“… अन्न आपका, बर्तन आपके, सब चीज़ें आपकी हैं, मैंने ज़रा-सी मेहनत करके सब में भगवदभाव रख कर रसोई बनाकर खिलाने की थोड़ी-सी सेवा कर ली, तो मुझे पुण्य मिलेगा कि नहीं? सब प्रेम से भोजन करके तृप्त और प्रसन्न होंगे, तो कितनी ख़ुशी होगी. इसलिए मांजी आप रसोई मुझे बनाने दें. कुछ मेहनत करूंगी, … Continue reading कहानी- संस्कारी बहू (Short Story- Sanskari Bahu)
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