया.
+ 2003 में एलिसा लेबनोवा के साथ मिलकर विंबलडन का जूनियर डबल्स जीता.
+ उन्होंने जूनियर खिलाड़ी के रूप में 10 सिंगल और 13 मिक्स डबल्स जीते हैं.
+ 2006 के दोहा एशियन गेम में लिएंडर पेस के साथ डबल्स का गोल्ड मेडल जीता.
+ इसी गेम में उन्होंने वुमन सिंगल व वुमन टीम में सिल्वर मेडल भी जीता.
+ साल 2009 में भारत की तरफ़ से ग्रैंड स्लेम जीतनेवाली पहली महिला खिलाड़ी बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया.
+ 2009 में ऑस्ट्रेलियन ओपन में महेश भूपति के साथ मिक्स डबल्स और 2012 में फ्रेंच ओपन जीता.

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+ उन्हें डब्लूटीए द्वारा मोस्ट एम्प्रेसिव न्यूकमर अवॉर्ड अमेरिका में दिया गया.
+ 2005 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाज़ गया.
+ 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
+ खेल में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 2014 में हैदराबाद महिला दशक अचीवर्स अवॉर्ड दिया गया.
+ 2015 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

 

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डिफरेंट स्ट्रोक्स
* सानिया एक बेहतरीन स्विमर भी हैं.
* भारतीय टेनिस खिलाड़ियों को विश्‍वस्तरीय ट्रेनिंग देने के लिए सानिया ने साल 2013 में सानिया मिर्ज़ा टेनिस अकादमी खोली.
* 22 जुलाई, 2014 को तेलंगाना राज्य ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया.
* साल 2015 में उनके बेहतरीन परफॉर्मेंस व नंबर वन रैंकिंग हासिल करने की उपलब्धियों के कारण सीएनएन न्यूज़ 18 द्वारा इंडियन ऑफ द ईयर 2015 के अवॉर्ड से सम्मानित किया.

– ऊषा गुप्ता

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November Born: रोमांस ही ज़िंदगी है नवंबर में जन्मे लोगों के लिए (What Your Birth Month Says About Your Love Life)

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नवंबर में जन्मे लोग वृश्‍चिक और धनु राशि के होते हैं. 1 से 22 नवंबर वाले वृश्‍चिक राशि के होते हैं, जबकि 23 से 30 वाले धनु राशिके. इन दोनों ही राशियों के लोग अपनी लव लाइफ के प्रति काफ़ी गंभीर होते हैं. अपने पार्टनर को हमेशा ख़ुश रखना इन्हें बेहद पसंद है. आइए जानें, इनकी लव लाइफ की कुछ और ख़ूबियां-

November Born Love Life

– अपने पार्टनर को टूटकर चाहते हैं

– पार्टनर की हर इच्छा को बख़ूबी समझते हैं

– सबसे भरोसेमंद पार्टनर्स माने जाते हैं

अपनी लव लाइफ की और भी ख़ूबियों को जानने के लिए क्लिक करें

– नवंबर में जन्मे लोगों के लिए रोमांस बहुत मायने रखता है. ज़्यादातर नवंबर बॉर्न वृश्‍चिक राशिवाले होते हैं, जिनके लिए अक्सर यह कहा जाता है कि ये अपनी सेक्स लाइफ को हमेशा स्पाइसी रखना पसंद करते हैं.

– अपने पार्टनर से अपनी फीलिंग्स शेयर करने का ये कोई भी मौका नहीं छोड़ते.

– ये सबसे भरोसेमंद पार्टनर्स माने जाते हैं.

– अपने पार्टनर के साथ इनका रिश्ता इमोशनल होता है, जिससे जुड़ते हैं दिल की गहराइयों से जुड़ते हैं.

– ये अपने पार्टनर को टूटकर चाहते हैं और उससे भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं.

– पार्टनर की हर इच्छा को बख़ूबी समझते हैं.

– इनकी सेक्स लाइफ कभी रोमांटिक होती है.

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एलर्जी के कारण और उससे बचने के कारगर उपाय ( Remedies To Get Rid Of Allergy Fast)

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क्या आपको पता है कि हमारे देश में तक़रीबन 20 से 30 फीसदी लोग एलर्जी से पीड़ित हैं, जबकि अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में एलर्जी के मरीज़ों की और भी ज़्यादा है. वास्तव में एलर्जी बेहद सामान्य बीमारी है. किसी को खाने की चीज़ से, किसी को किसी ख़ास महक से तो किसी को पालतू जानवरों से एलर्जी होती है. एलर्जी की कुछ और भी वजहें हैं.

