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कहानी- समय की खोह (Short Story- Samay Ki Khoh)

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मानसिक तनाव से मुक्ति के प्रयास में पत्नी तक को भूल जाने वाला व्यक्ति तब भले ही स्वयं को छलता रहा हो, पर आज उसके पास कोई जवाब नहीं है. तब भले ही लोगों ने पत्नी की मृत्यु के बाद उनकी अश्रुविहीन आंखें देखकर अध्यात्म प्रदत्त उदासीनता की संज्ञा दी हो, किन्तु वे जानते हैं कि यह सच नहीं था.

एकाएक उन्हें लगा कि पत्नी आवाज़ देकर बुला रही है. उनकी तन्द्रा टूट गई. दृष्टि घुमाकर उन्होंने चारों ओर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था.

पिछले कुछ दिनों से उन्हें बार-बार लगता है कि पत्नी उनसे हिसाब मांग रही है. मानसिक तनाव से मुक्ति के प्रयास में पत्नी तक को भूल जाने वाला व्यक्ति तब भले ही स्वयं को छलता रहा हो, पर आज उसके पास कोई जवाब नहीं है. तब भले ही लोगों ने पत्नी की मृत्यु के बाद उनकी अश्रुविहीन आंखें देखकर अध्यात्म प्रदत्त उदासीनता की संज्ञा दी हो, किन्तु वे जानते हैं कि यह सच नहीं था. सच यह था कि पत्नी से जुड़ाव इतना कम हो गया था उनका कि आंसू आंखों में आये ही नहीं.

बाबा ने तब उन्हें गुरुमंत्र दिया था. द़फ़्तर के अलावा उनका सारा समय बाबा के दिखाए रास्ते पर चलने में गुज़रने लगा था. सुबह उठकर दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान करके कुछ देर भजन-पूजन में लगाकर वे डॉक्टर परमानन्द के पास चले जाते. वहां से द़फ़्तर और द़फ़्तर से सीधे बाबा के पास-आश्रम में. आश्रम में वे सत्संग सुनते. वहां चलने वाले ग्रन्थों के अखण्ड पाठ में लगभग दो घण्टे का समय देते. घर पहुंचकर रात्रि को भोजन करते-करते ग्यारह बज चुके होते, तब भी वे न सोते. होमियोपैथी की पुस्तकों का अध्ययन करके बारह-साढ़े बारह बजे बिस्तर पर जाते.

इस दिनचर्या से उनको सन्तुष्टि मिली हो या न मिली हो, किन्तु तनाव से उन्हें छुटकारा मिल गया था. सुबह से लेकर देर रात तक कुछ-न-कुछ करते रहने के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से वे इतने थक चुके होते कि कुछ और सोचने का समय उन्हें मिल ही नहीं पाता था. नींद अच्छी आने लगी थी. मुक्त, निर्द्वन्द्व मस्तिष्क, मन की नई अवस्था ने उन्हें आश्‍वस्त किया था कि होमियापैथी में पारंगत हो जाने के बाद बाबा के निर्देशानुसार निःशुल्क चिकित्सालय खोलकर वे आत्मसंतोष का वरण भी कर सकेंगे.

आत्मसंतुष्टि की खोज की इस प्रक्रिया में जो कुछ उनसे छूटता जा रहा था, उसके दुष्परिणाम उनकी दृष्टि से ओझल थे. पत्नी की अस्वस्थता को यदि संकेत मानकर वे सजग हो गए होते तो बाद में संभवतः नौबत ऐसी न आती. किन्तु आत्मसंतुष्टि के मार्ग की यात्रा का नशा इतना ज़्यादा था कि बाकी सब कुछ गैरज़रूरी लगता था उन्हें. पहले वे पत्नी को मासिक व्यय के लिए  एक बंधी राशि देकर गृह व्यवस्था से निश्‍चिंत होकर अपने कमरे में एकान्त का रसास्वादन किया करते थे. रहते चाहे अलग-थलग थे, मगर होते घर में ही थे. गृहस्थी की आवश्यकताओं की पूर्ति में पत्नी की मदद भले न करते हों, किन्तु घर में उनकी उपस्थिति मात्र पर्याप्त होती थी. पत्नी मानसिक रूप से उनके साथ बहुत गहराई तक जुड़ी हुई थी. दिनचर्या का निर्वाह वह भले ही अकेली कर लेती हो, किन्तु पति की निकटता उसकी मानसिक आवश्यकता थी. सब कुछ करके भी वह पति को ही घर का सर्वेसवा व प्रमुख मानती थी. पति उससे बहुत अधिक योग्य, बहुत अधिक सक्षम हैं, इस बात को सम्मानपूर्वक  अपने हृदय में आसीन किया हुआ था उसने.

अब जबकि व्यस्तताओं ने उन्हें घर से दूर कर दिया था, ऊपर से पूर्ववत् होते हुए भी सब कुछ सामान्य नहीं रहा था, फिर भी घर पहले की तरह चल रहा था. बच्चों के पालन-पोषण, उनकी देखभाल में कोई अन्तर नहीं आया था. भोजन भी आवश्यकतानुसार उन्हें वांछित समय पर परोस दिया जाता था. पहले की तरह ये सारे काम उनकी पत्नी करती जा रही थी, किन्तु उसके व्यवहार में एक विशेष प्रकार का परिवर्तन आता जा रहा था. वह बैठी होती तो बैठी ही रह जाती, हंसती तो बहुत देर तक हंसती रहती. आने-जाने वालों, नाते-रिश्तेदारों के साथ व्यवहार में या तो अनुपात से अधिक सौजन्य होता था या फिर एकदम रूखापन.

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इस परिवर्तन को वे कई दिनों तक लक्ष्य नहीं कर पाए. जब ध्यान आया भी तो अपने बाहर बने रहने के साथ वे इसका संबंध नहीं समझ पाए. परिणामतः सुघड़, बुद्धिमती और व्यवस्था निपुण उनकी पत्नी मानसिक और स्नायुविक शिथिलता का शिकार होती चली गई.

प्रारम्भ में वे इस आशा से निष्क्रिय बने रहे कि पत्नी स्वयं ठीक हो जाएगी. उन्होंने नहीं सोचा था कि पत्नी सिरदर्द, ज़ुकाम या खांसी से पीड़ित नहीं है कि पांच-सात दिन में अपने आप ठीक हो जाएगी. परिणामस्वरूप धीरे-धीरे वह क्या और क्यों का स्वाभाविक ज्ञान भी खो बैठी. वे सचेत तब हुए जब पत्नी की हरकतों में, बातचीत में, व्यवहार में और क्रियाकलापों में बेतुकापन बहुत ज़्यादा बढ़ गया.

तब कहीं जाकर उन्होंने चिकित्सकों से परामर्श किया. मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराकर पत्नी का उपचार कराया. चिकित्सकों का मत था कि पत्नी के हृदय पर कोई चोट पड़ी है, जिसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण उनके मस्तिष्क पर असर हुआ है. पत्नी के उपचार के लिए समय चाहिए, इसलिए उन्होंने बाबा से बातचीत करके आश्रम से सम्बन्धित अपनी गतिविधियां बन्द ज़रूर कर दीं, किन्तु तब भी यह एहसास उन्हें नहीं हुआ कि पत्नी की वर्तमान स्थिति के कारण वे स्वयं हैं, उनकी अनुपस्थिति ही इसका कारण है.

आत्मसंतोष की चाह ने कैसा मंददृष्टि बना दिया था उन्हें? उन दिनों वे लगातार पत्नी के साथ बने रहे थे. द़फ़्तर से छुट्टी ले ली थी. पूरा ध्यान चिकित्सा पर केंद्रित करके हर समय पत्नी की सुश्रुषा हेतु प्रस्तुत रहते. वह शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ करने लगी तो उन्होंने श्रेय उपचार को दिया. तब भी वे समझ नहीं पाए कि पति की निकटता का योगदान उपचार से भी अधिक रहा है उनकी पत्नी को ठीक करने में.

लगभग दो माह के निरन्तर सान्निध्य और चिकित्सा के बाद उनकी पत्नी प्रत्यक्ष रूप से तो स्वस्थ हो गई, किन्तु उसकी बुद्धि की कुशाग्रता वापस न लौट सकी. चुप्पी, सुस्ती और अपना मत प्रकट न करना उसके स्वभाव के स्थायी अंग बन गए. घर में जहां वह बैठ गई तो बैठी ही रह जाती. लेटी तो लेटी रह जाती. इच्छा हुई तो नमस्ते कर दी, नमस्ते का जवाब दे दिया या मन में आया तो किसी से बात कर ली. किसी ने पूछा तो भोजन कर लिया, अन्यथा भूखी बैठी रही. एक ख़ास तरह की तटस्थता या कहा जाए निष्क्रियतापूर्ण तटस्थता और अवसाद उसे सदैव घेरे रहता.

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जैसा कि सामान्यतः होता है, प्रयत्नों के बावजूद पत्नी में गुणात्मक परिवर्तन  न पाकर उनकी  सुग्राहिता धीरे-धीरे कम होती चली गई. उनकी बन्द गतिविधियां पुनः प्रारम्भ हो गईं. डॉक्टर परमानन्द के पास जाकर होमियोपैथी चिकित्सा सीखने का क्रम फिर चल पड़ा. अलबत्ता रात को वे घर कुछ जल्दी लौटने लगे, किन्तु पत्नी के बारे में उनकी चिन्ता मात्र औपचारिक पूछताछ व औपचारिक बातचीत तक सिमट कर रह गई.

बाद में जब उनकी पत्नी का देहान्त हुआ, तो उनकी आंखों से आंसू का एक कतरा भी बाहर नहीं आया. वे पत्नी की मृत्यु से किंचित मात्र भी विचलित नहीं हुए. पत्नी की स्मृति में उनकी एक रात भी उनींदी नहीं गुज़री. अब अगर पत्नी उनसे हिसाब मांग रही है, तो वे क्या जवाब दें? जो भूल वे उस समय कर बैठे थे, उसका परिष्कार अब कैसे करें? अपना जीवन वे आत्मसंतोष के सुख से भर पाए हों या नहीं, किन्तु एक भरे-पूरे जीवन को मानसिक यंत्रणा के कगार पर ले जाकर मृत्यु के मुख में धकेल देने का जो काम अनजाने में उनसे हो गया, उसका क्या स्पष्टीकरण दें?

चौंककर उन्होंने फिर आंखें खोल दी हैं. कहीं कोई नहीं है. चालीस साल पुरानी समय की खोह में से निकलकर उनके स्नायुओं पर दस्तक देने के बाद पत्नी फिर अदृश्य हो गई है.

– भगवान अटलानी

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORY


एक्सक्लूसिव बुनाई डिज़ाइन्स: 5 ट्रेंडी किड्स स्वेटर डिज़ाइन्स (Exclusive Bunai Designs: 5 Trendy Kids Sweater Designs)

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Kids Sweater Designs

स्माइल प्लीज़
सामग्रीः 100-100 ग्राम पीले और काले रंग का ऊन, थोड़ा-सा स़फेद और  लाल ऊन, सलाइयां.
विधिः आगे-पीछे का भागः काले रंग से 70-70 फं. डालकर 1 फं. सी., 1 उ. की रिब बुनाई में 2 इंच का बॉर्डर बुनें. फिर उल्टी धारियां बुनें. 6 इंच लंबाई हो जाने पर स़फेद रंग लगाकर 2 इंच बुनें. अब पीले रंग से बुनें. 12 इंच बुनने के बाद मुड्ढे और गला घटाएं. 16 इंच लंबाई हो जाने पर फं. बंद कर दें.
आस्तीनः 36-36 फं. डालकर आगे-पीछे के भाग की तरह बुनाई करते हुए 9 इंच लंबी आस्तीन बुनें.
चारों भागों को जोड़कर गले की पट्टी बुनें. स्वेटर के सभी भागों को जोड़कर सिल लें. आगे के भाग में चित्रानुसार क्रोशिया से आंखें, स़फेद दांत और लाल टाई बुनकर टांकें.

Bunai Designs
स्पोर्ट्स लुक
सामग्री: 75 ग्राम स़फेद रंग का ऊन, 100 ग्राम बचे हुए 4-5 रंगों का ऊन, सलाइयां.
विधि: आगे-पीछे के भाग: 75-75 फं. स़फेद रंग से डालकर 1 फं. सी. 1 उ. की बुनाई में 2 इंच का बॉर्डर बुनें. अब मनचाहे रंग लगाकर 3 फं. सी. बुनें, 1 स़फेद उतारें. 3 बुन,ें 1 स़फेद उतारें- पूरी सलाई ऐसे ही बुनें. उल्टी सलाई में 3 फं. सी. बुनें, 1 स़फेद भी बुन लें. उल्टी सलाई इन्हीं दो रंगों दे पूरी उल्टी बुनें. 2 सलाई स़फेद बुनें, फिर दूसरा रंग लगाएं. चित्रानुसार बुनाई डालते हुए व सीधी-उल्टी सलाई की बुनाई करते हुए बुनें. 11 इंच लंबाई हो जाने पर मुड्ढे घटाएं. आगे के भाग में बीच के 6 बटनपट्टी के फं. स़फेद बुनें. 2 इंच बाद गोल गला घटाएं. 16 इंच लंबा बुनने के बाद पीछे के भाग के कंधे जोड़ें. गले से फं. उठाकर सफेद रंग से कॉलर बुनें. दोनों किनारों पर 1-1 फं. बढ़ाते जाएं.
आस्तीन: 36-36 फं. डालकर आगे-पीछे के भाग की तरह बुनते हुए 12 इंच लंबी आस्तीन बुनें. स्वेटर के सभी भागों को जोड़कर सिल लें.

और भी डिज़ाइन्स देखें: एक्सक्लूसिव बुनाई डिज़ाइन्स: 5 स्टाइलिश किड्स स्वेटर डिज़ाइन्स (Exclusive Bunai Designs: 5 Stylish Kids Sweater Designs)

Trendy Kids Sweater Designs

 

व्हाइट मैजिक
सामग्रीः 300 ग्राम स़फेद रंग का ऊन, थोड़ा-सा बचा हुआ कलरफुल ऊन, सलाइयां.
विधिः आगे-पीछे का भागः 80 फं. डालकर 5 उल्टी धारियों का बॉर्डर बुनें. 4 सलाई सीधी-उल्टी सलाई की बुनाई में बुनें. अब बुनाई डालें- 3 फं. सी., 1 जाली, 1 जोड़ा, 3 सी., 1जाली, 1 जोड़ा- पूरी सलाई ऐसे ही बुनें. उल्टी सलाई पूरी उल्टी ही बुनें. 4 सलाई सीधी-उल्टी बुनें और 5वीं सलाई में ये बुनाई डालते हुए बुनें. 12 इंच बाद मुड्ढे घटाएं. 14 इंच बाद गोल गला घटाएं. कुल लंबाई 18 इंच करें. कंधे जोड़ें. गले के फं. उठाकर गले की पट्टी बुनें. आगे के भाग में कलरफुल ऊन से कढ़ाई करें. 6-6 फं. की सीधी-उल्टी सलाई की बुनाई में पट्टी बुनकर जाली में डाल दें और पीछे से सिल लें.
आस्तीनः 42-42 फं. डालकर आगे-पीछे के भाग की तरह बुनाई डालते हुए 14 इंच लंबी आस्तीन बुनें. टॉप की सिलाई करें.