Remedies To Get Rid Of Allergy Fast

 

क्या होती है एलर्जी?

Remedies To Get Rid Of Allergy Fast
एलर्जी हमारे इम्यूम सिस्टम द्वारा किसी चीज़ के लिए एब्नॉर्मल रिएक्शन है. यह खाने की चीज़, पालतू जानवर, मौसम में बदलाव, खुशबू, धूल, धुआं, दवा यानी किसी भी चीज़ से हो सकती है. इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम कुछ खास चीज़ों को स्वीकार नहीं कर पाता और नतीज़ा ऐसे रिऐक्शन के रूप में दिखता है.

एलर्जी के कारण
खाने की चीज़ों से: कुछ लोगों को खाने की चीज़ों से एलर्जी हो सकती है. जिस चीज़ से एलर्जी है, उसे खाने के बाद जी मिचलाना, शरीर में खुजली होना या पूरे शरीर पर दाने और चकत्ते निकलने जैसी समस्या हो सकती है. आमतौर पर कुछ खाने के बाद 10 मिनट से लेकर आधे घंटे के अंदर एलर्जी के लक्षण उभरने लगते हैं.

धूल: धूल के कणों में माइक्रोब्स होते हैं जो हमारे आसपास मौजूद रहते हैं. माइक्रोब्स ज़्यादा उमस में पनपते हैं. इनसे होनेवाली एलर्जी में आमतौर पर छींकें, आंख और नाक से पानी बहना जैसी दिक्कत होती है.

कीड़े और मच्छर: ऐसे लोगों को किसी कीड़े के काटने पर स्किन एकदम लाल होकर फूल जाती है. कभी-कभार उल्टी, चक्कर आना और बुखार भी हो सकता है.

खुशबू: खुशबू भी कई लोगों के लिए एलर्जी का कारण हो सकती है. परफ्यूम, खुशबू वाली मोमबत्तियां, कई तरह के ब्यूटी प्रॉडक्ट आदि की खुशबू से सिरदर्द, जी मिचलाने आदि की समस्या हो सकती है.

पालतू जानवर: पालतू जानवर भी कई लोगों की एलर्जी का कारण होते हैं. जानवरों के बाल, उनके मुंह से निकलने वाली लार, रूसी आदि से कई लोगों को गंभीर परेशानियां होती हैं.

 

मौसम: कई लोगों को किसी खास मौसम से भी एलर्जी होती है. जब मौसम बदलने लगता है तो इन लोगों को गले की खराश, बुखार, नाक बहना, आंखों में जलन जैसी समस्या होती है.

मेटल: कई लोगों को मेटल जैसे कि गोल्ड या सिल्वर ऑक्सिडाइज्ड जूलरी से एलर्जी होती है तो कुछ को लेदर या सिंथेटिक कपड़ों से.

दवा: किसी खास दवा से एलर्जी भी काफी लोगों को होती है. अगर उस दवा को लेना जारी रखा जाए तो परेशानी बढ़ सकती है.

घास: कई बार घास, पेड़ और फूल भी एलर्जी का कारण होते हैं. इनके संपर्क में आने पर खुजली, आंखों में जलन, लगातार छींक और खुजली जैसी समस्या हो सकती है.

रबड़: कुछ लोगों को रबड़ से बनी किसी भी चीज़ (गलव्स, कंडोम, मेडिकल इक्विमेंट आदि) के इस्तेमाल से जलन, नाक बहना, छींकना, सांस की घबराहट और खुजली की समस्याएं हो सकती हैं.

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किन्हें एलर्जी होने का ख़तरा ज़्यादा होता है?

 

विशेषज्ञों के अनुसार गांवों में रहनेवालों की तुलना में शहरों में रहने वालों में एलर्जी की समस्या ज़्यादा पाई जाती है. जिन बच्चों को ज़्यादा साफ़-सफ़ाई के साथ पाला जाता है, उनमें भी यह समस्या ज़्यादा पाई जाती है, क्योंकि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम ज़्यादा डिवेलप नहीं हो पाता. इसके अलावा बच्चों में एलर्जी होने की आशंका बड़ों से कहीं ज़्यादा होती है. इसी तरह बुजुर्गों में भी एलर्जी की समस्या काफी कॉमन है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर हो जाता है. कई बार एलर्जी आनुवांशिक भी होती है. पैरेंट्स को अगर धूल या किसी और चीज से एलर्जी हो तो बच्चे को एलर्जी होने के चांस बढ़ जाते हैं, हालांकि यह ज़रूरी नहीं है कि दोनों की एलर्जी का स्वरूप एक जैसा ही हो.

कैसे करें बचाव?

Remedies To Get Rid Of Allergy Fast
1. बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए उन्हें धूल-मिट्टी और धूप में खेलने दें. ये बच्चों को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. उन्हें बारिश या दूसरे पानी से भी खेलने दें. हां, धूल-मिट्टी में खेलने के बाद उनके हाथ-पैर अच्छे से धुलवाना न भूलें.
2. अगर किसी को धूल और धुएं से एलर्जी है तो घर से बाहर निकलने से पहले नाक पर रुमाल रखना चाहिए. बचाव ही एलर्जी का इलाज है.
3. जिन लोगों को ठंड से एलर्जी है, वे ठंडी और खट्टी चीज़ों जैसे कि अचार, इमली, आइसक्रीम आदि के इस्तेमाल से बचें.
4. गंदगी से एलर्जी वाले लोगों को समय-समय पर चादर, तकिए के कवर और पर्दे भी बदलते रहना चाहिए. कार्पेट यूज न करें या फिर उसे कम-से-कम 6 महीने में ड्रायक्लीन करवाते रहें.
5. जिस दवा से एलर्जी है, उसे खाने से बचें. डॉक्टर को दिखाएं तो इस एलर्जी के बारे में जरूर बताएं.
6. किचन में एग्जॉस्ट फैन ज़रूर लगवाएं और खाना पकाते समय उसे चलाएं.
7. घर को हमेशा बंद न रखें. घर को खुला और हवादार बनाए रखें ताकि साफ हवा आती रहे.
8. खिड़कियों में महीन जाली लगवाएं और जाली वाली खिड़कियों को हमेशा बंद रखें क्योंकि खुली खिड़की से कीड़े और मच्छर आपके घर में घुस सकते हैं.
9. दीवारों पर फफूंद और जाले हो गए हों, तो उन्हें साफ़ करते रहें क्योंकि फफूंद के कारण भी एलर्जी हो सकती है.
10. बारिश के मौसम में फूल वाले प्लांट्स को घर के अंदर न रखें.

एलर्जी का इलाज
. अगर किसी जवान व्यक्ति में ख़ून की कमी, विटमिन डी या कैल्शियम की कमी पाई जाती है तो हो सकता है कि उसे गेहूं से होने वाली ग्लूटन एलर्जी हो. अगर स्किन टेस्ट पॉजिटिव आए तो उन्हें गेहूं के बजाय मक्का, सिंघाड़ा, चने आदि का आटा खाने को दिया जाता है. शरीर में जिन तत्वों की कमी है, उन्हें बढ़ाने के लिए दवाएं भी दी जाती हैं.

. हल्की-फुल्की एलर्जी यानी अगर छींकें आ रही हैं या खुजली हो रही है तो एविल और सिट्रिजिन ले सकते हैं. ये दवाएं कुछ घंटों की राहत के लिए तो ठीक हैं, लेकिन लंबे समय चलनेवाली एलर्जी में बेअसर हैं. एलर्जी होने पर डॉक्टर को दिखाएं. दवा एलर्जी के प्रकार के अलावा मरीज की स्थिति और उम्र के मुताबिक भी तय की जाती है.
इन्हें भी आज़माएं
. रोज़ सुबह नीबू पानी पीएं
. खट्टी और ठंडी चीज़ों से परहेज़ करें.
. कभी-कभी कोई दवा खाने से भी एलर्जी हो जाती है इसलिए हमेशा दवा डॉक्टर से पूछकर ही लें.
– अगर स्किन एलर्जी है तो फिटकरी के पानी से प्रभावित हिस्से को धोएं. नारियल तेल में कपूर या जैतून तेल मिलाकर लगाएं. चंदन का लेप भी राहत देता है. इससे खुजली कम होती है और चकत्ते भी कम होते हैं.
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. योग और नैचुरोपथी एलर्जी से लड़ने में काफी कारगर हैं. एलर्जी से बचने के लिए पेट साफ़ रखना चाहिए. बहुत गर्म या बहुत ठंडा खाना नहीं खाना चाहिए. हमेशा साफ़ पानी पीना चाहिए. रोजाना क़रीब 15 मिनट अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका प्राणायाम करने से एलर्जी में फायदा होता है क्योंकि इनसे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.
. अगर जल्दी-जल्दी सर्दी और जुकाम की एलर्जी हो तो सुबह उठकर गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीएं.
. प्रदूषण से होने वाली एलर्जी से बचने के लिए गुनगुने पानी में तुलसी, नीबू, काली मिर्च और शहद डालकर पीएं.
. बदलते मौसम में होने वाली एलर्जी से बचने के लिए खट्टी चीजें जैसे कि अचार और तली-भुनी चीजें खाने से परहेज़ करें.