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सिंपल ब्यूटी
सामग्रीः 300 ग्राम ग्रीन रंग का ऊन, 25-25 ग्राम लाल, क्रीम, काला और ग्रे ऊन, सलाइयां.
विधिः आगे-पीछे का भागः ग्रीन रंग से 100-100 फं. डालकर 2 फं. सी. 2 उ. की बुनाई में 2 इंच का बॉर्डर बुनें. अब बुनाई डालें. चित्रानुसार हर रंग से 2-2 सलाई बुनें. साथ में डायमंड शेप बनाने के लिए जाली-जोड़ावाली बुनाई डालें- 1 जाली, 1 जोड़ा, 3 सी., 1 जोड़ा, 1 जाली, 1 जोड़ा- पूरी सलाई बुनें. उल्टी सलाई पूरी उल्टी बुनें. 1 फं. सी., 1 जाली, 1 जोड़ा, 1 सी., 1 जोड़ा, 1 जाली, 1 सी.- पूरी सलाई इसी तरह बुनें. उल्टी सलाई पूरी उल्टी बुनें. 1 जाली, 3 फं. का 1, 1 जाली, 3 सी., 1 जाली- पूरी सलाई इसी तरह बुनें. इसी बुनाई को दोहराते हुए बुनें. 15 इंच लंबाई हो जाने पर डोरी डालने के लिए जाली बनाएं. 2 फं. सी. 2 उ. की बुनाई में चोली बनाएं. 16 इंच लंबा बुनने के बाद मुड्ढे घटाएं. बटनपट्टी के लिए फं. को आधा-आधा बांट लें. 22 इंच लंबाई हो जाने पर आगे के भाग में गोल गला घटाएं. कुल लंबाई 25 इंच करें. पीछे का भाग भी ऐसे ही बना लें. कंधे जोड़ें. गले की पट्टी बुनें.
आस्तीनः 48-48 फं. डालकर आगे के भाग की तरह बुनाई डालते हुए 10 इंच लंबाई होने तक बुनें. इसके बाद 2 फं. सी. 2 उ. की बुनाई करते हुए 9 इंच और बुनें.
स्वेटर के सभी भागों को जोड़कर सिल लें.

Kids Sweater

ऑल इज़ वेल
सामग्री: 150 ग्राम क्रीम रंग का ऊन, 25-25 ग्राम पिंक, हरा और पीला ऊन, सलाइयां.
विधि: आगे-पीछे का भाग: क्रीम रंग से 80 फं. डालकर 2 फं. सी. 2 उ. का 2 इंचका बॉर्डर बुनें. अब अगली सलाई में 5 फं. पिंक से बुनें, 1 क्रीम बिना बुने उतारें. उल्टी सलाई भी ऐसे ही बुनें. दोनों सलाई फिर दोहराएं. अब यही चारों सलाई दोहराते हुए चित्रानुसार रंग बदलते हुए हरे, पीले, सफेद, पिंक से बुनते जाएं. 13 इंच लंबाई हो जाने पर आगे के पल्ले में गोल गला घटाएं. कुल लंबाई 16 इंच करें. पीछे का भाग भी ऐसे ही बुन लें. लंबाई पूरी हो जाने पर कंधे जोड़ें. गले के फं. उठाकर गले की डबल पट्टी बुनें.
आस्तीन: 36-36 फं. डालकर आगे-पीछे के भागों की तरह बुनाई डालें. 11 इंच लंबी आस्तीन बुनें. हर 7वीं सलाई में 1-1 फं. बढ़ाते जाएं. स्वेटर के सभी भागों को जोड़कर सिल लें.

और भी डिज़ाइन्स देखें: एक्सक्लूसिव बुनाई डिज़ाइन्स- 5 बेस्ट किड्स स्वेटर डिज़ाइन्स (Exclusive Bunai Designs- 5 Best Kids Swetar Designs)

वेडिंग लोन लेने से पहले रखें इन बातों का ख़्याल (Things To Keep In Mind Before Applying For A Wedding Loan)

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Wedding Loan
वेडिंग लोन (Wedding Loan) उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, जो अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए बड़े-बड़े सपने देखते हैं, लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त बजट नहीं होता. अनेक वित्तीय संस्थानों और बैंकों ने ऐसे ही लोगों के सपनों व ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें वेडिंग लोन की सुविधा उपलब्ध कराई है. आज कई ऐसे बैंक हैं, जो होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन की तरह वेडिंग लोन भी देते हैं.

किसको मिल सकता है वेडिंग लोन?

वैसे तो वेडिंग लोन लेने के लिए कोई ख़ास नियम व शर्तें नहीं हैं, लेकिन वेडिंग लोन के नाम पर होनेवाली धोखाधड़ी से बचने के लिए वित्तीय संस्थानों व बैंकों ने कुछ नियम व शर्तें तय किए हैं, जो इस प्रकार से हैं-

– शादी के लिए ऋण लेना चाहते हैं, तो मासिक वेतन कम से कम 20 हज़ार रुपए होना ज़रूरी है.

– सीआईबीआईएल (क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड) यानी क्रेडिट स्कोर 750 होना चाहिए.

 कितनी हो आयु सीमा?

Wedding Loan

– शादी के लिए बैंक से लोन लेने की सोच रहे हैं, तो इसके लिए कम से कम आयु सीमा 25 से 58 साल तक होनी चाहिए.

– इसके अलावा आप जिस क्षेत्र में रहते हों, वहां का कम से कम एक वर्ष का प्रमाणपत्र होना ज़रूरी है.

जानें ब्याज की दर

– हर बैंक में वेडिंग लोन की ब्याज दर अलग-अलग होती है, इसलिए वेडिंग लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों में जाकर ब्याज दर का पता करें.

– ब्याज दर बाज़ार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है.

Wedding Loan Planning

– अधिकतर बैंकों में वेडिंग लोन की ब्याज दर 11-22% होती है. अधिक ब्याज दर के साथ-साथ बैंक प्रोसेसिंग चार्ज सहित अन्य शुल्क भी वसूल करते हैं.

– वेडिंग लोन फाइनल करने से पहले तीन-चार बैंकों की ब्याज दर पूछें. जहां पर कम हो, वहां से लें.

वेडिंग लोन लेने के लिए ज़रूरी हैं  ये दस्तावेज़

– वोटर पहचान पत्रप टेलिफोन/बिजली बिल

– फॉर्म 16

– सैलरी स्लिप

– बैंक स्टेटमेंट

– जो व्यक्ति शादी के लिए लोन ले रहा है, उसकी शादी का निमंत्रण पत्र.

– और अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी देनी होती है.

ऋण चुकाने की अवधि

– प्रत्येक बैंक में ऋण चुकाने की अवधि अलग-अलग होती है, इसलिए लोन फाइनल करने से पहले उसे चुकाने की अवधि के बारे में पूरी व सही जानकारी प्राप्त करें.

– वेडिंग लोन लेने के बाद उसे एक से पांच साल के अंदर ब्याज सहित चुकाना होता है.

– लेकिन कुछ बैंकों में ऋण चुकाने की अवधि तीन साल की है. इस दौरान लोन की रक़म के साथ-साथ ब्याज चुकाना भी बेहद ज़रूरी है.

और भी पढ़ें: लोन लेने से पहले जानें 18 ज़रूरी बातें (18 Important Things Before Taking A Loan)

एक्सपर्ट की राय

बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि वेडिंग लोन लेने की बजाय पर्सनल लोन लेना अधिक अच्छा है, क्योंकि वेडिंग लोन के नाम पर कुछ बैंक बहुत अधिक ब्याज वसूल करते हैं, जो शादी के बाद आपको बोझ लग सकता है.

वेडिंग लोन लेने से पहले ध्यान रखें कुछ ज़रूरी बातें

– बैंकिंग क्षेत्र में आई प्रतिस्पर्धा के कारण वेडिंग लोन लेना बहुत आसान हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बैंक वेडिंग लोन देने के बदले में प्रोसेसिंग शुल्क वसूल करते हैं.

– वेडिंग लोन देने से पहले बैंक आपकी वार्षिक आय और सिक्योरिटी के बारे में सारी जानकारियां हासिल करते हैं.

– लोन लेने से पहले बैंक से कंफर्म कर लें कि आप लोन का भुगतान मासिक, त्रैमासिक या अर्द्धवार्षिक- इनमें से किस तरह से कर सकते हैं.

– हर बैंक में वेडिंग लोन की राशि अलग-अलग निर्धारित होती है. आप अपनी सुविधानुसार, जितनी राशि लोन के लिए चाहिए, उस बैंक से लोन के तौर पर ले सकते हैं.

– लोन लेते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लोन की किश्त आपकी मासिक आय से 15% फीसदी से ज़्यादा न हो. उदाहरण के लिए- यदि आपकी मासिक आय 40 हज़ार रुपए है, तो आपके लोन की किश्त 6 हज़ार रुपए से ज़्यादा न हो.

– अगर लोन की किश्त ज़्यादा होगी, तो इसका सीधा असर आपके मासिक बजट और भविष्य के लिए की गई बचत पर पड़ेगा.

– लोन चुकाने की समय सीमा जितनी लंबी होगी, ब्याज उतना अधिक चुकाना होगा, इसलिए लोन चुकाने की अवधि कम से कम रखें.प इसके अलावा लोन की अवधि कम होने का एक और फ़ायदा यह भी होता है कि लोन की किश्त की राशि तो अधिक होती है, लेकिन कर्ज़दाता को लंबे समय तक किश्त का भुगतान करना पड़ता है.

– इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बेशक लोन की अवधि कम हो, लेकिन होम लोन या क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान समय पर करें. यदि आप इनमें किसी का भी भुगतान समय पर नहीं करते हैं या करना भूल जाते हैं, तो इसका सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है, जिसके कारण भविष्य में लोन लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

– अगर आपने पहले से ही कार लोन, होम लोन आदि लिए हैं और फिर वेडिंग लोन भी लेना चाहते हैं, तो कोशिश करें कि ये सभी लोन एक ही बैंक से लें. इसका फ़ायदा यह होगा कि एक-दो लोन की रक़म एक ही बैंक में होने के कारण वे बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा के साथ-साथ आकर्षक ब्याज दर भी ऑफर करते हैं. इस आकर्षक ब्याज दर के कारण आप पर किश्त का बोझ कम हो जाता है.

– समय-समय पर होनेवाली अतिरिक्त आय, जैसे- कंपनी द्वारा दिए गए बोनस, इंक्रीमेंट, इंसेटिव का उपयोग ऋण चुकाने के लिए करें.

अलर्ट: वेडिंग लोन लेने के लिए सभी वित्तीय संगठनों व बैंकों ने अपने अलग-अलग नियम व शर्तें तय की हैं, इसलिए शादी के लिए लोन लेने से पहले दो-तीन बैंकों से इन नियमों के बारे में सारी जानकारी हासिल कर लें. अपनी सुविधानुसार जहां से सही लगे, वहीं से वेडिंग लोन लें और अपनी शादी को बनाएं यादगार.

और भी पढ़ें: फायनेंशियल प्लानिंग शादी से पहले और शादी के बाद (Financial Planning Before & After Marriage)

– देवांश शर्मा

10 अलर्ट्स जो बताएंगे कहीं आपकी सेक्स लाइफ बेरंग तो नहीं? (10 Alerts Of Colorless Sex Life)

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शादी के कुछ सालों बाद कपल्स (Couples) की सेक्स लाइफ (Sex Life) में रूटीन (Routine) आ जाता है, जिससे अपनी उन्हें सेक्स लाइफ बेरंग (Colorless) लगने लगती है. इसके बहुत से कारण हो सकते हैं. कभी-कभी तो कपल्स को एहसास ही नहीं होता कि उनकी सेक्स लाइफ बेरंग हो गई है. अगर आपकी सेक्स लाइफ बहुत इंट्रेस्टिंग नहीं है, तो आप भी इन अलर्ट्स को देखें और पहचानें कि कहीं आपकी सेक्स लाइफ भी बेरंग तो नहीं हो गई है.

Colorless Sex Life

अलर्ट्स जो बताएंगे कहीं आपकी सेक्स लाइफ बेरंग तो नहीं?

1. सेक्स अब पहले की अपेक्षा कम होता है.

2. रोमांटिक बातें लगभग बंद हो गई.

3. सेक्स में कुछ नया करने की चाह नहीं होती.

4. सेक्स मात्र शारीरिक क्रिया बनकर रह गई.

5. एक-दूसरे की बात सुनने या चाहत जानने की जिज्ञासा नहीं रही.

6. पार्टनर सेक्स को टालने लगे हैं.

7. हमेशा थकान या बिज़ी रहने के कारण सेक्स में दिलचस्पी कम हो गई.

8. सेक्स को पहले की तरह एंजॉय नहीं करते.

9. सेक्स के समय पार्टनर की दिलचस्पी और उसका सहयोग नहीं मिलता.

10. पार्टनर अब पहले की तरह आकर्षक नहीं लगता, फिर भले ही वो कितने ही आकर्षक कपड़ों में सामने आए और सेक्स में पहल भी करे, लेकिन आपका ध्यान ही नहीं जाता उसकी तरफ़.

ये तमाम लक्षण आपके लिए सिग्नल है कि आपको कुछ करना होगा, ताकि आपकी सेक्स लाइफ बोरिंग रूटीन बनकर न रह जाए.

फिर से लाएं खोई गर्माहट और ताज़गी

– पार्टनर की दिलचस्पी सेक्स में कम हो गई है, तो आपका फर्ज़ बनता है कि आप पहल करें और पार्टनर की दिलचस्पी फिर से जगाएं.

– पार्टनर से पूछें कि उसे कोई मानसिक या शारीरिक समस्या तो नहीं. यदि है, तो एक्सपर्ट से संपर्क करें.

– सेक्स में ज़बर्दस्ती कभी भी न करें, क्योंकि इससे पार्टनर की सेक्स के प्रति दिलचस्पी और आपके प्रति लगाव भी कम होता जाएगा.

– उससे प्यार से बात करें, बात करते समय सहलाएं. चूमें और बालों में हल्के-हल्के उंगलियां फेरें. ऐसा करने पर मूड न होने पर भी धीरे-धीरे मूड बनने लगता है और पार्टनर बेहतर महसूस करता है.

– हाइजीन का पूरा ख़्याल रखें. कई बार इस तरह की बातें भी सेक्स में दिलचस्पी कम कर देती हैं और पार्टनर चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता. बेहतर होगा कपल्स साफ़-सफ़ाई का पूरा ध्यान रखें.

– कमरे का माहौल भी शांत और रोमांटिक हो. चादर वगैरह भी साफ़-सुथरी होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें: जानें परफेक्ट सेक्स पार्टनर की 5 ख़ूबियां (5 Signs Of Perfect Sex Partner)

Sex Life

– बेडरूम को अपने स्मार्ट फोन और लैपटॉप से दूर ही रखें. बहुत ज़्यादा इनका प्रयोग या टीवी देखना भी सेक्स लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. अक्सर इन गैजेट्स ने हमारी लाइफ में बहुत हद तक जगह बना ली है, लेकिन इन्हें हम-तुम के बीच ‘वो’ न बनने दें. इससे पार्टनर को लगेगा कि आपको उसमें दिलचस्पी ही नहीं है और न आपका ध्यान उसकी बातों की तरफ़ है.

– पर्सनल टाइम में पार्टनर को पूरा अटेंशन दें, उसे यह लगना चाहिए कि यह व़क्त स़िर्फ और स़िर्फ आप दोनों का है, जिसमें किसी और के लिए कोई जगह नहीं.

– पार्टनर को यह महसूस कराएं कि सेक्स से भी कहीं अधिक ज़रूरी आपके लिए उनका साथ है. इस तरह का भावनात्मक लगाव एक-दूसरे को और क़रीब लाता है.

– सेक्स में क्या नयापन लाना चाहिए इस पर भी खुलकर न स़िर्फ चर्चा करें, बल्कि साथ मिलकर प्लान करें कि आज की रात या इस वीकेंड को कैसे और भी रोमांटिक बनाया जा सकता है.

– कलर्स भी सेक्स लाइफ पर प्रभाव डालते हैं, तो एक-दूसरे की पसंद-नापसंद को ध्यान में रखते हुए कमरे में कलर्स ऐड करें और अपने आउटफिट्स और इनर वेयर में भी सेक्सी कलर्स और स्टाइल सिलेक्ट करें.