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अस्थमा और एलर्जी में फर्क
अस्थमा और एलर्जी में कई चीजें कॉमन हैं, लेकिन फिर भी दोनों अलग-अलग हैं. लगातार कई दिनों तक जुकाम, खांसी या सांस लेने में दिक्कत हो तो इन्फेक्शन इसकी वजह हो सकता है, जबकि अस्थमा में सांस लेने में परेशानी के अलावा रात में सोते समय खांसी आना, छाती में जकड़न महसूस होना, एक्सरसाइज करते हुए या सीढ़ियां चढ़ते वक्त सांस फूलना या खांसी आना, ज़्यादा ठंड या गर्मी होने पर सांस लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण होते हैं.

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Super Sweet: तैमूर की बहन इनाया नवमी खेमू की पहली तस्वीर(Kunal Khemu Shares Photo Of Daughter Inaya)

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बॉलीवुड के सुपर स्वीट स्टार किड्स की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है. वो है सोहा अली ख़ान और कुणाल खेमू (Kunal khemu) की बेटी इनाया नवमी खेमू ( Inaaya Naumi Khemu ) का. चिल्ड्रेंन्स डे के अवसर पर कुणाल ने इनाया ने ट्विटर पर बहुत-सी प्यारी पिक शेयर की, जिसमें वे डॉल जैसी दिख रही हैं.

कुणाल ने सोशल मीडिया पर अपनी इस नन्हीं गुडिया की फोटो पोस्ट करके कहा, “आप सभी को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. तुम्हारी मासूमियत इसी तरह से हमें जिंदगी में एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती रहे.”

ग़ौरतलब है कि सोहा और कुणाल की वर्ष 2015 में शादी हुई थी. इनाया का जन्म इस साल 29 सितंबर को हुआ. ख़ान परिवार पहले ही तैमूर के जन्म से ख़ुशियों में डूबा हुआ था, इनाया के जन्म के साथ उनकी ख़ुशी दोगुनी हो गई. उम्मीद है कि हमें इनाया की एेसी और प्यारी पिक्चर्स हमें देखने को मिलती रहेंगी.

 

बता दें कि इससे पहले सोहा ने अपनी पति कुणाल और बेबी इनाया की एक फोटो शेयर की थी जिसमें कुणाल इनाया को अपनी गोदी में लेकर बैठे नजर आ रहे थे

Kunal Khemu Shares Photo Of Daughter Inaya

इनाया के जन्म के बाद अस्पताल के बाहर मीडिया का अभिवादन करते सोहा और कुणाल.

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कॉर्नेलिया सोराबजी- भारत की पहली महिला एडवोकेट…गूगल ने भी किया याद… (Cornelia Sorabji- India’s First Woman Advocate)

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Cornelia Sorabji, India's First Woman Advocate

 

15 नवंबर, 1866 में महाराष्ट्र के नासिक में जन्मीं कॉर्नेलिया (Cornelia Sorabji) न केवल भारत की पहली महिला वकील हैं, बल्कि देश में व लंदन में लॉ की प्रैक्टिस करनेवाली पहली बैरिस्टर भी हैं. उन्हें देश व समाज सेवा की प्रेरणा उनकी मां से विरासत में मिली. उनकी मां फ्रांसिना फोर्ड नारी शिक्षा की प्रबल पक्षधर थीं. उन्होंने पुणे में लड़कियों की पढ़ाई के लिए कई स्कूल भी खोले. कॉर्नेलिया छह भाइयों में इकलौती बहन थीं.

* वे लेखिका व सोशल वर्कर भी थीं.
* वे बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने के साथ-साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के समरविले कॉलेज से लॉ की पढ़ाई करनेवाली पहली भारतीय महिला भी थीं.
* सन् 1892 में वे लॉ की पढ़ाई के लिए विदेश गईं.
* उस ज़माने में महिलाओं को लेकर बहुत सारी पाबंदियां थीं. भारतीय महिला वकील को कोर्ट में प्रैक्टिस की अनुमति नहीं थी. ऐसे में उन्हें इसके लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा.
* आख़िरकार लंबे संघर्ष के बाद 1904 में बंगाल कोर्ट में लेडी असिस्टेंट के रूप में जुड़ीं.