– सेक्स के व़क्त काम व तनाव को भूलकर पार्टनर पर ही पूरा ध्यान केंद्रित होना चाहिए, वरना अक्सर लोग उस व़क्त भी दूसरी बातें करते हैं और सेक्स को एक क्रिया मात्र बना देते हैं, जिससे पार्टनर को लगता है कि उनका साथी उन्हें स़िर्फ इच्छा पूरी करने वाला जिस्म समझता है.

– दूसरी तरफ़ कुछ लोग सेक्स को एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं, ख़ासकर महिलाएं सेक्स को इमोशनल ब्लैक मेलिंग का बेहतरीन हथियार समझती हैं और सेक्स के व़क्त ही तरह-तरह की डिमांड करके पति से बातें मनावाने की कोशिश करती हैं. ऐसा करने से पति के मन में पत्नी के प्रति वो सम्मान नहीं रह जाता और वो भी प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाने लगता है.

– सेक्स के समय रोमांटिक बातें ही करें. ताने-उलाहने व शिकवे-शिकायत से बचें.

– पुरानी रोमांटिक बातें व साथ गुज़ारे हसीन पलों को याद करें, उन पर बात करें, साथ हसें, खिलखिलाएं, क्योंकि ये तमाम बातें आपको ताज़गी का एहसास कराती हैं.

– सेक्स लाइफ को बोरिंग होने से बचाने का मतलब स़िर्फ बेडरूम तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि हर पल, हर लम्हे को आपके बेहतर बनाना होगा. एक-दूसरे का अटेंशन देना होगा, क्योंकि पूरे दिन के क्रिया-कलापों का निचाड़ ही सेक्स लाइफ में झलकता है. दिन अच्छा होगा, मूड अच्छा होगा, तो रिश्ता बेहतर होगा… और बेहतर रिश्ते का मतलब है बेहतर सेक्स लाइफ और मज़ूबत-अटूट बंधन.

– विजयलक्ष्मी

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पहला अफेयर: यादों की परछाइयां… (Pahla Affair: Yaadon Ki Parchhaiyan)

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Pyar Ki Kahani

पहला अफेयर: यादों की परछाइयां… (Pahla Affair: Yaadon Ki Parchhaiyan)

जहाज़ ने अपनी चाल पकड़ ली है. बस, मेरी यादों की चाल ढीली पड़ गई है. कभी-कभी तन्हाई जीवन को उलट-पलट कर देखने के अवसर देती है- उसकी कुनीन-सी कड़वी बातों ने उसे दोबारा पाने के मेरे दंभ को चकनाचूर कर दिया है. मैं अपने जीवन को तराज़ू में तोलने लगी हूं- एक पलड़ा उसे पाने की चाह में ज़मीन छू रहा है और उसके दंभ का पलड़ा हवा से बातें कर रहा है… उसने तो मुझे अपनी ग़लती को जानने का मौक़ा तक नहीं दिया.

बेटी के बार-बार आग्रह पर पहली बार मैं अमेरिका जा रही हूं. क्या देखती हूं कि सामने से हाथ में छोटा सूटकेस पकड़े उसी अकड़ू चाल से आदी चला आ रहा है. मुझे ज़ोर का झटका लगा. ख़ैर, मैं उसे अनदेखा कर सामने फॉर्मैलिटीज़ पूरी करते अपने मामाजी की तरफ़ मुड़ने को हुई, तभी आगे बढ़कर आदी ने कहा- अरे सुरभि, तुम यहां कहां? मेरा संक्षिप्त उत्तर था- बेटी के पास जा रही हूं. और… जाना कि वो अपनी कंपनी की तरफ़ से शिकागो जा रहा है.

न जाने कितने सालों के पत्थर सरकते रहे हैं सीने से. सुना था उसका विवाह किसी अमीर बाप की इकलौती बेटी से हुआ है. नतीजा, उसके लालची पिता को ख़ूब दान-दहेज से लादा गया होगा. प्लेन में हमारी सीटें नज़दीक थीं. वह जानकर अचरज हुआ कि दो वर्ष के अंदर ही उसका माधवी से विवाह-विच्छेद हो गया.

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मैं टीचिंग लाइन में आ गई थी. साहित्य में एमए करने के बाद मैंने पब्लिक स्कूल में वाइस प्रिंसिपल का पद संभाला. माता-पिता के अति आग्रह के बाद विवाह बंधन में भी बंधी.

मुझे लगा शायद हम ऑक्टोपस की तरह अष्ट पद वाले ऐसे प्राणी हैं, जो समाज के कई कालों में जीने की मजबूरी झेलते हैं. और जब हार्दिक पीड़ा शब्दों में ढलनी दुष्कर हो जाती है, तो शायद ऐसी आग का सृजन होता है, जो आस-पास का सब कुछ तहस-नहस कर देती है. उसके तलाक़ का कारण जानना मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता. उसकी बातों में मुझे ठुकराने के पश्‍चाताप का लहज़ा-सा ज़ाहिर था.

आज मेरे मन में कई उद्गार पानी के बुलबुले की तरह उठ-गिर रहे हैं. फिर भी मैं जानना चाहती थी कि मैंने तुमसे तुम्हारी हंसी तो न मांगी थी? अनजाने ही संगिनी बनने का सुख मांग बैठी. और आज है सामने रेतीला मैदान और तेरी यादों की परछाइयां और… तुम्हारे झूठे दंभ के कारण बहुत कुछ झेला है मैंने. मन सागर में आए तूफ़ान की हुंकार सुनी है मैंने.

यूं तो ज़माना ख़रीद सका न हमें… तेरे प्यार के लफ़्ज़ों पर बिकते चले गए हम…

फ्लाइट के लैंड करते ही आदी न जाने कहां गायब हो गया. मुझे कुछ कहने तक का मौक़ा नहीं दिया. यूं भी अब खोखली यादों के सिवा क्या था मेरे पास. ये मेरी यादें परछाइयां बन आज भी डोल रही हैं मेरे संग.

रात होते ही अतीत की यादें मुझे पीछे धकेल ले गईं. सुना है स्मृतियों को कहीं भी उखाड़ कर फेंक दो, कैक्टस के कंटीले झाड़ की तरह फिर से उगने की उद्दंडता कर बैठती है. ऐसे ही एक शाम हम बगीचे में बैठे थे, तभी पेड़ से एक पक्षी मुंह में एक कीड़ा लेकर दूर आसमान में उड़ चला. हम ध्यान से उसे देखते रहे- आदी के एक मनचले दोस्त ने एक शेर कह डाला था… न रख उम्मीद किसी परिंदे से इकबाल… जब निकल आते पर अपना आशियां भूल जाते हैं… आज उस शेर का एक-एक मिसरा मुंह चिढ़ा रहा है. मेरे सीने में नश्तर चुभो रहा है… मुझे माज़ी की अधकचरी यादों में, पीछे धकेल रहा है.

– मीरा हिंगोरानी

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सुपरफिट बॉलीवुड मॉम्स की फिटनेस का राज़ (Superfit Moms Of Bollywood)

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वे दिन लद गए जब मां (Mom) बनने के बाद बॉलीवुड एक्ट्रेस (Bollywood Actress) काम करना छोड़ देती थीं या मां का रोल निभाने लगती थीं. आजकल की हीरोइनें मां बनने के बाद भी लीड रोल प्ले कर रही हैं. करीना कपूर ख़ान ने हाल में रिलीज़ हुई फिल्म वीरे दी वेडिंग में लीड रोल प्ले करके यह साबित कर दिया कि मां बनना करियर की राह में रोड़ा नहीं अटका सकता. हम आपको बॉलीवुड (Bollywood) की कुछ ऐसी ही सुपरफिट मॉम्स (Superfit Moms) की सेक्सी बॉडी (Sexy Body) के राज़ बता रहे हैं.

मलाइका अरोड़ा
Superfit Moms Of Bollywood
मलाइका अरोड़ा ने हाल ही में अपना 45वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया. उम्र के 45वें पायदान में भी वे 20 साल की लड़की जैसी फिट व सेक्सी नज़र आती हैं. उन्हें देखकर उनकी उम्र का अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है. फिट रहने के लिए मलाइका अरोड़ा 5 मील प्लान का अनुसरण करती हैं. वे पौष्टिक भोजन के साथ-साथ एक्सरसाइज़ को भी उतना ही महत्व देती हैं. इस बारे में बात करते हुए मलाइका ने बताया कि मैंने स्लिम होने के लिए कभी भी ऐसे डायट का पालन नहीं किया, जिसमें मुझे भूखा-प्यासा रहना पड़े. मैं सही व संतुलित खाने में विश्‍वास करती हूं. इसके अलावा मुझे जिम जाना और योग करना भी पसंद है, क्योंकि योग हमारे शरीर को सुडौल बनाता है. मलाइका वर्कआउट करने के बाद थकान मिटाने और शरीर को ऊर्जा देने के लिए केले के साथ प्रोटीन शेक पीती हैं. मलाइका दिन की शुरुआत शहद मिले हुए गर्म पानी के साथ करती हैं और उसके बाद वे एक लीटर पानी और पीती हैं, ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाएं. नाश्ते में वे ताज़े फल के साथ उपमा, इडली या फिर मल्टीग्रेन ब्रेड के साथ एग व्हाइट लेना पसंद करती हैं. 11 बजे के आस-पास व शाम के नाश्ते में वे ताज़ी सब्ज़ियों का जूस या पीनट बटर सैंडविच खाना पसंद करती हैं.
दोपहर के खाने में वे दो रोटी, सब्ज़ी, चावल और चिकन सलाद खाती हैं. रात के खाने में सूप और उबली हुई सब्ज़ियां खाती हैं.

शिल्पा शेट्टी

Shilpa Shetty
हॉट मम्मीज़ की बात हो तो शिल्पा शेट्टी का जिक्र आना स्वाभाविक है. वे बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में से हैं, जिनकी ख़ूबसूरती उम्र के साथ बढ़ती जा रही है. बच्चा होने के बाद भी उन्होंने अपना सेक्सी फिगर मेंटेन रखा है. शिल्पा दिन की शुरुआत एलोवेरा या आंवले के जूस के साथ करती हैं. उसके बाद नाश्ते में वे ओट्स और ब्राउन शुगर में बनी चाय लेती हैं. लंच मेंं चपाती या ब्राउन राइस, चिकन या फिश करी या फिर हरी सब्ज़ी खाती हैं. शाम के नाश्ते में ब्राउन ब्रेड टोस्ट, एग व्हाइट या ग्रीन टी लेती हैं. रात में वे आठ बजे तक खाना खा लेती हैं. शिल्पा डिनर में सूप, सलाद और चिकन लेना ही पसंद करती हैं.

ऐश्‍वर्या राय बच्चन

Aishwarya Rai Bachchan
दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में शुमार की जानेवाली ऐश को प्रेग्नेंसी के बाद बढ़े हुए वज़न के कारण बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. लेकिन मीडिया की आलोचनाओं की परवाह किए बिना ऐश ने हेल्दी तरी़के से धीरे-धीरे अपना प्रेग्नेंसी वेट लूज़ किया.
ऐश्‍वर्या ने वज़न कम करने के लिए ताज़ी सब्ज़ियों और पौष्टिक खाने का सहारा लिया. उन्होंने खाने में स़फेद चावल की जगह ब्राउन राइस शामिल किया. इसके अलावा ऐश ने इस बात का भी ध्यान रखा कि खाने में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का संतुलन सही हो. सुबह खाली पेट नींबू-पानी व शहद पीने के बाद ऐश नाश्ते में ब्राउन ब्रेड या ओट्स लेती हैं. खाने के बीच गैप में भूख लगने पर वे फल या नट्स खाना पसंद करती हैं. डिनर में वे आमतौर पर ग्रिल्ड मछली व ब्राउन राइस लेती हैं.

करीना कपूर

Kareena Kapoor
करीना कपूर को देखकर किसी की भी आंखें खुली की खुली रह जाती हैं. करीना का मानना है कि फिट रहने के लिए संतुलित खाने के साथ एक्सरसाइज़ की भी अहम् भूमिका होती है. प्रेग्नेंसी के बाद उन्होंने 5 महीने में 12 किलो वज़न कम किया. उन्होंने वज़न कम करने के लिए योग के साथ एरियल ट्विस्ट और पिलाटे का भी सहारा लिया. एरियल ट्विस्ट में करीना किसी भी पोश्‍चर को कम से कम दो मिनट तक होल्ड करती हैं. वे अपना वर्कआउट प्लान भी समय-समय पर चेंज करती रहती हैं, ताकि उनके शरीर को किसी एक वर्कआउट की आदत न पड़े. वे खाने-पीने पर भी बहुत ध्यान देती हैं. करीना नाश्ते में मूसली, चीज़, ब्रेड, परांठा के साथ दूध या सोया मिल्क लेती हैं. लंच में रोटी, दाल, ख़ूब सारा हरा सलाद और सूप लेती हैं. खाने के बीच में भूख लगने पर वे प्रोटीन शेक्स पीती हैं, ताकि उनका पेट भरा रहे. रात के खाने में वे चपाती, दाल या सूप पीती हैं.

जेनेलिया डिसूज़ा

Genelia D'Souza
मां बनने के बाद अक्सर महिलाओं के चेहरे की मासूमियत व गर्लिश चार्म खत्म हो जाती है. लेकिन जेनेलिया के केस में यह बात ग़लत साबित हुई. दो बच्चों की मां बनने के बाद भी वे पहले जैसी ही क्यूट व ख़ूबसूरत दिखती हैं. प्रेग्नेंसी के बाद वज़न घटाने में जेनेलिया ने कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई और आराम से पूरा व़क्त लेते हुए वज़न कम किया. उन्होंने प्रेग्नेंसी और पोस्ट प्रेग्नेंसी फेज़ का पूरा आनंद उठाया. दो बेटों रियान और राहिल के जन्म के बाद दोबारा शेप में आने के लिए जेनेलिया ने सबसे पहले हर दो घंटे में खाने का फॉर्मूला अपनाया. जेनेलिया को चिकन बहुत पसंद है, लेकिन उन्होंने तय किया कि हफ़्ते में पांच दिन वे मछली का सेवन करेंगी. वे मटन या चिकन हफ़्ते में सिर्फ एक दिन ही खाती हैं. दिन की शुरुआत गर्म पानी से करने के बाद वे नाश्ते में दो एग व्हाइट और ब्रेड स्लाइस लेती हैं. इसके अलावा वे कभी-कभी इडली का सेवन भी करती हैं. आधे घंटे के गैप के बाद वे कॉफी पीती हैं. लंच में वे दो रोटी, फिश करी या हरी सब्ज़ी लेती हैं. शाम के नाश्ते में जेनेलिया कभी-कभार पोहा या ग्रिल्ड सैंडविच खाती हैं. वे डिनर में कार्बोहाइड्रेट लेने से परहेज़ करती हैं. जेनेलिया बहुत कठिन वर्कआउट नहीं करतीं. वे घर पर पर्सनल ट्रेनर के निरीक्षण में आधे से एक घंटे एक्सरसाइज़ करती हैं. इसके अलावा उन्हें जॉगिंग करना व दौड़ना भी पसंद है.

सोहा अली ख़ान

Soha Ali Khan
वे दिन बीत गए जब गर्भवती महिलाएं अपना पेट छुपाया करती थीं. एक साल पहले ही मां बनी सोहा अली ख़ान प्रेग्नेंसी के दौरान भी फिटनेस रूटीन का पालन करती थीं. सोहा का मानना है कि वज़न कम करने व फिट रहने का सबसे बढ़िया तरीक़ा योग है. सोहा के अनुसार मां बनना अपनेआप में बहुत मुश्क़िल काम है. ऐसे में बच्चा होने के बाद महिलाओं को बच्चे के साथ ख़ुद के लिए भी समय निकालना चाहिए. सोहा पतले होने के लिए भूखे-प्यासे रहने में विश्‍वास नहीं रखतीं. उनका मानना है कि हफ़्ते में पांच दिन एक घंटा एक्सरसाइज़ करके और संतुलित भोजन ग्रहण करके आसानी से वज़न घटाया जा सकता.