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* 1907 में उन्हें असम, बिहार, उड़ीसा के कोर्ट में सहायक महिला एडवोकेट के पोस्ट पर काम करने को मिला.
* साल 1924 में उन्होंने कोलकाता व ब्रिटेन में भी प्रैक्टिस शुरू की.
* उन्होंने लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ते हुए अंततः महिलाओं को वकालत से रोकनेवाले क़ानून को कमज़ोर कर उनके लिए लॉ की प्रैक्टिस करने के रास्ते बनाएं.
* उन्होंने देश की क़रीब छह सौ महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में सहायता की.
* अंत में 1929 में हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट के रूप में रिटायरमेंट लिया.

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* उन्होंने लॉ के अलावा सोशल वर्क व कई लेख, शॉर्ट स्टोरीज़, बुक्स आदि भी लिखीं, जिनमें से उनकी ऑटोबायोग्राफी ‘इंडिया कॉलिंग’ सुर्ख़ियों में रही.
* आज उनके 151 जन्मदिवस पर गूगल ने उन्हें डूडल कर सम्मानित किया.
* 6 जुलाई, 1954 में लंदन में 88 की उम्र में उनका देहांत हुआ.
* देश में ही नहीं, बल्कि इंग्लैंड में भी कॉर्नेलिया सोराबजी को सम्मान के साथ याद किया जाता है.

– ऊषा गुप्ता

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पहला अफेयर: पहला-पहला प्यार है… (Pahla Affair: Pahla Pahla Pyar Hai)

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Pahla Affair, Pahla Pahla Pyar Hai
पहला अफेयर: पहला-पहला प्यार है… (Pahla Affair: Pahla Pahla Pyar Hai)

भारतीय नारी के लिए पहला प्यार ही उसके जीवन का आधार होता है. मम्मी-पापा ने भी बचपन से यही सिखाया था कि भारतीय संस्कृति में लड़कियां पहले शादी करती हैं और बाद में उन्हें प्यार होता है. उस वक़्त तक मैं प्यार के एहसास से भी अनजान थी. मेरा तो शौक़ था पढ़ाई और कविताएं लिखना.

जब मम्मी ने मेरी शादी का फैसला सुनाया, तब मेरी उम्र मात्र 17 वर्ष थी.

“पर अभी तो मुझे पढ़ना है.” मैं चिल्लाई थी.

“अभी कौन-सा शादी कर रहे हैं? तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.”  मां ने मुझे आश्‍वस्त किया. आख़िर मैं भी जानना चाहती थी कि वो शख़्स कौन है? जब नाम सुना तो पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई. हमारे सामनेवाले मकान में रहनेवाले राज ही मेरे होनेवाले पति थे.
मेरी ख़ामोशी को मेरी हां मान लिया गया था. बात आगे चली तो उनकी तरफ़ से भी हां कर दी गई. मेरी दो शर्तें थीं- एक तो मुझे पढ़ाई जारी रखनी है और दूसरी ये कि कॉलोनी में इस रिश्ते की चर्चा नहीं होनी चाहिए. .

हमारी सगाई कर दी गई, परंतु बाकी लोगों से इस बात को छुपाए रखा गया. एक दिन मम्मी से मिलने उनकी सहकर्मी आईं. उनको विदा करने मैं और मम्मी दरवाज़े तक आए तो सामने राज को खड़ा देखकर मैं छुपकर भागना ही चाहती थी कि मम्मी ने अपना पांव मेरे पांव पर ज़ोर से रख दिया. मैं घबरा-सी गई. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मम्मी ने पांव तब तक दबाए रखा, जब तक वो सहकर्मी विदा नहीं हो गई. उनके जाने के बाद मम्मी ने डांटा कि इस तरह भागने की क्या ज़रूरत थी. ऐसे तो किसी को न मालूम हो तो भी पता चल जाएगा.