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बालों का झड़ना रोकने के 5 आसान घरेलू उपाय (5 Effective Home Remedies To Control Hair Fall)

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बालों का झड़ना (Hair Fall) रोकने के 5 आसान घरेलू उपाय (Easy Home Remedies) अपनाकर आप भी रोक (Stop) सकती हैं बालों का झड़ना. दरअसल, बाल झड़ना एक आम समस्या (Common Problem) है, लेकिन जब बालों का झड़ना रुके ही नहीं, तो परेशानी बढ़ जाती है. जब बाल झड़ना न रुके, तो बालों का झड़ना रोकने के 5 आसान घरेलू उपाय ट्राई करें. बालों का झड़ना रोकने के 5 आसान घरेलू उपाय बिना किसी साइड इफेक्ट के आपके बालों का झड़ना रोक सकते हैं.

Home Remedies To Control Hair Fall

 ये हैं बाल झड़ने के कारण:
बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे रूसी, पॉल्यूशन, नींद की कमी, लंबी बीमारी, गलत खानपान और लाइफ स्टाइल आदि, इसलिए सबसे पहले बाल झड़ने के कारण का पता लगाएं. साथ ही बालों का झड़ना रोकने के 5 आसान घरेलू उपाय ट्राई करें. ऐसा करके आप आसानी से बालों का झड़ना रोक सकती हैं.

बालों का झड़ना रोकने के 5 आसान घरेलू उपाय जानने के लिए देखें वीडियो:

 

बालों का झड़ना रोकने के अन्य 5 घरेलू उपाय:
1) रात को आंवले का चूर्ण भिगो देें. सुबह उन्हें मसलकर पानी निथार लें. इस पानी में एक-दो कागज़ी नींबू निचोड़ लेें. अब जिस तरह शैंपू करते हैं वैसे ही इस पानी से बालों को भिगोकर मसाज करें.
2) नीम के तेल की 4-4 बूंदें नाक के दोनों छेदों में नियमित एक माह तक डालें. भोजन में नियमित रूप से दूध का सेवन करें. इससे बालों के झड़नें में अवश्य ही लाभ होगा.
3) उड़द की दाल को उबालकर उसे सिर पर रगड़-रगड़ कर लगाएं, कुछ ही दिनों में बालों का झड़ना रुक जाएगा.
4) नींबू के रस में बड़ (बरगद) की जटा पीसकर उससे बाल धोएं और फिर नारियल का तेल लगाएं, इससे बाल झड़ने बंद हो जाएंगे.
5) एक चम्मच साबूत काले तिल और एक चम्मच भांगरे का पंचाग (फूल, फल, पत्ती, तना, जड़) को बारीक पीसकर पानी के साथ सेवन करें.

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काव्य- स्त्री हूं… (Kavya- Stri Hoon…)

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Hindi Kavita

मैं पीतल नहीं सोना हूं और चमकूंगी

सितम की आंधियां कितनी चला लोगे?

स्त्री हूं दीया हिम्मत का जलाए रखूंगी

ताक़त पर कर लिया तुमने गुमान बहुत

चंदन हूं घिसो जितना भी और गमकूंगी

 

दीवार ऊंची बना लो निकल ही जाऊंगी

पानी सी हूं मैं भाप बन के उड़ जाऊंगी

रास्ते ख़ुद ब ख़ुद मंज़िल खड़ी कर देंगे

अपने पर जब आ गई बढ़ के निकलूंगी

 

सब्र की मियाद है जिस भी दिन टूटेगी

गर्म लावा सी चीरकर बहा ले जाऊंगी

जितना तपाओगे मुझको और दमकूंगी

मैं पीतल नहीं सोना हूं और चमकूंगी

Dr. Neerja Shrivastav Niru

डॉ. नीरजा श्रीवास्तव नीरू

 

मेरी सहेली वेबसाइट पर डॉ. नीरजा श्रीवास्तव ‘नीरू’ की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं

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ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण, लक्षण व उपचार (Osteoarthritis: Causes, Symptoms, and Treatments)

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जोड़ों में दर्द (Joints Pain) व सूजन एक आम समस्या (Problem) है. इसके कई कारण हो सकते हैं. उनमें से ही एक है ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis), जिसकी वजह से चलना-फिरना भी दूभर हो जाता है. इस बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए हमने बात की एसआरवी ममता हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. निखिल पाटिल से.

Osteoarthritis
ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों से संबंधित एक प्रमुख बीमारी है. शरीर में जहां दो हड्डियां आपस में जुड़ती हैं, उसे ज्वॉइंट यानी जोड़ कहते हैं. हड्डियों के अंतिम सिरे को सुरक्षित रखने के लिए एक प्रोटेक्टिव टिशू होता है, जिसे कार्टिलेज कहते हैं. जब किसी कारण से कार्टिलेज टूट जाता है या उसमें दरार पड़ जाती है तो इसके कारण हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं, नतीजतन दर्द, अकड़न या अन्य तरह की समस्याएं होती हैं. इस स्थिति को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं. वैसे तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर उम्रदराज़ लोगों को ज़्यादा होती है. ऑस्टियोआर्थराइटिस को डिजेनेरेटिव आर्थराइटिस या वियर एंड टियर आर्थराइटिस भी कहते हैं.

Osteoarthritis

ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण
यह बीमारी जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने के कारण होती है. यह समस्या अचानक नहीं होती, बल्कि समय के साथ जोड़ों की रक्षा करने वाला कार्टिलेज धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होते जाता है. यही कारण है कि यह बीमारी उम्रदराज़ लोगों को ज़्यादा होती है.  जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा बढ़ता जाता है.

 अन्य कारण
चोट के कारण कार्टिलेज में दरार, जोड़ों का डिस्लोकेट होना, लिंगामेंट में चोट, मोटापा, खराब पोश्‍चर इत्यादि ऑस्टियोआर्थराइटिस होने के अन्य प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा यदि माता-पिता या घर के किसी क़रीबी रिश्तेदार को यह बीमारी हो तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है.

Osteoarthritis Causes
ऑस्टियोआर्थराइटिस और कार्टिलेज
कार्टिलेज रबर की तरह होता है और हड्डी से ज़्यादा लचीला होता है. इसका प्रमुख कार्य दो हड्डियों को जोड़नेवाले अंतिम सिरों को सुरक्षित रखना होता है, ताकि हड्डियां आपस में रगड़ न खाएं. जब कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं, जिसके कारण दर्द व सूजन जैसी समस्याएं होती हैं. सबसे प्रमुख बात यह है कि क्षतिग्रस्त कार्टिलेज अपनेआप रिपेयर नहीं हो सकता, क्योंकि कार्टिलेज में रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं.  जब कार्टिलेज पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो हड्डियों को सुरक्षा प्रदान करनेवाली कुशनिंग चली जाती है, जिसके कारण हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं. फलस्वरूप जोड़ों में दर्द व अन्य तरह की समस्याएं होती हैं. ऑस्टियोआर्थराइटिस शरीर के किसी भी जोड़ में हो सकता है, लेकिन यह सामान्यतौर पर शरीर के निम्न जोड़ों को प्रभावित करता है.
1. हाथ
2. उंगलियां
3. घुटने
4. कुल्हे
5. रीढ़ की हड्डी, ख़ासतौर पर गर्दन और पीठ का निचला हिस्सा

ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रमुख लक्षण
1. दर्दप प्रभावित जोड़ को दबाने पर दर्द महसूस होना
2.  अकड़नप सूजन
 क्रॉनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस
ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रोग्रेसिव बीमारी है, यानी यह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है. इसके 4 स्टेज होते हैं. स्टेज 4 गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस होता है. ज़रूरी नहीं है कि हर मरीज़ इस स्टेज तक पहुंचे ही. अक्सर सही समय पर इलाज व देखभाल से स्थिति सुधर जाती है. स्टेज 4 ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति का एक या एक से अधिक जोड़ों का कार्टिलेज पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है. ऐसे में हड्डियों में रगड़ के कारण निम्न समस्याएं होती हैं.
1. जोड़ों में अकड़न, सूजन बढ़ जाती है. जोड़ों में मौजूद सिनोवियल फ्लूइड का स्तर बढ़ जाता है. आपको बता दें कि इस फ्लूइड का प्रमुख कार्य शरीर में मूवमेंट के दौरान हड्डियों को रगड़ खाने से बचाना है. लेकिन इसकी मात्रा अधिक हो जाने पर जोड़ों में सूजन आ जाती है. इसके अलावा टूटे हुए कार्टिलेज के कण फ्लूइड में फ्लोट होते हैं, जिसके कारण दर्द व सूजन बढ़ सकती है.
2. ऑस्टियोआर्थराइटिस के एडवांस स्टेज में सामान्य गतिविधियां करने में भी तकलीफ़ होती है. दिन बीतने के साथ-साथ दर्द बढ़ता जाता है. प चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है. जोड़ों में अकड़न आ जाने के कारण मूवमेंट में परेशानी होती है, जिसके कारण रोज़ाना के काम करने में भी दिक्कत होती है.
3. ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या गंभीर होने पर जोड़ों में असंतुलन हो जाता है. उदाहरण के लिए यदि मरीज़ के घुटनों में ऑस्टियोआर्थराइटिस हो तो अचानक उसका घुटना लॉक हो सकता है, जिसके कारण वो गिर सकता है और उसे चोट लग सकती है. ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण क्षतिग्रस्त हुए ज्वॉइंट को फिर से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन ट्रीटमेंट की मदद से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है.

ऑस्टियोआर्थराइटिस बनाम रूमेटॉइड आर्थराइटिस
हालांकि ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉइड आर्थराइटिस के लक्षण एक जैसे होते हैं, लेकिन ये दोनों बिल्कुल अलग बीमारियां हैं. ऑस्टियोआर्थराइटिस समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि रूमेटॉइड आर्थराइटिस ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम ही टिशूज़ पर अटैक करने लगता है और जोड़ों के आस-पास की लाइनिंग को क्षतिग्रस्त कर देता है, जिसके कारण शरीर के जोड़ों में सूजन, अकड़न व दर्द की समस्या होती है. यह अचानक और किसी भी उम्र में हो सकती है.
ऑस्टियोआर्थराइटिस की जांच
ऑस्टियोआर्थराइटिस धीरे-धीरे विकसित होनेवाली बीमारी है, इसलिए जब जोड़ों में दर्द व अन्य तरह के संकेत न दिखें, तब तक इसका पता लगाना मुश्किल होता है. किसी तरह का एक्सिडेंट या चोट लगने की स्थिति में एक्स-रे करवाने पर ऑस्टियोआर्थराइटिस का पता लगाया जा सकता है. एक्स-रे के अलावा एमआरआई स्कैन की मदद से भी इसकी जांच की जाती है. इसके अलावा ब्लडटेस्ट, ज्वॉइंट फ्लूइड एनालिसिस की मदद से भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज
ऑस्टियोआर्थराइटिस को जड़ से ख़त्म करना मुश्किल है, लेकिन इलाज के माध्यम से इसके लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है. हालांकि इलाज ज्वॉइंट के लोकेशन पर निर्भर करता है. ट्रीटमेंट के लिए ओटीसी मेडिसिन, जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपायों का इस्तेमाल किया जाता है. इनकी मदद से दर्द को कम करने की कोशिश की जाती है. ऑस्टियोआर्थराइटिस में आराम के लिए मरीज़ को निम्न उपाय करने चाहिए.

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व्यायामः शारीरिक गतिविधि जोड़ों के आस-पास की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करती है, जिससे अकड़न में आराम मिलता है.  इसके लिए कम से कम 20 से 30 मिनट तक शारीरिक रूप से एक्टिव रहने की कोशिश करनी चाहिए. हल्के-फुल्के एक्सरसाइज़, जैसे- वॉकिंग, स्ट्रेचिंग या योग करना सही रहेगा. इससे ज्वॉइंट्स फ्लेक्सिबल होंगे और दर्द में आराम मिलता है, लेकिन कोई भी एक्सरसाइज़ करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.
 वज़न कम करनाः वज़न अधिक होने पर शरीर के जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिसके कारण दर्द होता है. वज़न कम करने से जोड़ों पर प्रेशर कम होता है, जिससे दर्द में आराम मिलता है. वज़न नियंत्रित रखकर दूसरी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम किया जा सकता है.
समुचित नींदः मांसपेशियों को आराम देने से सूजन और दर्द कम होता है, इसलिए इस समस्या के होने पर भरपूर नींद लेना बहुत ज़रूरी है. इससे दर्द में आराम मिलता है. हीट एंड कोल्ड थेरेपीः जोड़ों में दर्द व सूजन कम करने के लिए मरीज़ हीट एंड कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए रोज़ाना 20 मिनट तक जोड़ों पर ठंडा-गर्म सेंक दिया जाता है. इन उपायों से मरीज़ को काफ़ी आराम मिल सकता है.

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ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए दवाएं
ऑस्टियोआर्थराइटिस में दर्द से आराम दिलाने के लिए डॉक्टर कई तरह की दवाएं देते हैं.
ओरल एनाल्जेसिक्सः दर्द कम करने के लिए टाइलेनॉल व अन्य तरह की दर्द निवारक दवाइयां दी जाती हैं.
ट्रॉपिकल एनाल्जेसिक्सः ये क्रीम, जेल और सैशे इत्यादि में मिलती हैं. ये क्रीम्स दर्द वाले हिस्से को सुन्न कर देती हैं, जिससे दर्द का एहसास नहीं होता. माइल्ड आर्थराइटिस में ये फ़ायदेमंद होती हैं.
नॉन-स्टेरॉइडल एंटीइंफ्लेमेटरी ड्रग्सः सूजन और दर्द कम करने के लिए डॉक्टर्स आइब्रूफेन या कोई अन्य नॉन-स्टेरॉइडल एंटीइंफ्लेमेटरी ड्रग्स देते हैं.
कॉर्टिकोस्टेरॉइडः यह क्रीम के साथ-साथ इंजेक्शन के रूप में भी उपलब्ध है. डॉक्टर्स इंजेक्शन को प्रभावित जोड़ पर लगाते हैं. इसके अलाावा वैकल्पिक ट्रीटमेंट के लिए फिश ऑयल, एक्युपंचर, फिज़ियोथेरेपी व मसाज थेरेपी की भी सहायता ली जाती है. लेकिन किसी भी तरह का हर्ब्स या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी होता है, ताकि किसी तरह का साइड इफेक्ट न हो.

खान-पान
वैसे तो हर किसी को सेहतमंद भोजन करना चाहिए, लेकिन ऑस्टियोआर्थराइटिस होने पर डायट पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालने से बचने के लिए वज़न नियंत्रण में रखना ज़रूरी होता है. बहुत से शोधों से इस बात की पुष्टि हुई है कि अगर घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस हो तो फ्लैवोनॉइड्स युक्त फल व सब्ज़ियों का सेवन करने से काफ़ी फ़ायदा होता है. इसके अलावा विटामिन सी, विटामिन डी, बीटा कैरोटिन व ओमेगा3 फैटी एसिड्स युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करने से भी फ़ायदा होता है.

ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचने के उपाय
कुछ रिस्क फैक्टर्स, जैसे-उम्र, आनुवांशिक कारण इत्यादि से बचना तो मुश्किल है, लेकिन कुछ चीज़ों पर कंट्रोल करके आप ऑस्टियोआर्थराइटिस के ख़तरे को कम कर सकते हैं.
अपने शरीर का ध्यान रखेंः अगर आप एथेलेटिक हैं या फिटनेस फ्रीक हैं तो अपने शरीर का ख़ास ख़्याल रखें. घुटनों को सुरक्षित रखने के लिए दौड़ने या अन्य तरह की शारीरिक गतिविधि करते समय एथेलेटिक शूज़ पहनें.
वज़न नियंत्रित रखेंः वज़न नियंत्रित रखने की कोशिश करें. वज़न बढ़ने पर कई तरह की समस्याएं होती हैं.
 पौष्टिक डायटः खाने में ख़ूब सारी सब्ज़ियां व फल शामिल करें.
आराम करेंः शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आराम करना और पर्याप्त नींद लेना भी बहुत ज़रूरी है. डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को ब्लडशुगर नियंत्रित रखने की कोशिश करनी चाहिए.