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आख़िर इस रिश्ते का ऐलान तो करना ही था. ऐलान होते ही चारों तरफ़ हंगामा हो गया था. इस तरह आमने-सामने घरों में रिश्ता होने का कॉलोनी में यह एक अनोखा उदाहरण था. लेकिन मैं इन सबसे दूर पढ़ाई में व्यस्त थी. मुश्किल ये थी कि अब उनका सामना करना भी दूभर हो गया था मेरे लिए. जैसे ही राज सामने दिखते, मैं भागकर अपने घर में घुसकर दरवाज़ा बंद कर लेती.
एक दिन मेरे पीठ दिखाते ही वे बोल पड़े, “नाराज़ हो क्या?” मेरे पांव ठिठक गए. दिल ने कहा, पलटकर देख लूं, पर संस्कारों में मिली मर्यादा मुझे राज को खुलेआम देखने से रोक रही थी.

बस, यहीं से कुछ हलचल-सी हुई मन में. मेरा कवि मन जो प्यार के विषय से अछूता था, कुछ चाहने लगा था. मेरी सारी भावनाएं कलमबद्ध होने लगी थीं. मन में राज के लिए प्यार का अंकुर फूट चुका था, लेकिन मैं उनसे मिलने का साहस नहीं कर पाई. हां, अपनी खिड़की से उनकी एक झलक पाने के लिए हमेशा बेताब रही.

एक दिन मैं अपनी पड़ोस की सहेली के घर बैठी थी कि राज वहां जान-बूझकर पहुंच गए. उन्हें देख मैं घबराहट के मारे सहेली के बाथरूम में जाकर घुस गई. बाथरूम में नल से पानी बह रहा था और नल था कि बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे सारे कपड़े भीग गए. मैं फिर भी बाहर नहीं आई. मैं ख़ुद ही नहीं समझ पा रही थी, जिनको देखने के लिए मैं घंटों अपनी खिड़की में खड़ी रहती थी, उनके सामने आते ही मेरी ऐसी हालत क्यों हो जाती है?

वो पहली बार था, जब मैंने प्यार के एहसास को महसूस किया था. आख़िर दो वर्ष बाद इस प्यार की परिणति विवाह में हुई. अब तक डायरी में लिखी सारी भावनाएं शादी के बाद जब मैंने राज के सामने रखीं तो वे आश्‍चर्यचकित रह गए. बोले, “कभी चेहरा भी न दिखानेवाली लड़की अपने मन में इतनी भावनाएं रखती है मेरे प्रति.” आज ज़िंदगी में फूल ही फूल खिले हैं. हम दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे अपने पहले प्यार से बनी राहों पर चल रहे हैं.

– संगीता सेठी

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हेमा मालिनी ने लिखा दीपिका पादुकोण को लेटर, जानें क्या है लेटर में? (Hema Malini Hands Over The Baton To Deepika Padukone With A Handwritten Note)

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Hema Malini, Deepika Padukone, Handwritten Noteड्रीमगर्ल हेमा मालिनी ने दीपिका पादुकोण को लिखा एक ख़त. हाथ से लिखे इस ख़त को दीपिका ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर किया है. पिछले कई दिनों से दीपिका, रणवीर सिंह, शाहिद कपूर स्टारर संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. ऐसे में हेमा मालिनी का ये लेटर दीपिका के लिए एक स्ट्रेंथ बनकर आया है. हेमा मालिनी के ख़त के मुताबिक़ अगर उनके टाइटल ड्रीमगर्ल की कोई हकदार है, तो वो हैं दीपिका पादुकोण. जिस तरह से आज दीपिका फिल्में चुन रही हैं या कर रही हैं, वो हेमा मालिनी को उनकी रज़िया सुल्तान जैसी फिल्मों की याद दिलाती है. दीपिका में उन्हें वो काबिलियत नज़र आती है, इसलिए हेमा मालिनी चाहती हैं कि दीपिका उनकी परंपरा को आगे बढ़ाएं.

कुछ ही दिनों पहले हेमा मालिनी के जन्मदिन पर दीपिका ने हेमा मालिनी की बायोग्राफी बियॉन्‍ड द ड्रीमगर्ल का विमोचन किया था. जहां हेमा मालिनी ने दीपिका की तारीफ़ करते हुए कहा था कि दीपिका एक प्रतिभाशाली और मेहनती कलाकार हैं.

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पद्मावती को लेकर चल रहे विवाद में अब दीपिका का बयान भी सामने आया है, उन्होंने कहा कि कोई भी चीज़ इस फिल्म को रिलीज़ होने से नहीं रोक सकती है.