Congratulations! रोहित शर्मा बन गए हैं पापा… (Rohit Sharma And Ritika Blessed With A Baby Girl)

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Rohit Sharma

Congratulations! रोहित शर्मा बन गए हैं पापा… (Rohit Sharma And Ritika Blessed With A Baby Girl)

  • क्रिकेटर रोहित शर्मा अब बन गए हैं पापा. जी हां, रितिका ने रविवार रात को एक प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया.
  • रितिका की बहन सीमा ने यह ख़ुशख़बरी सोशल मीडिया के ज़रिये सबसे शेयर की.
  • ग़ौरतलब है कि रोहित और रितिका की शादी को तीन साल हो चुके हैं और अब वो प्राउड पैरेंट्स बन चुके हैं.
  • जहां तक रोहित के क्रिकेटिंग करियर की बात है कि यह साल उनके लिए काफ़ी बेहतरीन रहा, उन्होंने कई नए रेकॉर्ड्स बनाए और अब पर्सनल लाइफ में भी उनकी ख़ुशियां दोगुनी हो चुकी है.
  • हम सबकी तरफ़ से रोहित-रितिका को शुभकामनाएं!

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वेट लॉस टिप ऑफ द डे: 6 सिंपल वेट लॉस टिप्स (Weight Loss Tip Of The Day: 6 Simple Weight Loss Tips)

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अगर आप तुरंत वेट लॉस करना चाहते हैं, तो अपनाएं ये ईज़ी और सिंपल वेट लॉस टिप्स-

1. 1 ग्लास मिक्स वेजीटेबल जूस में 2 टीस्पून ऐप्पल साइडर विनेगर मिलाने से वेट लॉस होता है.

2. ऐप्पल साइडर विनेगर को सलाद में मिक्स करके भी खा सकते हैं. 1 बाउल सलाद में 2-3 टीस्पून ऐप्पल साइडर विनेगर मिलाकर खाएं.

और भी पढ़ें: वेट लॉस टिप ऑफ द डे: 6 प्रोटीन रिच ब्रेकफास्ट फॉर वेट लॉस (Weight Loss Tip Of The Day: 6 Protein Rich Breakfast For Weight Loss)

3. ग्रीन टी में 2 टीस्पून शहद और 2 टीस्पून ऐप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पीने से वेट लॉस होता है.

4. दिन में 1 बार ऐलोवीरा जैल खाने से भी वज़न कम होता है.

5. ऐलोवीरा जैल को ग्लास में निकालकर उसमें नींबू का रस, पानी और थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीने से वेट लॉस होता है.

और भी पढ़ें: वेट लॉस टिप ऑफ द डे: 7 वेज़ टु लूज़ वेट (Weight Loss Tip Of The Day: 7 Ways To Lose Weight)

6. नींबू के रस में शहद व दालचीनी पाउडर मिलाकर लेने से वज़न कम करने में मदद मिलती है.

 – देवांश शर्मा

10 न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स बदल देंगे आपकी ज़िंदगी (Top 10 New Year Resolutions That Will Change Your Life)

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10 न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स (New Year Resolutions) बदल देंगे आपकी ज़िंदगी, यक़ीन न हो तो ख़ुद आज़माकर देख लीजिए. दरअसल  हमारे अधिकतर न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स इसलिए फेल हो जाते हैं, क्योंकि वो या तो रियलिस्टिक यानी वास्तविक नहीं होते या फिर हम आधे-अधूरे मन से रेज़ोल्यूशन्स बना तो लेते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने का प्रयास ही नहीं करते. नए साल के जोश में हम बड़े-बड़े रेज़ोल्यूशन्स तो बना लेते हैं, लेकिन हफ़्तेभर या महीनेभर में ही हम उन्हें फॉलो करना बंद कर देते हैं. न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स ऐसे होने चाहिए, जो रोज़ हमारा हौसला बढ़ाएं और हमारी ज़िंदगी को दिन-प्रतिदिन बेहतर बनाएं. इस साल आप भी ऐसे ही 10 न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स बनाएं, जो आपकी ज़िंदगी बदल देंगे.

New Year Resolutions

1 टाइम मैनेजमेंट
हम समय का स़िर्फ एक बार ही इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि गुज़रा हुआ व़क्त कभी लौटकर नहीं आता यानी हम समय को रीसाइकिल नहीं कर सकते. अतः कभी ये न कहें कि ये काम अगली बार करेंगे. हो सकता है, अगली बार आप व़क्त गंवा चुके हों और गुज़रा हुआ व़क्त आपसे कहे कि अब बहुत देर हो चुकी है. ऑफिस, फैमिली, सोसाइटी, सोशल मीडिया, फ्रेंड्स… सभी को आपका टाइम चाहिए, लेकिन आपके पास सीमित समय है, इसलिए समय का सही इस्तेमाल करें. सही टाइम मैनेजमेंट करनेवाले लोग ही ज़िंदगी की रेस में आगे रहते हैं, इसलिए अपने न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स में टाइम मैनेजमेंट को सबसे ऊपर रखें.

2 सीखने का शौक़
कामयाब लोगों की ये सबसे बड़ी निशानी है कि वो हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते रहते हैं. जब भी हम कुछ नया सीखते हैं, तो हमारे दिमाग़ की सक्रियता बढ़ जाती है और हम ख़ुद में एक नई ऊर्जा महसूस करते हैं. इसलिए आप भी कुछ न कुछ सीखते रहें. म्यूज़िक, डांस, स्विमिंग, पेंटिंग या फिर अपने जॉब से संबंधित कोई स्किल… जिस चीज़ में आपकी रुचि हो, वो ज़रूर सीखें. सीखने से आप हमेशा दूसरों से एक क़दम आगे रहते हैं, जिससे आपका आत्मविश्‍वास बढ़ता है और आप कामयाबी हासिल कर पाते हैं.

3 फिटनेस रेज़ोल्यूशन
हेल्दी बॉडी हेल्दी माइंड यूं ही नहीं कहा जाता. जब आप फिट और हेल्दी होते हैं, तो आप अच्छा महसूस करते हैं और इसकी ख़ुशी आपके चेहरे और व्यवहार में भी साफ़ नज़र आती है. यही वजह है कि फिट और हेल्दी लोग हमेशा अपने आसपास पॉज़ीटिविटी बनाए रखते हैं और ऐसे लोगों को हमेशा कॉम्प्लीमेंट्स मिलते हैं. जब आपको ये मालूम होता है कि आप दूसरों से फिट और हेल्दी हैं, तो आपका कॉन्फिडेंस अपने आप बढ़ जाता है और आप अपना हर काम पूरे आत्मविश्‍वास से करने लगते हैं, जिससे आपकी कामयाबी बढ़ती जाती है. आप भी फिट और हेल्दी बने रहने का रेज़ोल्यूशन बनाएं और योग, ध्यान, एक्सरसाइज़, हेल्दी डायट आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें.

4 मी टाइम
आज की इस भागदौड़भरी ज़िंदगी में किसी के पास व़क्त नहीं है. हम कमा तो बहुत रहे हैं, हमारे पास भौतिक सुख-सुविधाएं भी भरपूर हैं, लेकिन अपने लिए ही व़क्त नहीं है. ऐसी सुविधाओं का क्या लाभ जो ख़ुद आपके काम न आएं, इसलिए आज से ही अपने लिए थोड़ा व़क्त ज़रूर निकालें. इस मी टाइम में वो सब करें, जिससे आपको ख़ुशी मिलती है. यक़ीन मानिए, आपका ये मी टाइम आपके लिए टॉनिक का काम करेगा और आपको एक नई ऊर्जा से भर देगा. फिर आप अपना हर काम और अच्छी तरह कर पाएंगे.

5 आत्मनिर्भरता
कॉन्फिडेंस यानी आत्मविश्‍वास की कमी उन लोगों में होती है, जो दूसरों पर आश्रित रहते हैं. इसलिए कोशिश करें कि आप अपने किसी भी काम के लिए दूसरों पर आश्रित न रहें. जो लोग अपने काम ख़ुद करते हैं, वो कहीं भी बड़ी आसानी से एडजस्ट हो जाते हैं और उन्हें कभी किसी बात का डर नहीं लगता. इसकी शुरुआत आप अपने रोज़ के काम ख़ुद करके कर सकते हैं. जब आप अपने काम ख़ुद करने लगेंगे, तो आपका आत्मविश्‍वास बढ़ेगा और आप फिर अपने हर ़फैसले ख़ुद लेना सीख जाएंगे.

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New Year Resolutions

6 क्रोध पर काबू
क्रोध से अक्सर नुक़सान ही होता है अपना भी और दूसरों का भी. इसलिए क्रोध से बचें. हम क्रोध से बच तो नहीं सकते, लेकिन अपने क्रोध पर काबू ज़रूर पा सकते हैं. कई लोग क्रोध में ऐसे ़फैसले ले लेते हैं, जिनका पछतावा उन्हें उम्रभर होता है. आप ऐसा न करें. इसलिए अपने न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स में इस बात को भी ज़रूर शामिल करें कि आप क्रोध नहीं करेंगे और क्रोध में कोई ़फैसला नहीं लेंगे.

7 डिजिटल ब्रेक
टेक्नोलॉजी के साथ चलना ज़रूरी है, लेकिन ख़ुद को इतना डिजिटल बना देना भी सही नहीं कि टेक्नोलॉजी आप पर हावी हो जाए. आजकल ख़ासकर यंगस्टर्स दिनभर मोबाइल में बिज़ी रहते हैं, जिसके कारण उनकी पढ़ाई, हेल्थ यहां तक कि नींद भी प्रभावित होती है. सोशल मीडिया में तो वो हर जगह होते हैं, लेकिन अपने घर-परिवार के साथ व़क्त बिताना उन्हें बोरिंग लगता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए डिजिटल ब्रेक बहुत ज़रूरी है. नए साल में ये नियम बना लें कि आप डिजिटल वर्ल्ड में रहेंगे ज़रूर, लेकिन उतना ही, जितना आपके लिए
ज़रूरी है.

8 डर को डराएं
डरना एक स्वाभाविक क्रिया है. हम सभी को किसी न किसी चीज़ से डर ज़रूर लगता है, लेकिन कई बार ये डर हम पर इस क़दर हावी हो जाता है कि इससे हमारी दिनचर्या प्रभावित होने लगती है. कई लोगों का डर उन पर इस क़दर हावी हो जाता है कि वो अंधविश्‍वास की हद तक पहुंच जाता है. यदि आपके मन में भी कोई ऐसा डर है, जो आपकी ज़िंदगी को प्रभावित कर रहा है, तो उससे बाहर निकलने की कोशिश करें. यदि आप ख़ुद अपने डर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, तो अपने परिवार या एक्सपर्ट्स की मदद लें.

न्यूमरोलॉजी से आप अपने लिए बेस्ट करियर कैसे चुन सकते हैं, जानने के लिए देखें वीडियो:

9 बुरी आदतों से बचें
कई बार हम अपनी आदतों के इस कदर अधीन हो जाते हैं कि हमारी आदतें हमारी ज़िंदगी से बड़ी हो जाती हैं, ख़ासकर नशे की आदत. यदि आप में भी है कोई ऐसी बुरी आदत, जो आपके कंट्रोल से बाहर हो रही है, तो उससे बाहर निकलने का संकल्प लें. किसी चीज़ की आदत हो जाना और उस आदत को बदलना दोनों हमारे हाथ में होता है. यदि हम ठान लें, तो कोई भी आदत हम पर हावी नहीं हो सकती. अपने न्यू ईयर रेज़ोल्यूशन्स में बुरी आदतों को बाय-बाय कहने का रेज़ोल्यूशन भी ज़रूर बनाएं.

10 देना सीखें
प्रकृति का ये नियम है कि हम जो बोते हैं, वही पाते हैं. इसलिए देना सीखें, तभी आप मनचाही चीज़ पा सकेंगे. ज्ञान, ख़ुशी, अपनापन ये सब ऐसी चीज़ें हैं, जिन्हें आप जितना बांटेंगे, ये उतनी ही बढ़ेंगी. अपेक्षा करनेवालों की तुलना में उन लोगों को हमेशा ज़्यादा मिलता है, जो देना जानते हैं, इसलिए आप भी देना सीखें. अपने आसपास हमेशा ख़ुशियां बांटें, ताकि आपको भी बदले में ख़ुशियां ही मिलें.
– कमला बडोनी

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वार्षिक राशिफल 2019 (Yearly Horoscope: Decoding 2019 For Your Star Sign)

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नया वर्ष 2019 कई नई संभावनाओं के साथ खड़ा है. इस साल हो सकता है आपके तमाम अधूरे स्वप्न पूरे हो जाएं… सफलता की नई ऊंचाइयों को छूएं… नए साल में आपके ग्रहों की स्थिति ने और क्या लिखा है आपके लिए, आपके भाग्य का सितारा इस साल कितना चमकेगा, ये जानने के लिए आइए पं. राजेंद्रजी से जानें आपका वार्षिक राशिफल.

Horoscope 2019

मेष

मेष राशि के लिए साल की शुरुआत अच्छी रहेगी. भविष्य की योजना बना सकते हैं. विरोधियों से बचें. लड़ाई-झगड़ा टालें या उनसे बचें. घूमने-फिरने का अच्छा योग बन रहा है. विवाह सम्पन्न हो सकता है. मेहनत से ही लाभ मिलेगा, अन्यथा हानि हो सकती है. ख़र्चे में बढ़ोत्तरी हो सकती है, संभलकर ख़र्च करें. संतान की प्लानिंग अगस्त महीने के बाद ही करें. कार या फिर अन्य कोई वाहन मई के बाद ले सकते हैं. पढ़ाई में ध्यान देना होगा, अन्यथा असफलता हाथ लग सकती है.

रिश्ते: संबंधों में सुधार होगा. मतभेद ख़त्म होंगे.

सेहत: स्वास्थ्य पर ध्यान दें, अन्यथा चिंताएं बढ़ सकती हैं. खानपान का विशेष ख़्याल रखें.

आर्थिक स्थिति: 7 मार्च को राहु परिवर्तन से बिज़नेस में सावधानी बरतें, वरना नुक़सान हो सकता है. मार्च में मंगल भाव में आने से धन का लाभ होगा.

उपाय

* भौम यंत्र स्थापित करें.

* मंगल स्त्रोत का पाठ करें.

* गुरुवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं.

वृषभ

इस साल काफ़ी मेहनत करनी होगी. यह वर्ष संघर्षभरा है. पारिवारिक जीवन में मार्च महीने के बाद कलह उत्पन्न हो सकती है. नया व्यापार शुरू न करें, तो अच्छा है. पार्टनरशिप में परेशानी होगी. ग़लत कार्यों में रुचि ना लें, अन्यथा पछताना पड़ेगा.

रिश्ते: नए रिश्ते बनेंगे, पर विवाह में सफलता मुश्किल से मिलेगी. रिश्ते टूट भी सकते हैं.

सेहत: खाने-पीने में असावधानी भारी पड़ सकती है. पीठदर्द की शिकायत हो सकती है.

आर्थिक स्थिति: आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी. राहु धन भाव में होने से पैसे से संबंधित चिंता रहेगी.

उपाय

* हनुमानजी का हवन कराएं.

* मंगलवार को बूंदी चढ़ाएं.

* श्रीसूक्त का पाठ करें.

मिथुन

कार्यों में वृद्धि होगी. मार्च के बाद आपकी राशि में राहु शुभ नहीं है. व्यय में बढ़ोत्तरी होगी. पार्टनरशिप में परेशानी हो सकती है.  विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं. बड़ों के देखभाल की ज़िम्मेदारी आपके कंधों पर आ सकती है.

रिश्ते: संबंधों को जोड़ने के लिए समय अनुकूल नहीं है. अतः इस साल विवाह आदि कार्य संपन्न ना करें, तो बेहतर है.

सेहत: बेवजह की भागदौड़ से स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा. ऐसे में नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करना बेहतर रहेगा, अन्यथा बीमारियां घेर सकती हैं.

आर्थिक स्थिति: प्रमोशन के योग हैं. रुके हुए धन मार्च के बाद मिलेंगे.

उपाय

* राहु का जाप कराएं.

* बुधवार को भैरव को चार मुखी दीया जलाएं.

* विष्णु सहस्त्रनामावली का पाठ करें.

कर्क

संतान संबंधी अच्छे समाचार मार्च माह के बाद मिलेंगे. पंचम गुरु चारों तरफ़ से ख़ुशियां लाएगा. भाग्य में वृद्धि होगी. विदेश यात्रा या नए कारोबार का योग है. विरोधी का विरोध ख़त्म होगा. कोर्ट संबंधी कार्यों में सफलता मिलेगी.

रिश्ते: पारिवारिक रिश्तों में सुधार होगा. अविवाहित लोग विवाह के बंधन में बंध सकते हैं.

सेहत: सेहत में सुधार होगा. अधिक देर तक न सोएं. गर्म भोजन न करें.

आर्थिक स्थिति: सही समय पर उचित ढंग से बनाई गई रणनीति सफलता देगी. 12 वें भाव में राहु ख़र्चे में बढ़ोत्तरी भी करेगा.

उपाय

* रुद्राभिषेक करें.

* पूर्णिमा के दिन एक नारियल बहते पानी में प्रवाहित करें.

* चार कैरेट का पुखराज रत्न धारण करें.

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सिंह

यह साल कुछ नया सीखने का साल है. व्यापार में उन्नति होगी. नई नौकरी मिलेगी. संतान विदेश में सेटल हो सकती है. मार्च महीने के बाद ग़लत कार्यों से बचें. विद्यार्थी मेहनत कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे. जून माह के बाद नए वाहन ख़रीद सकते हैं. घर में धार्मिक कार्य हो सकते हैं. नई जगह ट्रांसफर के योग हैं.

रिश्ते: यदि प्रेम संबंध में हैं, तो सचेत रहें, वरना रिश्तों में दूरियां आ सकती हैं. पति-पत्नी में आपसी मनमुटाव रहेगा.

सेहत: पेट संबंधी समस्या हो सकती है. तनाव से बचें, अन्यथा शारीरिक हानि हो सकती है.

आर्थिक स्थिति: पूंजी निवेश करें. पैतृक संपत्ति मिलने के भी योग हैं.

उपाय

* तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं.

* अमावस्या को दूध का दान करें.

* पूर्व या आग्नेय दिशा में शाम को दीया जलाएं.

कन्या

संतान पर पैसा अधिक ख़र्च होगा. मार्च के बाद संतान से अच्छी ख़बरें आएंगी. नया मकान ना बनाएं. वाहन धीरे चलाएंं. हानि के योग हैं. बॉस से अनबन बढ़ सकती है. मार्च महीने के बाद नौकरी में तबादला या जॉब जा सकती है. वाहन ना ख़रीदें.

रिश्ते: यदि विवाह के लिए नया रिश्ता जोड़ना चाह रहे हैं, तो बात आगे बढ़ा सकते हैं. भाई-बहन में छोटी-सी बात को लेकर विवाद हो सकता है.

सेहत: नौकरी में काम का दबाव लगातार बना रहने के कारण मानसिक रूप से परेशान रहेंगे और सेहत प्रभावित होगी. तनाव से बचें. योग, ध्यान व प्राणायाम करें.

आर्थिक स्थिति: धन की गति मध्यम होगी. लेकिन साल के मध्य में बिज़नेस में लाभ होगा.

उपाय

* मंगल यंत्र स्थापित करें.

* पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं.

* शनि चालीसा का पाठ करें.

तुला

नए कार्य में रुचि जागृत होगी. नए कार्य के लिए लोन भी मिलेगा.इसके अलावा नया जॉब भी लग सकता है. प्रमोशन के योग बने हैं. कर्ज़ से मुक्ति के रास्ते मिलेंगे. पार्टनरशिप के मतभेद ख़त्म होंगे. 7 मार्च के बाद नई नौकरी मिलने की भी संभावनाएं हैं.

रिश्ते: ससुरालपक्ष से रिश्ते बिगड़ सकते हैं. प्रेमविवाह हो सकता है. मां की बात का अनादर न करें, वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं.

सेहत: ठंडी चीज़ों से बचें. सेहत में सुधार होगा.

आर्थिक स्थिति: धन हेतु अच्छा समय है. काफ़ी लाभ होगा.

उपाय

* श्रीसूक्त का पाठ करें.

* शिवलिंग पर सोमवार को दही चढ़ाएं.

* एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाएं.

वृश्‍चिक

7 मार्च के बाद विदेश जाने के योग बनेंगे. मान-सम्मान में वृद्धि होगी. नए कार्य की शुरुआत कर सकते हैं. किसी का बड़ा कर्ज़ आपको मुसीबत में डाल सकता है. परिवार में ख़ुशियां बढ़ेंगी. कोई नया निवेश करना चाहते हैं, तो मार्च महीने के बाद ही करें. कुल मिलाकर चौमुखी विकास के योग बन रहे हैं.

रिश्ते: संबंधों में सुधार होगा. विवाह संपन्न होंगे.

सेहत: सेहत अच्छी रहेगी. अधिक कामों की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर न लें, वरना बीमार पड़ सकते हैं.

आर्थिक स्थिति: धन काफ़ी कमाएंगे. पैतृक संपति मिलने के योग भी हैं.

उपाय

* सोमवार को रुद्राभिषेक करें.

* मोती रत्न धारण करें.

* मंगलवार को गाय को रोटी खिलाएं.

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धनु

विद्या संबंधी यानी पढ़ाई-लिखाई में कड़ी मेहनत करें, अन्यथा निराशा हाथ लग सकती है. ख़र्चे में वृद्धि होगी. नए मकान की ख़रीद या बिक्री हो सकती है. मन अशांत रहेगा. धैर्य से कार्य करें. नौकरी में शांतिपूर्वक काम न करने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. किसानों को फसल में अच्छी सफलता मिल सकती है. अक्टूबर माह तक विवाह आदि न करें.

रिश्ते: पार्टनर से विवाद मार्च महीने के बाद बढ़ सकते हैं. रिश्तों को लेकर थोड़े उदार बने, वरना मनमुटाव बढ़ सकता है.

सेहत: अधिक तनाव से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. बेहतर होगा कि अपने खानपान और आराम पर पूरा ध्यान दें.

आर्थिक स्थिति: नया कार्य शुरू ना करें, तो बेहतर होगा. अधिक मेहनत व कम आयवाली स्थिति रहेगी.

उपाय

* शनि हवन कराएं.

* मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में बूंदी का दान करें.

* पीपल के पेड़ के नीचे चारमुखी दीपक जलाएं.

मकर

नए निवेश से बचें. नए संबंध जुड़ सकते हैं. पैसों के लिए मेहनत करनी होगी. संतान अच्छा नाम कमाएगी. विद्यार्थियों को सफलता मिलेगी. पारिवारिक कलह अप्रैल माह तक बनी रहेगी. मिले-जुले फल की प्राप्ति होगी. शत्रु की वजह से तनाव के कारण पीड़ा हो सकती है. संयम से कार्य करें.

रिश्ते: नए रिश्तों से जुड़ने का योग बन रहा है यानी विवाह के लिए 7 मार्च के बाद बात बन सकती है.

सेहत: घूमने-फिरने या कहीं टूर पर जाने पर खानपान का ध्यान रखें, वरना बीमार पड़ सकते हैं.

आर्थिक स्थिति: मार्च माह के बाद आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जिससे वाहन ख़रीद सकते हैं. इसके अलावा इसी साल अक्टूबर महीने के बाद मकान ख़रीदने के योग भी बन रहे हैं.

उपाय

* बजरंग बाण का पाठ करें.

* शुक्रवार को महालक्ष्मी मंदिर में तीन दीपक जलाएं.

* एकादशी में विष्णु सहस्त्रनामावली का पाठ करें.

कुंभ

संतान संबंधी चिंताएं अप्रैल तक समाप्त हो जाएंगी. नए कार्य की शुरुआत होगी. वाहन व भूमि ख़रीदने के योग बन रहे हैं. मां की सेहत में भी सुधार संभव होगा. घर में ख़ुशियां बनी रहेंगी. कर्ज़ देने से बचें. कुल मिलाकर परिवार, पैसे सब के लिए शुभ समय है.

रिश्ते: विवाह हो सकता है. माता-पिता से नाराज़गी रिश्तों में दूरियां लाएगी. प्यार करनेवाले रिश्ते में बंध सकते हैं, उनके विवाह के योग बन रहे हैं.

सेहत: दांत दर्द की समस्या गंभीर रूप ले सकती है, वैसे सेहत अच्छी रहेगी. वज़न पर नियंत्रण रखें और नियमित एक्सरसाइज़ करते रहें.

आर्थिक स्थिति: लाभ भाव में शनि काफ़ी लाभ करवाएगा. क्रिएटिव कार्य करने के अच्छे पैसे मिलेंगे.  शेयर्स में काफ़ी अच्छे पैसे कमाएंगे.

उपाय

* संकष्टी के दिन भगवान गणपति को 11 लड्डू चढ़ाएं.

* शिवलिंग को गंगाजल का अर्घ्य दें.

* महालक्ष्मी अष्टम का पाठ करें.

मीन

विद्यार्थियों को मार्च महीने के बाद अच्छे समाचार मिलेंगे. नए मकान की ख़रीद को अक्टूबर माह तक टाल दें. मां की सेहत पर ध्यान देना होगा. रुके कार्यों को इस साल गति प्राप्त होगी. विवाह संबंधी कार्य अगस्त महीने के बाद करें. कार्यस्थल पर धैर्य रखें, वरना नौकरी से हाथ धो सकते हैं. परिवार की चिंता से मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

रिश्ते: लेन-देन, व्यवहार सही व्यक्ति से करें, अन्यथा रिश्तों में खटास आ सकती है.

सेहत: पुरानी बीमारियों से छुटकारा मिलेगा, जिससे मन प्रसन्न रहेगा.

आर्थिक स्थिति: आय अच्छी होगी. यदि कोई नया बिज़नेस करना चाह रहे हैं, तो शुरू कर सकते हैं.

उपाय

* राहु शांति कराएं.

* काली गाय की सेवा करें और चारा दें.

* संकष्टी में गणपतिजी को मोदक का भोग लगाएं.

 

पं. राजेंद्रजी

ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट

rajendral.dubey@yahoo.com

Phone: 09324317828

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लघु उद्योग- पोटैटो वेफर मेकिंग क्रंची बिज़नेस (Small Scale Industries- Start Your Own Potato Wafer-Making Business)   

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Potato Wafer-Making Business

बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी ने बहुतों को सोचने पर मजबूर किया है कि वो कोई लघु उद्योग (Small Industry) करें, पर जानकारी न होने के कारण वो आगे नहीं बढ़ पाते. ऐसे ही लोगों के लिए ख़ास ‘मेरी सहेली’ (Meri Saheli) लेकर आई है लघु उद्योग सीरीज़ (Small Scale Industries Series), जहां हर महीने हम एक नए लघु उद्योग (New Small Industries) के बारे में आपको जानकारी (Information) दे रहे हैं. इसी कड़ी में इस बार हम लाए हैं, पोटैटो वेफर्स उद्योग (Potato Wafers Industry)..

बर्थडे पार्टी हो या कोई और सेलिब्रेशन का मौक़ा- पोटैटो वेफर्स के बिना कोई भी सेलिब्रेशन अधूरा ही लगता है. मूवी टाइम हो या पिकनिक, स्नैक्स टाइम या फिर यूं ही टाइमपास करना हो पोटैटो वेफर्स ही सबसे पहले दिमाग़ में आते हैं. हालांकि मार्केट में और भी कई तरह के वेफर्स उपलब्ध हैं, पर पोटैटो वेफर्स के शौक़ीन सबसे ज़्यादा हैं. किराने की दुकान हो, बेकरी या फिर होटल हर जगह इनकी डिमांड सबसे ज़्यादा है. पोटैटो वेफर्स में भी प्लेन वेफर्स, मसाला वेफर्स और बहुत से टैंगी फ्लेवर्स उपलब्ध हैं. आप अपनी सुविधानुसार जो चाहें बना सकते हैं. तो आइए देखें, इस बिज़नेस को शुरू करने की क्या है सही प्रक्रिया?

मशीनें

मार्केट में पोटैटो वेफर्स बनाने की ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक कई मशीनें उपलब्ध हैं. इन्हें आप अपनी पसंद व क्षमतानुसार ले सकते हैं. यहां हमने बेसिक मशीनों के बारे में आपको जानकारी दी है, जिन्हें ख़रीदकर आप अपना बिज़नेस शुरू कर सकते हैं.

* पोटैटो पीलिंग मशीन (छिलके निकालने के लिए) 20 हज़ार रुपए से शुरू.

* स्लाइसिंग मशीन (स्लाइस में काटने के लिए) की क़ीमत लगभग 20 हज़ार रुपए से शुरू.

* तलने के लिए मशीन 10 हज़ार रुपए से शुरू.

* पैकिंग के लिए मशीन 2 हज़ार रुपए से शुरू.

* इस तरह कुल ख़र्च होगा, क़रीब 52 हज़ार रुपए.

आपको रोज़ाना कितने वेफर्स का उत्पादन करना है, उसकी क्षमतानुसार आप मशीन ले सकते हैं. ब्रांड और क्षमता के अनुसार मशीनों की क़ीमत में थोड़ा-बहुत फ़र्क़ हो सकता है. आप अपनी आर्थिक क्षमतानुसार मशीनें ख़रीदने का निर्णय लें.

कुल ख़र्च
स्थान

* वेफर्स तैयार करने के लिए वैसे आपको अलग से जगह लेने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि इसे आप घर पर ही शुरू कर सकते हैं.

* यह बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको 250 से 300 स्न्वैर फुट के जगह की ज़रूरत होती है.

* किराया: अगर आपके घर में बिज़नेस करना मुमकिन नहीं, तो आप किराए पर जगह ले सकते हैं. अपनी क्षमतानुसार किरायेवाली जगह लें.

* बिजली का बिल- लगभग 1 हज़ार रुपए.

* अन्य ख़र्च- लगभग 1 हज़ार रुपए.

* प्रशासकीय ख़र्च- लगभग 2 हज़ार रुपए (किराया छोड़कर).

कर्मचारी

रोज़ाना 30 किलो वेफर्स बनाने के लिए आपको क़रीब 5 कर्मचारियों की ज़रूरत पड़ेगी.

* हर एक कर्मचारी को रोज़ाना 200 रुपए के अनुसार दिन के.

* 200×5=1000 देने होंगे, तो एक महीने यानि 25 वर्किंग डे का वेतन 1000×25= 25000 रुपए होगा.

कच्चा माल

पोटैटो वेफर्स बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर आपको आलू, नमक और तेल की ज़रूरत होगी. इसके अलावा अगर आपको वेफर्स में फ्लेवर्स ऐड करने हैं, तो उसकी व्यवस्था करनी होगी. आप यह कच्चा माल नज़दीकी किराने की दुकान से ख़रीद रहे हैं या फिर सब्ज़ी मंडी से, उससे भी आपकी लागत पर फ़र्क़ पड़ता है. आप चाहें तो ये सारा कच्चा माल ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं.