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सलमान खान भी इस फिल्म को लेकर संजय लीला भंसाली को सपोर्ट करने के लिए आगे आए हैं. सलमान ने एक इंटरव्यू में कहा कि बिना फिल्म देखे कोई कैसे फैसला कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि संजय लीला भंसाली कभी ग़लत फिल्में नहीं बनाते हैं, उनकी फिल्मों में कुछ ग़लत नहीं होता है. सेंसर बोर्ड को इसमें आगे आकर बात करनी चाहिए.

ख़बरे हैं कि फिल्म पद्मावती का विरोध करने वाले लोगों को फिल्म में एक ड्रीम सीक्वेंस में पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कुछ इंटीमेट सीन फिल्माए गए है, जिसका विरोध किया जा रहा है. साथ ही इस फिल्म में इतिहास के साथ भी छेड़छाड़ करने के भी आरोप लग रहे हैं.

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ये रिश्ता क्या कहलाता है सीरियल की टीम पहुंची ग्रीस! (Ye Ristha Kya Kehlata Hai rocks in Greece!)

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जब किसी सीरियल की शूटिंग आउटडोर लोकेशन पर होती है, तो सीरियल की ख़ूबसूरती तो निखरती ही है, सीरियल के कलाकार भी ख़ुश हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ ये रिश्ता क्या कहलाता है (Ye Ristha Kya Kehlata Hai) सीरियल में. जी हां, मोहसिन ख़ान (Mohsin Khan) और शिवानी जोशी (Shivani Joshi) को अब आप ग्रीस के लोकेशन में देखेंगे. राजन शाही ने अपने सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है की शूटिंग के लिए ग्रीस के ख़ूबसूरत नज़ारों को चुना है.

मोहसिन ख़ान और शिवानी जोशी ने शूटिंग के साथ-साथ ग्रीस के ख़ूबसूरत नज़ारों का लुत्फ़ उठाने का मौक़ा हाथ से जाने नहीं दिया.

ग्रीस के ट्रेडिशनल अटायर में ये दोनों बहुत प्यारे लग रहे हैं. फिल्म तमाशा के गीत मटरगश्ती खुली सड़क पर… की तर्ज़ पर दोनों जमकर लुत्फ़ उठाते नज़र आ रहे हैं.

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शूटिंग के दौरान मोहसिन ख़ान और शिवानी जोशी को ग्रीस के लोकल कलाकारों से मिलने का मौक़ा भी मिला. ग्रीस के कलाकारों ने इन दोनों को ग्रीस में घूमने के टिप्स भी दिए.

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भई, इसे कहते हैं आम के आम और गुठलियों के दाम. शूटिंग के साथ यदि ग्रीस जैसे ख़ूबसूरत देश में घूमने का मौका मिल जाए, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है.

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जानें ऐश्वर्या-अभिषेक की लाडली आराध्या के बर्थडे प्लान्स (Aaradhya Bachchan’s sixth birthday Bash Plans)

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अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या बच्चन की लाडली बेटी आराध्या बच्चन 16 नवंबर को 6 साल की हो जाएंगी. आराध्या भी स्टार किड हैं. क्यूट आराध्या के बर्थडे के लिए ख़ास थीम सिलेक्ट की गई है.

ऐश्वर्या राय के पिता कृष्णराज राय के निधन के बाद अमिताभ बच्चन ने इस साल अपना 75वां बर्थडे बड़े ही साधारण तरीक़े से मनाया गया था और ख़बरे हैं कि उनकी पोती आराध्या बच्चन का बर्थडे सेलिब्रेशन भी सामान्य होगा.

आराध्या के बर्थडे पर बच्चन और राय परिवार के सदस्य तो होंगे ही, साथ ही कई सेलिब्रिटीज़ को उनके बच्चों के साथ इनवाइट किया गया है. आराध्या का ये स्माल बर्थडे बैश अमिताभ बच्चन के पुराने बंगले प्रतीक्षा पर रखी जाएगी.

देखिए स्टार किड आराध्या की कुछ और पिक्चर्स.

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First Look: श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर की डेब्यू फिल्म धड़क का फर्स्ट लुक जारी (First Look: Jahnavi Kapoor And Ishaan Khattar In Dhadak)

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श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर (Jahnavi Kapoor) की बॉलीवुड डेब्यू को लेकर अब तक काफी चर्चा हो रही थी. लीजिए, अब इंतजार खत्म हो गया है. जाह्नवी कपूर की फिल्म ‘धड़क’ का फर्स्ट लुक जारी हो चुका है.