Small Business Tips

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उत्पादन और क़ीमत (प्रतिदिन)

प्रतिदिन वेफर्स का उत्पादन   30 किलो

होलसेल में 50 ग्राम वेफर्स की क़ीमत         15 रुपए

50 ग्राम वेफर्स की एमआरपी                    20 रुपए

फुटकर व्यापार करनेवाले को

होलसेल विक्रेता को मिलनेवाला प्रॉफिट    5 रुपए

आवश्यक कच्चा माल (प्रतिदिन)

आलू 20 किलो × क़ीमत                   30 रुपए

(1 किलो का दाम)                       600 रुपए

नमक 1 किलो × क़ीमत                    30 रुपए

(1 किलो का दाम)               30 रुपए

तेल  10 लीटर × क़ीमत 100 रुपए      1000 रुपए

प्रतिलीटर

पेपर बैग्स  3 × क़ीमत 20 रुपए        60 रुपए

(1 पेपर बैग की क्षमता 10 किलो)

कुल ख़र्च                                      1690 रुपए

जमा ख़र्च

हर महीने का कुल मिलाकर ख़र्च    69,250 रुपए

(तक़रीबन 25 दिन)

(42,250+25,000+2000)

कच्चा मालः 42,250 रुपए (1690×25)

कर्मचारी वेतनः 25,000 रुपए.

प्रशासकीय ख़र्च 2000 रुपए.

25 दिनों में कुल उत्पादन (30 किलो×25) 750 किलो

हर महीने वेफर्स की बिक्री से होनेवाला लाभ

क़ीमत रुपए 300×750 2,25,000 रुपए

1 किलो वेफर की होलसेल क़ीमत: 300 रुपए

हर महीने का प्रॉफिट   1,55,750 रुपए

(रुपए 2,25,000-69,250)

1 साल का प्रॉफिट (रुपए1,55,750×12)   18,69,000 रुपए

Potato Wafer-Making Business

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ये बातें याद रखें

* पोटैटो वेफर्स का उद्योग शुरू करने के लिए उत्पादन की क्वालिटी पर ध्यान देना सबसे ज़रूरी है.

* पोटैटो वेफर्स लोग बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन वो ख़राब भी जल्दी होते हैं, इसलिए इस बात का ख़ास ध्यान रखें.

* बेहतरीन क्वालिटी का पोटैटो वेफर्स बनाने के लिए आलू अच्छी क्वालिटी के होने ज़रूरी हैं, इसलिए आलू ख़रीदते समय ध्यान रखें कि आलू अच्छे हों, कटे-फटे या ख़राब न हों.

* वेफर्स तलनेवाली मशीन का इस्तेमाल करते समय स्टैंडर्ड तापमान बनाए रखें, वरना वेफर्स जल सकते हैं.

* इसे पैक करने के लिए सही पैकिंग का इस्तेमाल करें, वरना वो नरम हो सकते हैं या फिर उनमें चींटी लग सकती है.

* लोगों को साफ़-सुथरे और अच्छी तरह से पैक किए गए पैकेट्स पसंद आते हैं, जो देखने में भी अट्रैक्टिव हों, तो आप भी इस बात का ध्यान रखें.

पोटैटो वेफर्स की पैकिंग

अच्छी क्वालिटी के वेफर्स तैयार करते समय जिस तरह आपने सभी बातों का ध्यान रखा, उसी तरह उसकी पैकेजिंग पर भी विशेष ध्यान देना होगा.

* वेफर्स की पैकिंग इस बात पर निर्भर करती है कि आप उसे किस मार्केट में बेचेंगे, क्योंकि होलसेल और रिटेल की पैकेजिंग अलग-अलग तरह से की जाती है.

* अगर आप लोकल मार्केट में उसे बेचनेवाले हैं, तो लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए, छोटे-छोटे पैकेट्स बनाएं.

* डिमांड को ध्यान में रखते हुए आप उसकी पैकेजिंग में बदलाव ला सकते हैं.

* अपने वेफर्स को कोई अच्छा-सा नाम देकर आप अपना ब्रांड क्रिएट कर सकते हैं.

उत्पादन की बिक्री

वेफर्स तैयार होने और अच्छी पैकिंग होने के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है वो है, प्रोडक्ट की बिक्री. जितनी अच्छी ब्रिकी होगी, बिज़नेस भी उतना ही अच्छा होगा, इसलिए इस ओर ध्यान रखें.

* वेफर्स की मार्केटिंग के लिए आपको ख़ुद मेहनत करनी होगी. मार्केट में अपने ब्रांड की पहचान के लिए आपको ख़ुद पब्लिसिटी करनी होगी.

* पोटैटो वेफर्स सभी जगह बिक जाते हैं, छोटे-बड़े मार्केट, दुकान सभी जगह आप अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर सकते हैं.

* अपने आस-पास की छोटी-छोटी दुकानों पर भी आप अपने प्रोडक्ट को रखने के लिए बात कर सकते हैं.

* न्यूज़पेपर, टीवी और वेबसाइट का सहारा ले सकते हैं.

* फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें.

संपर्क

पोटैटो वेफर्स का उद्योग शुरू करने के लिए लगनेवाला कच्चा माल, मशीनें और इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए स्थानों पर संपर्क करें-

टूल्स एंड मशीनरी स्टोर्स

बी.आर.बी. बासू रोड, कोलकाता,

पश्‍चिम बंगाल.

संपर्क: 09831024094

वेबसाइट: www.indiamart.com/toolsmachinery

हरि ओम इंडस्ट्रीज़

वावड़ी, राजकोट, गुजरात.

संपर्क: 9428264944

वेबसाइट: www.hariomindfood.com

स्किल लाइफ इंडस्ट्रीज़

नांगलोई, दिल्ली.

संपर्क: 08048698282

एस.एस. इक्विपमेंट

चिखलठाणा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र.

संपर्क: 9422202772

वेबसाइट: www.ssequipment.net

पोटैटो वेफर्स बनाने के लिए ज़रूरी सामग्री ऑनलाइन भी उपलब्ध है. इसके लिए आप इन वेबसाइट्स की मदद ले सकते हैं.

www. amazon.com

www.flipkart.com

www.indiamart.com

www.snapdeal.com

कर्ज़/लोन

व्यवसाय कोई भी हो, पूंजी की आवश्यकता होती ही है. इस पूंजी पर ही आपका नफ़ा या नुक़सान निर्भर करता है. यदि पूंजी न हो, तो आप बैंक से लोन भी ले सकते हैं. हर एक बैंक की ब्याज़ दर अलग-अलग होती है. उसे भी जान लेना ज़रूरी है.

* सरकार भी लघु उद्योगों के लिए मदद करती है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत ऋण तथा विशेष सहूलियतें भी दी गई हैं. यदि इस योजना का लाभ लेना है, तो यहां संपर्क करें-

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना वेबसाइट

टोल फ्री नंबरः 1800 180 1111 और 1800 110 001

वेबसाइटः www.mudra.org.in

ईमेलः helpmudra.org.in

– श्रद्धा भालेराव

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बहुत काम के हैं यह ये 9 इंस्टेंट कुकिंग टिप्स (9 Useful Cooking Tips You Need To Know)

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Instant Cooking Tips

1. खाना बनाते समय यदि बर्तन जल गया है, तो उसे साफ़ करने के लिए उसमें चायपती और आधा कप पानी डालकर छोड़ दें. 1 घंटे बाद लिक्विड से साफ़ करें. बर्तन चमक उठेगा.

Instant Cooking Tips
2. काले चनों को भिगोना भूल गए है, तोउबालते समय चनों में चुटकीभर सोडा डालकर पकाएं. चने जल्दी पक जाएंगे.

Instant Cooking Tips
3. अंडों को उबालते समय उसमें आधा टीस्पून नमक मिलाएं. इससे अंडे साबूत रहेंगे, फटेंगे नहीं.
4. दालों को कीड़ों से बचाने के लिए दाल रखते समय उसमें 2-3 बूंदें कैस्टर ऑयल डाल दें. दालों में कीड़ें नहीं लगेंगे.

और भी पढ़ें: बचें इन 6 बेसिक कुकिंग मिस्टेक्स से (Avoid These 6 Basic Cooking Mistakes)

5. मिक्सर के जार के ब्लेड की धार को तेज़ करने के लिए उसमें नमक डालकर 2 तक चलाएं.
6. कई बार दाल उबालने में बहुत समय लगता है. दाल उबालते समय उसमें 2-3 टुकड़े सुपारी के डाल दें, दाल जल्दी गल/पक जाएगी.
7. भिगोए हुए दाल-चावल पीसते समय उसमें थोड़े-से पका हुआ चावल मिलाएं. इडली सॉफ्ट बनेगी.

Instant Cooking Tips
8. सॉफ्ट इडली बनाने के लिए घोल में चुटकीभर बेकिंग सोडा या फ्रूट सॉल्ट डालकर अच्छी तरह मिक्स करें.

Instant Cooking Tips
9. 1 ग्लास पानी में नमक मिलाकर कटे हुए करेलों को भिगोकर रखें. थोड़ी देर बाद करेलों को साफ़ पानी से धो लें. करेलों की सारी कड़वाहट निकल जाएगी.

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जानें हिंदू मैरिज एक्ट…समय के साथ क्या-क्या बदला? (Hindu Marriage Act: Recent Changes You Must Know)

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साल 1955 में हमारे देश के जो हालात थे, आज स्थिति उससे बिल्कुल अलग है. आज लड़कियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके सफलता के नित नए आयाम छू रही हैं, ऐसे में हमारा क़ानून भला बदलाव से अछूता कैसे रह सकता है. जब-जब महिलाओं ने अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाई, तब-तब क़ानून में महत्वपूर्ण बदलाव हुए. पिछले 63 सालों में कितना बदला हमारा हिंदू विवाह क़ानून? आइए जानते हैं.

Hindu Marriage Act Changes

कितना जानते हैं आप हिंदू मैरिज एक्ट के बारे में?

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 में बनाया गया था. इस क़ानून के तहत सभी हिंदुओं, सिख, जैन और बौद्धों के शादी, तलाक़ और मेंटेनेंस के मामले सुलझाए जाते हैं.

–     सबसे पहले तो शादी के समय लड़की की उम्र 18 और लड़के की 21 साल होनी चाहिए. कुछ समय पहले जनहित याचिका के तहत एक वकील ने लड़के की उम्र भी 18 साल करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने सिरे से ख़ारिज कर दिया.

–     हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कोई शादीशुदा व्यक्ति पहली पत्नी के जीवित रहते, उससे तलाक़ लिए बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता. अगर ऐसा होता है, तो उसे सात साल की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है. कुछ लोगों ने इसका तोड़ निकालने के लिए धर्म बदलकर शादी करनी शुरू की, जिसके ख़िलाफ़ 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने ़फैसला सुनाया कि यह क़ानूनन जुर्म है, जिसके लिए उस व्यक्ति को सज़ा हो सकती है.

–     गोवा के फैमिली लॉ के कोड ऑफ यूसेजेस एंड कस्टम्स में गैर-ईसाई हिंदू व्यक्ति को एक से ज़्यादा शादियां करने की छूट है, बशर्ते 25 साल की उम्र तक उसकी पत्नी मां न बनी हो और 30 साल की उम्र तक उन्हें कोई बेटा न हो.

–     इसके तहत शादी के लिए किसी ख़ास रस्म का ज़िक्र नहीं किया गया है. लड़के या लड़की किसी के भी रीति-रिवाज़ों के आधार पर शादी की जा सकती है.

–     शादी के बाद पति-पत्नी दोनों को ही वैवाहिक अधिकार (सेक्सुअल रिलेशन के अधिकार) मिलते हैं. क़ानूनन शादी तभी संपन्न मानी जाती है, जब उनके बीच शारीरिक संबंध बनते हैं. अगर कोई पार्टनर दूसरे को इस अधिकार से महरूम रखता है, तो दूसरा पार्टनर कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकता है. कोर्ट ऐसी शादी को अमान्य या निरस्त कर सकता है.

–     इसके तहत शादी का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है, ताकि शादी के बाद होनेवाली लीगल डॉक्यूमेंटेशन में कोई अड़चन न आए, लेकिन आज भी बहुत से लोग मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनवाते, जिसके कारण कुछ लोग उसका ग़लत फ़ायदा भी उठाते हैं.

–     हिंदू मैरिज एक्ट में शादी को पवित्र बंधन माना गया है, लेकिन अगर दोनों की शादी में समस्या आ रही है, तो वो तलाक़ ले सकते हैं. तलाक़ के आधार- व्यभिचार, धर्मांतरण, मानसिक विकार, कुष्ठ रोग, नपुंसकता, सांसारिक कर्त्तव्यों को त्याग देना, सात सालों से लापता, जुडीशियल सेपरेशन (कोर्ट द्वारा अलग रहने की इजाज़त), किसी भी तरह के शारीरिक संबंध नहीं बनाना और निष्ठुरता या क्रूरता हैं. पिछले कुछ सालों में मानसिक क्रूरता (मेंटल क्रुएल्टी) के आधार पर तलाक़ के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.

–   क़ानून ने महिलाओं को परमानेंट एलीमनी और मेंटेनेंस का अधिकार दिया है, लेकिन वो ऐसी महिलाएं हैं, जो ख़ुद अपना भरण-पोषण नहीं कर सकतीं. कामकाजी महिलाओं को मेंटेनेंस का अधिकार नहीं था, लेकिन 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम् ़फैसला दिया कि पति से अलग रहनेवाली कामकाजी महिलाएं भी मेंटेनेंस की हक़दार होंगी.

–     बच्चों की कस्टडी को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. तलाक़ के बाद अगर बच्चा छोटा है, तो मां को ही उसकी कस्टडी मिलती है. बड़े बच्चों के लिए कोर्ट मामले को दोनों की आर्थिक स्थिति व परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ़फैसला करता है.

किन स्थितियों में शादी हो सकती है अमान्य?

हिंदू मैरिज एक्ट में ऐसा भी प्रावधान है कि कुछ स्थितियों में आप अपनी शादी को कोर्ट से अमान्य घोषित करा सकते हैं. ऐसे में आप तलाक़शुदा नहीं कहे जाएंगे, बल्कि ऐसा माना जाएगा कि आपकी शादी हुई ही नहीं थी.

–   अगर शादी के व़क्त लड़की किसी और पुरुष से प्रेग्नेंट हो, तो ऐसी सूरत में शादी अमान्य हो सकती है. कुछ साल पहले ऐसा एक मामला सुर्ख़ियों में आया था. उस केस में लड़की शादी के व़क्त प्रेग्नेंट थी. शादी के बाद जब उसके पति को इसका शक हुआ, तो उन्होंने सोनोग्राफी करवाई, तो पता चला कि लड़की प्रेग्नेंट है. उसके पति ने तुरंत फैमिली कोर्ट में शादी को अमान्य करने की याचिका दाख़िल की. इस मामले में आपको यह ध्यान रखना होगा कि शादी के एक साल के भीतर मामला दाख़िल करना होगा.

–     अगर नपुंसकता के कारण पति-पत्नी का रिश्ता नहीं बन पाया, तो शादी क़ानूनन पूरी नहीं मानी जाएगी और ऐसे में व्यक्ति को हक़ है कि वो शादी को अमान्य करा सके. ऐसे में आपको तलाक़ लेने की ज़रूरत नहीं, बल्कि शादी को अमान्य करा सकते हैं.

–    अगर शादी के बाद आपको पता चले कि शादी के व़क्त ही आपके पार्टनर की मानसिक स्थिति सही नहीं थी और यह बात आपसे छुपाई गई, तो आप ऐसी स्थिति में अपनी शादी को अमान्य करा सकते हैं.

यह भी पढ़ें: 10 क़ानूनी मिथ्याएं और उनकी हक़ीक़त (10 Common Myths About Indian Laws Busted!)

Hindu Marriage Act Changes
विवाह विधेयक क़ानून, 2010

हिंदू मैरिज एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट में कुछ बदलाव करने के उद्देश्य से साल 2010 में यह विधेयक लाया गया था. इस विधेयक में महिलाओं के ह़क़ में कई बदलाव किए गए हैं. 2013 में यह विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ, पर लोकसभा में पारित न हो सका. इसमें प्रस्तावित कुछ बदलावों के बारे में आइए आपको बताते हैं.