First Look, Jahnavi Kapoor, Ishaan Khattar, movie Dhadak

करण जौहर (Karan Johar) के प्रोडक्शन में बन रही फिल्म ‘धड़क’ से जाह्नवी बॉलीवुड डेब्यू करने जा रही हैं. जाह्नवी के अलावा फिल्म में शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) के भाई ईशान खट्टर (Ishaan Khattar) भी हैं. करण जौहर ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए धड़क फिल्म का फर्स्ट लुक जारी कियाहै.

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First Look, Jahnavi Kapoor, Ishaan Khattar, movie Dhadak

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पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… (Panchtantra Ki Kahani: Day Dreams)

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पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani

पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… (Panchtantra Ki Kahani: Day Dreams)

एक गांव में एक लड़की अपनी मां के साथ रहती थी. वो लड़की मन की बहुत चंचल थी. अक्सर सपनों में खो जाया करती थी. एक दिन वो दूध से भरा बर्तन लेकर शहर जाने की सोच रही थी. उसने अपनी मां से पूछा, “मां, मैं शहर जा रही हूं, क्या आपको कुछ मंगवाना है?”

उसकी मां ने कहा, “मुझे कुछ नहीं चाहिए. हां, यह दूध बेचकर जो पैसे मिलें, उनसे तुम अपने लिए चाहो तो कुछ ले लेना.”

पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani
वो लड़की शहर की ओर चल पड़ी. चलते-चलते वो फिर सपनों में खो गई. उसने सोचा कि ये दूध बेचकर भला मुझे क्या फ़ायदा होगा. ज़्यादा पैसे तो मिलेंगे नहीं, तो मैं ऐसा क्या करूं कि ज़्यादा पैसे कम सकूं… इतने में ही उसे ख़्याल आया कि दूध बेचकर जो पैसे मिलेंगे उससे वो मुर्गियां ख़रीद सकती है. वो फिर सपनों में खो गई“दूध बेचकर मुझे पैसे मिलेंगे, तो मैं मुर्गियां ख़रीद लूंगी, वो मुर्गियां रोज़ अंडे देंगी. इन अंडों को मैं बाज़ार में बेचकर काफ़ी पैसे कमा सकती हूं. उन पैसों से मैं और मुर्गियां ख़रीदूंगी, फिर उनके चूज़े निकलेंगे, उनसे और अंडे मिलेंगे… इस तरह तो मैं ख़ूब पैसा कमाऊंगी…

लेकिन फिर इतने पैसों का मैं करूंगी क्या?…हां, मैं उन पैसों से एक नई ड्रेस और टोपी ख़रीदूंगी. जब मैं यह ड्रेस और टोपी पहनकर बाहर निकलूंगी, तो पूरे शहर के लड़के मुझे ही देखेंगे.

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पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani

सब मुझसे दोस्ती करना चाहेंगे. पास आकर हाय-हैलो बोलेंगे. मैं भी इतराकर उनसे बात करूंगी. बड़ा मज़ा आएगा, लेकिन यह देखकर बाकी की सब लड़कियां तो मुझसे जलने लगेंगी. उन्हें जलता देख मुझे मज़ा आएगा. मैं उन्हें घूरकर देखूंगी और अपनी गर्दन इस तरह से स्टाइल में झटककर आगे बढ़ जाऊंगी.”

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पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani

यह कहते ही उस लड़की ने अपनी गर्दन को ज़ोर से झटका और गर्दन झटकते ही उसे सामने रखे एक पत्थर से ठोकर भी लग गई और दूध से भरा बर्तन, तो उसने सिर पर रख रखा था, नीचे गिरकर टूट गया. यह देख वो सदमे में आ गई और उसकी तंद्रा टूटी. मायूस होकर वो गांव लौटी.

उसने अपनी मां से माफी मांगी कि उसने सारा दूध गिरा दिया. यह सुनकर उसकी मां ने कहा, “दूध के गिरने की चिंता छोड़ो, लेकिन एक बात हमेशा याद रखो कि जब तक अंडे न फूट जाएं, तब तक चूज़े गिनने से कोई फ़ायदा नहीं…” मां की हिदायत और इशारा दोनों उसको समझ में आ गया. उसकी मां यही कहना चाहती थी कि जब तक हाथ में कुछ हो नहीं, तब तक उसके बारे में यूं ख़्याली पुलाव नहीं पकाना चाहिए.

सीख: ख़्याली पुलाव पकाने से कोई फ़ायदा नहीं. दिन में सपने देखकर उनमें खोने से कुछ नहीं होगा. अगर सच में कुछ हासिल करना है, तो हक़ीक़त में मेहनत करो.

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