–    इसमें पत्नी को यह अधिकार दिया गया है कि वो इस आधार पर अपने पति से तलाक़ ले सकती है कि अब उनकी शादी इस मुक़ाम पर पहुंच गई है कि उसे बरक़रार रखना नामुमकिन है, इसलिए वो तलाक़ चाहती है.

–     अगर पति ‘शादी पूरी तरह से टूट गई है और बरक़रार नहीं रह सकती,’ इस आधार पर तलाक़ लेना चाहता है, तो पत्नी इसका विरोध कर सकती है, पर पति के पास यह अधिकार नहीं है.

–     पत्नी को पति की चल-अचल संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा. साथ ही उसे पति की रिहायशी संपत्ति यानी घर आदि में हिस्सा मिलेगा.

–     पति-पत्नी द्वारा गोद लिए बच्चों को सगे बच्चों के समान प्रॉपर्टी में अधिकार मिलेगा.

–     आपसी सहमति से तलाक़ के लिए याचिका दायर करने के बाद कोई पक्ष क़ानूनी कार्यवाही से पीछे नहीं हट सकता.

छह महीने का इंतज़ार ख़त्म

इस बीच सितंबर, 2017 में हिंदू मैरिज एक्ट में एक और अहम् बदलाव आया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से तलाक़ लेने के लिए लोगों को 6 महीने का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. कोर्ट के मुताबिक़ अगर दोनों के बीच समझौते की कोई गुंजाइश नहीं बची है और बच्चों की कस्टडी का ़फैसला भी हो गया है, तो उन्हें छह महीने के कूलिंग ऑफ पीरियड को पूरा करने की मजबूरी नहीं है. इससे दोबारा वो जल्दी अपना घर बसा सकते हैं.

यह भी पढ़ें: हर महिला को पता होना चाहिए रिप्रोडक्टिव राइट्स (मातृत्व अधिकार)(Every Woman Must Know These Reproductive Rights)

Hindu Marriage Act Changes  
 स्पेशल मैरिज एक्ट से जुड़ी 10 ज़रूरी बातें

यह क़ानून ख़ासतौर से अंतर्जातीय विवाह कर रहे लोगों की रक्षा के लिए बनाया गया है. इसके तहत अपनी शादी रजिस्टर कराने के लिए आपको कोई धार्मिक रीति-रिवाज़ निभाने नहीं पड़ते.

  1. इस एक्ट के तहत अंतर्जातीय और अलग-अलग धर्म के लोग विवाह कर सकते हैं.
  2. इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन या बौद्ध धर्म के लोग विवाह कर सकते हैं.
  3. शादी के लिए आपको 30 दिन पहले नोटिस देना पड़ता है. दूल्हा या दुल्हन दोनों में से कोई एक अपने इलाके के रजिस्ट्रार ऑफिस में नोटिस जमा कर सकता है.
  4. इसके तहत स़िर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीय भी विवाह रजिस्टर करा सकते हैं.
  5. हिंदू मैरिज एक्ट की तरह इसमें भी कुछ नियम व शर्तें हैं, जैसे-

–     लड़के की उम्र कम से कम 21 साल और लड़की 18 साल होनी चाहिए.

–     दोनों कुंआरे हों या फिर शादीशुदा न हों यानी कोई पति-पत्नी न हों.

–     शादी के व़क्त मानसिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए.

–     दोनों ही पक्ष प्रोहिबिटेड रिलेशनशिप की कैटेगरी में न आते हों. प्रोहिबिटेड रिलेशनशिप यानी भाई-बहन न हों, न ही सौतेले भाई-बहन हों. आपको बता दें कि सपिंडवाले भी इसके तहत शादी नहीं कर सकते. सपिंड यानी मां की तरफ़ से तीन पीढ़ी और पिता की तरफ़ से पांच पीढ़ी तक में शादी निषिद्ध मानी जाती है.

  1. 30 दिनों के लिए शादी का नोटिस रजिस्ट्रार ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर लगाया जाता है. अगर किसी को इस शादी से आपत्ति हो, तो वो अपनी आपत्ति ज़ाहिर कर सकता है.
  2. अगर कोई आपत्ति आती है, तो रजिस्ट्रार को उसे 30 दिनों के भीतर सुलझाना होता है, लेकिन अगर कोई आपत्ति नहीं आती, तो नियत तारीख़ को तीन गवाहों की उपस्थिति में शादी संपन्न कराई जाती है.
  3. हर किसी के लिए यह जानना ज़रूरी है कि इसके तहत शादी करनेवालों के प्रॉपर्टी सक्सेशन के मामले इंडियन सक्सेशन एक्ट के तहत सुलझाए जाते हैं.
  1. यहां यह जानना भी बेहद ज़रूरी है कि आप शादी के एक साल के भीतर तलाक़ के लिए अप्लाई नहीं कर सकते. लेकिन अगर आप साबित कर सकें कि शादी बहुत बुरे हालात से गुज़र रही है, तो कोर्ट आवेदन पर अमल कर सकता है.
  2. इस एक्ट में दोबारा शादी का प्रावधान भी शामिल किया गया है, लेकिन शर्त यही है कि पहली शादी टूट चुकी हो और मामले में दोबारा अपील की गुंजाइश न बची हो.

– अनीता सिंह

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वार्षिक राशिफल 2019: जानें कैसा रहेगा वर्ष 2019 आपके लिए (Yearly Horoscope 2019: Astrology 2019)

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वार्षिक राशिफल 2019 किस राशि के लिए क्या सौगात लेकर आया है, ये बता रहे हैं ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी. हर कोई यह जानना चाहता है कि उसका आने वाला समय कैसा होगा, ऐसे में समय से पहले आने वाले कल के बारे में पता चल जाए, तो हम कई मुसीबतों को आसानी से टाल सकते हैं. वार्षिक राशिफल 2019 में आपके लिए क्या ख़ास निकलकर आया है, यह जानने के लिए सुनें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी.

मेष (Aries)
मेष राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

वृषभ (Taurus)
वृषभ राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

मिथुन (Gemini)
मिथुन राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

कर्क (Cancer)
कर्क राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

यह भी पढ़ें: ज्योतिष टिप्स: यदि आपका विवाह नहीं हो रहा है तो करें ये 20 उपाय (Astrology Tips: 20 Things That Will Make Your Marriage Possible Soon)

सिंह (Leo)
सिंह राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

कन्या (Virgo)
कन्या राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

तुला (Libra)
तुला राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

वृश्‍चिक (Scorpio)
वृश्‍चिक राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

यह भी पढ़ें: हथेली के रंग से जानें अपना भविष्य (Palmistry: Know Your Future & Destiny By Looking At Your Hands)

धनु (Sagittarius)
धनु राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

मकर (Capricorn)
मकर राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

कुंभ (Aquarius)
कुंभ राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

मीन (Pisces)
मीन राशि वालों के लिए वर्ष 2019 के भविष्यफल में क्या है ख़ास? जानने के लिए देखें ज्योतिष व वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेन्द्र जी की भविष्यवाणी:

भावभीनी श्रद्धांजलि: कादर ख़ान नहीं रहे… (Veteran Film Star Kadar Khan Leaves Behind A Versatile Legacy…)

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हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता बहुमुखी प्रतिभा के धनी कादर ख़ान हमारे बीच नहीं रहे. वे एक नेकदिल इंसान के साथ-साथ एक सच्चे हमदर्द व दोस्त थे. अपने हो या पराए सभी के साथ उनका अपनापन उन्हें बेहद ख़ास बना देता था. हम सभी उन्हें उनकी लाजवाब अभिनय, फिर चाहे वो चरित्र अभिनेता, खलनायक, कॉमेडी ही क्यों न हो के लिए हमेशा याद करते रहेंगे.

अभिनय के साथ-साथ उनकी कथा, पटकथा, संवाद की लेखनी भी दमदार थी. उन्होंने मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के साथ मिलकर कई सुपरहिट फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखी है. इसमें धर्म वीर, अमर अकबर एंथनी, देश प्रेमी, सुहाग, कुली, गंगा जमुना सरस्वती, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, कुली नंबर वन, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, कर्मा आदि ख़ास हैं. उन्होंने क़रीब ढाई सौ फिल्मों के संवाद लिखे और तीन सौ से भी अधिक फिल्मों में काम किया.

उनकी कॉमेडी तो इतनी उम्दा थी कि जब भी वे पर्दे पर आते थे दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. यूं तो उन्होंने अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख ख़ान तक सभी कलाकारों के साथ काम किया, पर गोविंदा के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट रही. दोनों के कॉमेडी के पंच और सीन्स आज भी लोगों को ख़ूब हंसाते-गुदगुदाते हैं.

आज कादर ख़ान भले ही हमसे दूर चले गए हों, पर उनके संवाद व सशक्त अभिनय हमारे दिलों में सदा ज़िंदा रहेंगे.

ज़िंदगी के सफ़र पर एक नज़र..

* कादर ख़ान का जन्म काबुल में 22 अक्टूबर 1937 को हुआ था.

* उन्होंने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत दाग़ फिल्म से की थी.

* फिल्म में अभिनय करने से पहले उन्होंने फिल्म जवानी दीवानी के संवाद लिखे थे.

* उनकी आख़िरी फिल्म दिमाग़ का दही थी, जो साल 2015 में आई थी.

* अभिनय से रिटायरमेंट लेने के बाद वे मुंबइॅ से कनाडा अपने बेटे सरफराज़ के यहां चले गए.

* 81 वर्षीय कादर ख़ान के अंतिम समय में उनकी पत्नी हिज्रा, उनके बेटे, बहू, नातियां उनके साथ थीं.

* उनके बेटे के अनुसार, कनाडा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

* फिल्म इंडस्ट्री व अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, स्मृति ईरानी, असरानी, मधुर भंडराकर के साथ-साथ अन्य लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की.

* ज़िंदगी का सफ़र हमें कहां से कहां ले जाता है, कई बार इसे हम भी नहीं समझ पाते. तभी तो कादर ख़ान अफगानिस्तान के काबुल में जन्मे, भारत में मुंबई में अपनी अदाकारी-लेखनी का लोहा मनवाया, अंतिम पड़ाव पर परिवार के साथ कनाडा में बिताए.

मेरी सहेली परिवार की ओर से भानभीनी श्रद्धांजलि!

– ऊषा गुप्ता

जन्मदिन पर ख़ास- पांच शख़्सियत: हरेक का अंदाज़ है जुदा… (Bollywood Stars Celebrate Their Birthdays Today…)

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आज नए साल की बधाई के साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री के सशक्त कलाकारों को भी उनकी जन्मदिन की शुभकामनाएं!.. जी हां, आज विद्या बालन, सोनाली बेंद्रे, के के मेनन, नाना पाटेकर और असरानीजी का जन्मदिन है. इन सभी कलाकारों ने अपनी बेमिसाल अदाकारी से अपने अभिनय का लोहा मनवाया है. हैप्पी बर्थडे ऑल ऑफ यू!.. यह साल आप सभी के लिए लाजवाब रहे!..

कैसा हो लिविंग रूम का कलर कॉम्बिनेशन? (Living Room Colour Combination Ideas)

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Living Room Colour Combination Ideas

यदि आप अपने लिविंग रूम को ट्रेडिशनल लुक देना चाहती हैं, तो इस कमरे की दीवारों को डार्क शेड्स से पेंट करवाएं. इसके साथ ही हैवी वॉल डेकोर एक्सेसरीज़, जैसे- नक्काशीदार फ्रेमवाला आईना, पेंटिंग आदि से कमरे को ट्रेडिशनल लुक दें. इस लुक के साथ ब्राइट कलर के सिल्क, सैटिन, वेल्वेट जैसे शाइनी फैब्रिकवाले कुशन, कर्टन आदि अच्छे लगते हैं.

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  1. यदि आप अपने लिविंग रूम को सॉफ्ट लुक देना चाहती हैं, तो दीवारों को लाइट शेड्स से पेंट करवाएं, जैसे- व्हाइट, क्रीम, बेबी पिंक, पीच आदि. दो सॉफ्ट शेड्स का कॉम्बिनेशन ट्राई करके भी आप अपने ड्रीम होम को सॉफ्ट लुक दे सकती हैं, जैसे- पिंक के साथ व्हाइट या क्रीम शेड. इस लुक के लिए व्हाइट, ऑफ व्हाइट, पिंक, यलो जैसे लाइट व फ्रेश कलर के फर्नीचर को प्राथमिकता दें. कर्टन के लिए सिल्क, सैटिन या कॉटन फैब्रिक का चुनाव करें.

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  1.  मॉडर्न लुक के लिए कॉन्ट्रास्ट शेड्स से दीवारों को पेंट करवाएं, जैसे- ब्लैक एंड व्हाइट, रेड और ऑफ व्हाइट, पर्पल और ऑफ व्हाइट, ऑरेंज और यलो आदि. इस लुक के लिए प्योर व्हाइट कलर भी बेस्ट है. चाहें तो दीवारों को प्लेन रखें और डार्क एक्सेसरीज़ से घर सजाएं. इससे भी आपका घर स्टाइलिश नज़र आएगा. घर को मॉडर्न लुक देना चाहती हैं, तो ग्लास, लेदर, मेटल के स्लीक फर्नीचर का चुनाव करें. घर में बहुत सारी एक्सेसरीज़ रखने की बजाय कुछ स्पेशल आर्ट वर्क, फैमिली फोटोग्राफ़्स, फूल, कैंडल्स आदि से घर सजाएं.

और भी पढ़ें: कैसे करें परफेक्ट बेडशीट का चुनाव? (How To Choose The Perfect Bedsheets?)

  1. यदि आप लिविंग रूम को रेट्रो लुक देना चाहती हैं, तो दीवारों को डार्क व वायब्रेंट कलर से पेंट करवाएं. इस लुक के लिए बड़े डिज़ाइनवाले वॉल पेपर सिलेक्ट करें. सत्तर-अस्सी के दशक की पुरानी पेंटिंग्स लगाकर भी दीवारों को रेट्रो लुक दिया जा सकता है. फाइबर ग्लास, प्लायवुड आदि से बने फर्नीचर से लिविंग रूम को रेट्रो लुक दिया जा सकता है.
  2.  यदि आप लिविंग रूम को ईको फ्रेंडली लुक देना चाहती हैं, तो ग्रीन कलर से लिविंग रूम की दीवारों को पेंट करें. चाहें तो वुडन इफेक्टवाले शेड्स भी चुन सकती हैं. वॉल डेकोर के लिए लकड़ी के वेस्ट से बने वॉल पेपर भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. ऑर्गेेनिक कलरवाले वॉल पेपर्स का प्रयोग भी किया जा सकता है. नेचुरल लुक के लिए केन के फर्नीचर ख़रीदें. रफ फिनिशिंगवाले बांबू के फर्नीचर भी घर को ईको फ्रेंडली लुक देते हैं. कर्टन के लिए जूट, कॉटन आदि फैब्रिक का चुनाव किया जा सकता है. बांबू के बने वेनेशियन ब्लाइंड यानी चटाईनुमा कर्टन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

कैसे करें  पर्दे का चुनाव?
पर्दे आपके घर का लुक बदल सकते हैं, इसलिए इन्हें ख़रीदते समय इन बातों का ध्यान रखेंः

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  •  पर्दों का चुनाव करते समय इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि वे सो़फे के साथ मैच हो जाएं, वरना घर ऑर्गनाइज़्ड नहीं दिखेगा.
  •  रूम को ईको फ्रेंडली इफेक्ट देना हो तो खादी या ग्रीन शेड के पर्दे ख़रीदें.

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  • ख़ास मौके के लिए रेड, पिंक, ऑरेंज, ब्लू जैसे वायब्रेंट कलर के पर्दे ख़रीदें.
  • कमरे को दो सेक्शन में बांटना हो तो भी पर्दे आपकी मदद कर सकते हैं. इससे रूम का लुक भी बदल जाता है.

और भी पढ़ें: वॉर्डरोब ऑर्गनाइज़ करने के 14 स्मार्ट टिप्स (14 Smart Tips To Organise Your Wardrobe)

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